गोपालगंज: जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सोमवार को अक्षय नवमी का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया गया. महिलाएं आंवला के वृक्ष के नीचे लक्ष्मी और विष्णु की पूजा अर्चना की और वृक्ष के छांव में सात्विक भोजन बनाकर पूरे परिवार के साथ ग्रहण की. ब्राह्मणों को भी भोजन कराया गया.
आंवला के वृक्ष की पूजा का महत्व
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी को यह पर्व मानाने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है. मान्यता के अनुसार इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे पूजा और दान-पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास भगवान विष्णु को सदा प्रिय रहा है. इस मास में 33 कोटि देवता मनुष्य के समीप आ जाते है. इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है.
आंवला के वृक्ष की छांव में पकाया जाता है भोजन
महिलाएं आंवला के वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती हैं. आंवला के पेड़ पर हल्दी, रौली और सिंदूर लगाने के साथ-साथ दीपक जलाकर पूजा की जाती है. इसके बाद आंवला पेड़ की परिक्रमा कर व्रती मौली बांधती हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि आज के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे महिलाएं सामूहिक रूप से ब्राह्मण से कथा सुनती हैं. पूजा के बाद वृक्ष की छांव में भोजन पकाया जाता है, जिसे पूरे परिवार के साथ ग्रहण किया जाता है.