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Tamil Nadu Violence: तमिलनाडु से जमुई लौटे प्रवासी मजदूर ने बताई आंखों देखी- 'वहां खुलेआम छुरा मार रहे'

एक तरफ तमिलनाडु से लेकर बिहार पुलिस तमिलनाडु में प्रवासी मजदूरों से मारपीट की बात को नकार रही है वहीं दूसरी ओर वहां से लौट रहे लोग वहां की आंखों देखी बता रहे हैं. किसके दावों में सच्चाई है ये कह पाना मुश्किल है. इसपर सियासत भी जारी है. लेकिन पिस बिहार का वो मजदूर रहा है जो अपनी रोटी-रोजी के लिए हजारों किलोमीटर दूर जाकर दो जून की रोटी का जुगाड़ कर रहा है.

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Published : Mar 2, 2023, 7:34 PM IST

श्रवण कुमार, बिहार लौटा प्रवासी मजदूर

पटना/जमुई : बिहार के प्रवासी मजदूरों से तमिलनाडु में मारपीट का मुद्दा गरम है. इसपर विपक्ष जहां सरकार को घेर रहा है वहीं तमिलनाडु पुलिस के डीजीपी खुद एक वीडियो ट्वीट करके इस तरह के वाकये को फेक बताया. इसी वीडियो के आधार पर बिहार पुलिस की ओर से भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया गया कि पुलिस महानिदेशक बिहार के द्वारा तमिलनाडु राज्य के पुलिस महानिदेशक से बात कर स्थिति की जानकारी ली गई. तमिलनाडु पुलिस के द्वारा यह जानकारी दी गई कि उत्तर भारतीय और हिंदी भाषी लोगों पर हमले की पोस्ट बिना तथ्यों की पुष्टि किए की गई है. यह भ्रामक तथा अफवाह है.

ये भी पढ़ें- Tamil Nadu Violence : 'फेक है वायरल वीडियो', बिहार के प्रवासी मजदूरों की हत्या पर बोले तमिलनाडु DGP

दावे सरकारी, हकीकत जमीनी: हालांकि इस मामले में तमिलनाडु से लौटे जमुई के सिंकदरा के रहने वाले श्रवण कुमार ने बताया कि वह किसी तरह से जान बचाकर वहां से भागकर आया है. युवक ने आंखों देखी हाल बताते हुए कहा कि ''तमिलनाडु में हिन्दी बोलने वालों पर खुलेआम छुरा मार रहे हैं. तमिलियन लोगों का कहना है कि जितनी जल्दी हो सके यहां से चले जाओ. तुम लोगों की वजह से हमें रोजगार नहीं मिल रहा है. हम तीन लोग वापस आ गए. आज और 12 आदमी त्रिरुप्पुर से वापस आ रहा है.''


"हमलोग मजदूरी करने गए थे ऐसे मारपीट करेंगे तो कैसे होगा, चारों तरफ दहशत का माहौल है. सभी लोग जान बचाकर भागने का प्रयास कर रहे है ऑटो, बस, ट्रेन से निकलना मुश्किल हो गया है. जहां देख रहे हैं वहीं मार-पीट कर रहे हैं. सड़क पर सबकुछ हो रहा है. कंपनी कोई सुरक्षा नहीं दे रही है, न ही कंपनी तक वो लोग जाते हैं. लेकिन जब हमलोग सड़क पर निकलते हैं तो हमलोगों के साथ मारापीटा जा रहा है. प्रशासन कुछ भी नहीं कर पा रहा है. वो भी तो तमिल ही है, किसी भी राज्य का मजदूर हो, जो वहां काम कर रहा है हिंदी बोलते ही उसको मारता है"- श्रवण कुमार, बिहार लौटा प्रवासी मजदूर

आरजेडी ने केंद्र पर फोड़ा ठीकरा: पूरे प्रकरण पर राष्ट्रीय जनता दल ने केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ा है. राजद के प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बिहारी मजदूरों पर हुए हमले को काफी दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार यदि सौतेला व्यवहार नहीं करती तो आज बिहार के लोगों को मजदूरी करने के लिए दूसरे प्रदेशों में नहीं जाना पड़ता. पन्द्रह वर्षों तक भाजपा बिहार सरकार में शामिल रही है पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और न इसका सही हक हीं दिलवा सकी. जिससे बिहार में उधोग-धंधा और कल-कारखाना स्थापित हो सके.

