गोपालगंज: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने साल 1992 में चरवाहा विद्यालय की स्थापना की थी. इस तरह के विद्यालय स्थापित करने का उद्देश्य था कि मवेशी चराने वाले चरवाहे भी अपने पशुओं को चराने के साथ पढ़ाई कर शिक्षित बन सकें. लेकिन सरकार की लापरवाही के कारण चरवाहा विद्यालय बदहाली के आंसू रो रहा है. लेकिन सरकार इस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है.
अंधकार में चरवाहों का भविष्य
जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर उचकागांव में स्थापित चरवाहा विद्यालय में पहले चरवाहे पढ़ते थे. लेकिन अब यहां पढ़ाई करने वाले चरवाहे विद्यालय में मवेशी चराते दिखाई दे जाते है. हालांकि समय के साथ बदलाव आता गया. अब इस विद्यालय में गांव के बच्चे पढ़ते हैं. सरकार की लापरवाही के चलते चरवाहों का भविष्य अंधकार में डूब रहा है. अगर जमीनी हकीकत की बात की जाए तो अब चरवाहों को इन विद्यालयों में कोई सुविधा नहीं मिलती है.
चर्चित प्रयोगों में से एक था यह चरवाहा विद्यालय
गोपालगंज के उचकागांव में चरवाहों के लिए चरवाहा विद्यालय का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 15 जनवरी 1992 में किया था. इस विद्यालय में चरवाहों के बच्चे और गरीब तबके के बच्चों ने पढ़ाई शुरू की. लेकिन वर्तमान में इस स्कूल में शिक्षकों के नहीं होने से पठन-पाठन की व्यवस्था चरमरा गई है. बताया जाता है कि यह विद्यालय राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेहद चर्चित प्रयोग में से एक था. उस समय जिसे यूनिसेफ सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने सराहा था.
बीते दिनों की याद दिलाता है विद्यालय भवन
जिले में कई चरवाहा विद्यालय की स्थापना की गई थी. लेकिन आज इन चरवाहा विद्यालय में सिर्फ भवन ही बीते दिनों की याद दिलाती है. चरवाहा स्कूलों में ताले लटके नजर आते हैं. पढ़ने वालों का कहीं कोई अता-पता नहीं है. ना ही सरकार की तरफ से इस ओर कोई पहल होती है.
कई सुविधाएं थी उपल्ब्ध
नीतीश कुमार जब शासन में आए तब भी इन स्कूलों को लेकर कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया गया. इस चरवाहा स्कूल को चलाने की जिम्मेदारी कृषि, सिंचाई, उद्योग, पशुपालन, ग्रामीण विकास और शिक्षा विभाग पर थी. इसमें पढ़ने वाले बच्चों को मध्याह्न भोजन, दो पोशाक, किताबें और मासिक स्टाइपेंड के तौर पर 9 रुपये मिलते थे.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस विद्यालय के बारे में उचकागांव प्रखंड के बीडीओ ने कहा कि जिस उद्देश्य से इस विद्यालय की स्थापना हुई थी, शायद उस समय इस तरह की पढ़ाई होती होगी. अब इस तरह की शिक्षा नहीं मिल रही है. बनाये गये विद्यालय में अब पढ़ाई का कार्य चलता है.