जमुई: जिले में खैरा लोक मंच बिहार के बैनर तले खैरा आदिवासी समुदाय के सैकड़ों लोगों ने वन विभाग के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला. ये आक्रोश मार्च राजेश खैरा के नेतृत्व में चकाई एसके हाई स्कूल से चकाई चौक होते हुए प्रखंड मुख्यालय तक निकाला गया. यहां उन लोगों ने जिलाधिकारी के नाम बीडीओ सुनील कुमार चांद को ज्ञापन सौंपा.
इस आक्रोश मार्च के दौरान खैरा समुदाय के नेता गांधी राय ने कहा कि चंद्रमंडीह थाना क्षेत्र के मोहनपुर जंगल में खैरा आदिवासी समुदाय के 15 परिवार रह रहे थे. वहीं, 21 दिसंबर को दिन में ही वन विभाग के रेंजर और फॉरेस्टर सहित दो दर्जन से अधिक सिपाही बिना सूचना या किसी नोटिस के पहुंचे और 15 घरों को उजाड़ दिया. साथ ही उनलोगों ने कई घरों में आग लगा दी. जिससे घरों में रखी सामग्री जल गई. इस दौरान लोगों को बेरहमी से पीटा गया, जिसमें रजिया देवी का सिर फट गया. कई लोग घायल भी हुए. इसके बाद उसी दिन करीब 2 से 3 घंटे बाद तीन अन्य गाड़ियों से पुलिस प्रशासन की टीम आई और खैरा समुदाय के लोगों को पकड़ना शुरू कर दिया. पुलिस कई लोगों को पकड़कर साथ ले गई.
उजाड़ने गए अधिकारियों पर हो कार्रवाई
इसके अलावा खैरा समुदाय के नेता राजेश खैरा ने कहा कि वन अधिकार कानून 2006 में जंगलवासी आदिवासियों को जंगल में बसने का अधिकार दिया गया है. दूसरी तरफ सरकार और उसके अधिकारी हम आदिवासी समुदाय के लोगों को उजाड़ रहे हैं. ऐसे में वन अधिकार कानून के तहत उजाड़ने गए अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. आदिवासियों की जमीन को भी निजी हाथों में सौंपा जा रहा है. जिले में भी वन विभाग की ओर से आदिवासियों को जमीन से बेदखल करने की साजिश रची जा रही है. हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.
जमीन का पर्चा उपलब्ध करवाने की मांग
इस मौके पर राजेश खैरा ने सरकार से भूमिहीन परिवारों को तुरंत सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार जमीन का पर्चा उपलब्ध करवाने की मांग की. वहीं उन्होंने हिरासत में लिए गए 4 लोगों को भी अविलंब रिहा करने की मांग की.