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गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में कौन मारेगा बाजी, वोटरों के साथ-साथ उम्मीदवारों के भी समीकरण

बिहार के मोकामा और गोपालगंज विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर (Gopalganj assembly by election) सब की निगाहें टिकी हुई है. दोनों ही सीटों पर अपनी जीत दर्ज करने के लिए महागठबंधन और बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं. गोपालगंज सीट की बात करें तो यहां के सभी प्रमुख उम्मीदवार अपनी जीत की दावेदारी पेश कर रहे हैं. यहां हम समझते हैं कि उम्मीदवारों की दावेदारी के क्या हैं समीकरण.

गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव
गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव
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Published : Oct 30, 2022, 10:52 PM IST

पटना: बिहार में गोपालगंज और मोकामा विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हो रहे हैं. तीन नवंबर को वोट डाले जाएंगे. छह नवंबर को चुनाव परिणाम आ जाएगा. लेकिन, अभी से सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा (Who will win in Gopalganj) पेश कर रहे हैं. एक और दिलचस्प पहलू यह भी है कि महागठबंधन की तरफ से अपनी दावेदारी पेश कर रहे मोहन प्रसाद गुप्ता, बीजेपी की टिकट पर खड़ी हुई कुसुम देवी और बसपा के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रही इंदिरा यादव पहली बार चुनावी जंग में उतर रही हैं.

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गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में कौन मारेगा बाजी.



महागठबंधन ने पहली बार किसी व्यापारी को टिकट दियाः राजद या यूं कहें महागठबंधन में पहली बार किसी व्यापारी को टिकट दिया गया है. मोहन प्रसाद गुप्ता वैश्य समाज से ताल्लुक रखते हैं. इस लिहाज से इस समाज में उनकी पैठ है. मोहन प्रसाद गुप्ता के अन्य अहम फैक्टर के बारे में बात की जाए तो इनके साथ एक सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट यह भी है कि फॉरवर्ड लॉबी में भी इनकी ठीक-ठाक पकड़ मानी जाती है. मोहन शुरू से ही आरजेडी के एक समर्पित सिपाही रहे हैं. जब जनता दल था, तब भी मोहन प्रसाद गुप्ता लालू प्रसाद के साथ थे. 1997 में राजद की स्थापना के बाद वह हमेशा राजद के साथ रहे. मोहन प्रसाद गुप्ता जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं. सबसे खास बात यह कि वह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव दोनों की पसंद हैं.


सुबास की बेदाग छवि का सहाराः बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में (Gopalganj assembly by election) उतरी कुसुम देवी को अपने पति के इमेज का सहारा है. अक्टूबर 2005 से लगातार गोपालगंज के विधायक रहे पूर्व मंत्री सुबास सिंह की पत्नी कुसुम देवी के साथ सबसे बड़ा और अहम फैक्टर यह है कि वह सर्व सुलभ हैं. यानी कोई भी उनसे मुलाकात कर सकता है सुबास सिंह की भी छवि गोपालगंज में कुछ ऐसी ही थी. सुबाष सिंह हर किसी से मिलते थे. कुसुम देवी को सुबाष सिंह के पॉलीटिकल बैकग्राउंड पर भरोसा है. मोहन गुप्ता की तरह कुसुम देवी की भी छवि बेदाग है. उन पर किसी भी तरह का कोई आरोप नहीं है. सुबास सिंह राजपूत जाति से ताल्लुक रखते थे, ऐसे में इस विधानसभा उप चुनाव में कुसुम देवी को राजपूत वोटरों का सपोर्ट मिलेगा. सहानुभूति वोट का भी फायदा हो सकता है.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में उपचुनाव: गोपालगंज-मोकामा में नीतीश तेजस्वी का पहला लिटमस टेस्ट