''मनरेगा जैसी योजना की राशि में बड़े पैमाने पर कटौती कर मजदूरों को बेरोजगार बना दिया गया. रेलवे, सेना एवं केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों के नियोजन में कटौती के साथ हीं नोटबंदी की वजह से बिहार में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन चुका है. इस पूरे प्रकरण के लिए बीजेपी की सरकार ही जिम्मेदार है. 15 साल सरकार में शामिल रहकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिलाई पाई. न ही यहां पर कोई उद्योग लगा पाई. इसलिए पलायन हो रहे हैं. ये दुर्भाग्यपूर्ण है''- चितरंजन गगन, प्रवक्ता, आरजेडी

श्रवण कुमार, बिहार लौटा प्रवासी मजदूर

पटना/जमुई : बिहार के प्रवासी मजदूरों से तमिलनाडु में मारपीट का मुद्दा गरम है. इसपर विपक्ष जहां सरकार को घेर रहा है वहीं तमिलनाडु पुलिस के डीजीपी खुद एक वीडियो ट्वीट करके इस तरह के वाकये को फेक बताया. इसी वीडियो के आधार पर बिहार पुलिस की ओर से भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया गया कि पुलिस महानिदेशक बिहार के द्वारा तमिलनाडु राज्य के पुलिस महानिदेशक से बात कर स्थिति की जानकारी ली गई. तमिलनाडु पुलिस के द्वारा यह जानकारी दी गई कि उत्तर भारतीय और हिंदी भाषी लोगों पर हमले की पोस्ट बिना तथ्यों की पुष्टि किए की गई है. यह भ्रामक तथा अफवाह है.

ये भी पढ़ें- Tamil Nadu Violence : 'फेक है वायरल वीडियो', बिहार के प्रवासी मजदूरों की हत्या पर बोले तमिलनाडु DGP

दावे सरकारी, हकीकत जमीनी: हालांकि इस मामले में तमिलनाडु से लौटे जमुई के सिंकदरा के रहने वाले श्रवण कुमार ने बताया कि वह किसी तरह से जान बचाकर वहां से भागकर आया है. युवक ने आंखों देखी हाल बताते हुए कहा कि ''तमिलनाडु में हिन्दी बोलने वालों पर खुलेआम छुरा मार रहे हैं. तमिलियन लोगों का कहना है कि जितनी जल्दी हो सके यहां से चले जाओ. तुम लोगों की वजह से हमें रोजगार नहीं मिल रहा है. हम तीन लोग वापस आ गए. आज और 12 आदमी त्रिरुप्पुर से वापस आ रहा है.''


"हमलोग मजदूरी करने गए थे ऐसे मारपीट करेंगे तो कैसे होगा, चारों तरफ दहशत का माहौल है. सभी लोग जान बचाकर भागने का प्रयास कर रहे है ऑटो, बस, ट्रेन से निकलना मुश्किल हो गया है. जहां देख रहे हैं वहीं मार-पीट कर रहे हैं. सड़क पर सबकुछ हो रहा है. कंपनी कोई सुरक्षा नहीं दे रही है, न ही कंपनी तक वो लोग जाते हैं. लेकिन जब हमलोग सड़क पर निकलते हैं तो हमलोगों के साथ मारापीटा जा रहा है. प्रशासन कुछ भी नहीं कर पा रहा है. वो भी तो तमिल ही है, किसी भी राज्य का मजदूर हो, जो वहां काम कर रहा है हिंदी बोलते ही उसको मारता है"- श्रवण कुमार, बिहार लौटा प्रवासी मजदूर

आरजेडी ने केंद्र पर फोड़ा ठीकरा: पूरे प्रकरण पर राष्ट्रीय जनता दल ने केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ा है. राजद के प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बिहारी मजदूरों पर हुए हमले को काफी दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार यदि सौतेला व्यवहार नहीं करती तो आज बिहार के लोगों को मजदूरी करने के लिए दूसरे प्रदेशों में नहीं जाना पड़ता. पन्द्रह वर्षों तक भाजपा बिहार सरकार में शामिल रही है पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और न इसका सही हक हीं दिलवा सकी. जिससे बिहार में उधोग-धंधा और कल-कारखाना स्थापित हो सके.

''मनरेगा जैसी योजना की राशि में बड़े पैमाने पर कटौती कर मजदूरों को बेरोजगार बना दिया गया. रेलवे, सेना एवं केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों के नियोजन में कटौती के साथ हीं नोटबंदी की वजह से बिहार में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन चुका है. इस पूरे प्रकरण के लिए बीजेपी की सरकार ही जिम्मेदार है. 15 साल सरकार में शामिल रहकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिलाई पाई. न ही यहां पर कोई उद्योग लगा पाई. इसलिए पलायन हो रहे हैं. ये दुर्भाग्यपूर्ण है''- चितरंजन गगन, प्रवक्ता, आरजेडी

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