जमुई: बिहार में चौकीदारों का तबादला उनके गृह जिले से दूसरे जिले में भी करने का निर्णय लिया गया है. इस फैसले का विरोध करते हुए जमुई सांसद चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को पत्र (Chirag Paswan Wrote Letter To Cm Nitish)लिखकर इस फैसले को अव्यावहारिक बताया है. साथ ही उन्होंने पत्र के जरिए चौकीदारों को मिलने वाली सुरक्षा और उनकी कई परेशानियों को सीएम के सामने रखा है. सांसद चिराग पासवान ने चौकीदारों के अन्य जिलों में ट्रांसफर के फैसले को वापस लेने की मांग की.
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जमुई सांसद चिराग पासवान ने सीएम को लिखा पत्र: बता दें कि जमुई सांसद चिराग पासवान ने चिट्ठी में लिखा कि राज्य सरकार के उस आदेश की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं जिसके तहत अब चौकीदारों का तबादला उनके गृह जिले से दूसरे जिले में भी करने का निर्णय लिया गया है. सरकार का यह ताजा निर्णय अव्यावहारिक तो है ही साथ ही साथ कई जरूरी सुविधाओं से वंचित चौकीदारों के लिए उनकी सुरक्षा सहित अन्य कई परेशानियां उत्पन्न करने वाला भी है. इसलिए मेरा अनुरोध होगा कि इस आदेश को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था ही बहाल रखी जाय.
चिट्ठी के जरिए चौकीदारों के परेशानियों से कराया अवगत: उन्होंने चिट्ठी के माध्यम से चौकीदारों की परेशानियों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातों को सामने रखा है. प्रशासन के सुरक्षा तंत्र की महत्वपूर्ण एवं बुनियादी स्तर से जुड़े चौकीदारों को आज भी न तो बेतन की आवश्यक सुविधा दी जाती है और न ही उनके पास बदलती परिस्थिति के हिसाब से हथियार होते हैं. जबकि उनके कंधो पर कैदियों की सुरक्षा एवं बैंक ड्यूटी की गंभीर जिम्मेवारी होती है. अब तो उन्हें लाठी के सहारे शराब माफियाओं की अवैध गतिविधि रोकने की जिम्मेवारी भी दी गई है. क्या ये उनकी खुद की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न नहीं करेगा? सरकार से जरूरी आर्थिक सहयोग नहीं मिलने की स्थिति में दूसरे जिले में स्थानांतरित होने पर उनका तथा उनके परिवार का भरणपोषण क्या संभव होगा?
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पुरानी व्यवस्था को लागू करने की मांग की: सांसद चिराग पासवान ने सीएम नीतीश से मांग करते हुए चिट्ठी के जरिए चौकीदारों को दूसरे जिले में स्थानांतरण के आदेश को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल रखने की मांग की है. उन्होंने कहा कि, आप इस बात से अच्छी तरह अवगत हैं कि, चौकीदार की सेवा में ज्यादातर दलित वर्ग के पासवान जाति के लोग ही हैं जो आज भी आर्थिक एवं अन्य कई परेशानियों से जूझ रहे हैं. ऐसे में सरकार का नया आदेश इनके लिए अन्यायपूर्ण है.
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