जमुईः जिला सह-सदस्य सचिव सिविल सर्जन जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से एक पत्र जारी किया गया, जिसमें फंगस के बारे में जानकारी दी गई है. इसमें बताया गया कि ब्लैक फंगस (ब्लैक या व्हाईट) वातावरण या वायु और पानी में पाया जाता है. इससे होने वाली बिमारी को म्यूकरमाइकोसिस भी कहते हैं. चिकित्सा में देर होने पर संक्रमित अंग में शल्य क्रिया की आवश्यकता हो जाती है, इसलिए लक्षण पाए जाने के तुरंत बाद डॉक्टरों से सलाह लेना चाहिए.
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कैसे होता है ब्लैक या व्हाईट फंगस?
उदाहरण के लिए बताया गया कि यदि किसी खाद्य पदार्थ को अधिक देर तक वातावरण में छोड़ देते हैं, तो उसके उपर बनने वाला काला अथवा उजला स्तर फंगस कहलाता है. सामान्य मनुष्य के शरीर में इसका संक्रमण नहीं हो पाता है. यदि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है. जैसे अनियंत्रित मधुमेह, अधिक मात्रा में दवा के रूप में स्टॉयराईड (डेक्सामेथासीन/प्रेडनीसोलोन) या कैंसर चिकित्सा के रूप में केमोथेरेपी के बाद जब शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है तो यह शरीर को संक्रमित कर सकता है.
नाक के द्वारा करता है प्रवेश
फंगस हमारे शरीर में नाक के द्वारा प्रवेश करता है. यदि नाक अथवा गले में काले रंग के धब्बे दिखे और नाक बंद होने जैसा आभास हो तो यह प्रारंभिक लक्षण है. नाक से यह " साइनस " फेफड़ा और मस्तिष्क में जाकर संक्रमण कर सकता है. आँखों के नीचे सूजन एवं काला धब्बा हो जाता है. एक वस्तु दो दिखने लगती है, कोविड के इलाज में स्टॉराइड का व्यवहार होता है, और अक्सर कोविड मरीज में मधुमेह भी अनियंत्रित रहता है, जिसके कारण प्रतिरोधक क्षमता घटती है. और ब्लैक फंगस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. यह बीमारी संक्रमक बीमारी नहीं है.
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चिकित्सा में देर होने पर ऑपरेशन की जरूरत
चिकित्सा में देर होने पर संक्रमित अंग में शल्य क्रिया की आवश्यकता होती है, जिसे विशेषज्ञ चिकित्सक के द्वारा चिकित्सा किया जाता है. उपर्युक्त कारणों से वर्तमान में इस रोग की चिकित्सा सेवा AIIMS एवं IGIMS PATNA में उपलब्ध है.