साधु की पत्नी मैदान मेंः बसपा के टिकट पर अपनी दावेदारी पेश कर रही इंदिरा यादव के पिता रामाधार यादव की पहचान गोपालगंज में एक समाजवादी नेता की रही है. ऐसा माना जाता है कि 1970 के दशक में रामाधार यादव ने गोपालगंज के समाजवादी राजनीति में अहम योगदान दिया था. इंदिरा यादव की छवि साफ-सुथरी है और एक शिक्षाविद के रूप में भी उनकी पहचान रही है. राजधानी पटना के गर्दनीबाग महिला कॉलेज में इंदिरा असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवा दे चुकी हैं. हालांकि इससे अलग इंदिरा यादव के पति गोपालगंज के पूर्व विधायक और सांसद साधु यादव की छवि एक दबंग राजनेता के रूप में रही है.


वोटरों का समीकरणः गोपालगंज बिहार की उन सीटों में शामिल है जहां पर करीब 20 सालों से बीजेपी का दबदबा रहा है. इस सीट पर राजद की तरफ से दो बार से मुस्लिम उम्मीदवार रेयाज उल हक उर्फ राजू को टिकट मिला था, लेकिन ध्रुवीकरण की राजनीति का फायदा बीजेपी को मिला. सुबास सिंह ने अब तक बाजी मारी थी. अगर वोटरों की संख्या देखी जाए तो गोपालगंज विधानसभा सीट पर यादव वोटरों की संख्या 46 हजार के करीब है. करीब 58000 से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. माई समीकरण के इस वोट बैंक को लेकर राजद को फायदा मिल सकता है. अगर सवर्ण वोटरों के आंकड़े को देखें तो इस सीट पर 18000 के करीब राजपूत वोटर हैं. यह वोटर अभी तक एक तरफा बीजेपी के पक्ष में वोटिंग करते रहा है. वर्तमान में राजद के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे मोहन गुप्ता जिस समुदाय यानी कलवार से ताल्लुक रखते हैं तो इस जाति के करीब 3600 वोटर हैं. अन्य सवर्ण जातियों में साढ़े 13 हजार के करीब ब्राह्मण और 16 हजार के करीब भूमिहार वोटर हैं. कायस्थ वोटरों की बात करें तो साढ़े आठ हजार से ज्यादा कायस्थ वोटर हैं.

इसे भी पढ़ेंः गोपालगंज में गरजे तेजस्वी- '17 साल BJP को दिया, RJD को सिर्फ 3 साल का समय दीजिए'

पिछड़े वर्ग का वोटर अहमः गोपालगंज विधानसभा सीट पर एक सबसे बड़ा फैक्टर पिछड़ों का वोट बैंक है. इस विधानसभा सीट पर 50,000 से ज्यादा पिछड़े वोट बैंक वाले वोटर हैं. खास बात यह है कि यह वोटर साइलेंट रहते हैं. लेकिन वोट के लिहाज से देखा जाए तो यह वोटर जिधर भी जाते हैं, उस उम्मीदवार की जीत तय मानी जाती है. वरिष्ठ पत्रकार और बिहार की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले ओमप्रकाश अश्क कहते हैं, बिहार में 2 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं जिसमें से एक गोपालगंज तथा दूसरा मोकामा है. संयोग ऐसा है कि इन दोनों ही सीटों पर निवर्तमान विधायकों की पत्नियां चुनाव के मैदान में हैं. यानी मोकामा में अनंत सिंह की जो सीट थी, अनंत सिंह को भी सजा हुई है हाल ही में और उनकी विधायकी चली गई है तो उनकी पत्नी आरजेडी के टिकट पर यानी महागठबंधन का उम्मीदवार बन के मैदान में हैं.

इसे भी पढ़ेंः 'BJP के चिराग' पर JDU और RJD ने साधा निशाना- 'कुछ भी कर लें जीत महागठबंधन की ही होगी'

महागठबंधन को हो सकता नुकसानः गोपालगंज में दिवंगत सुबाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी चुनाव मैदान में है. कुसुम बीजेपी की उम्मीदवार हैं. सुबाष के साथ सबसे बड़ी खासियत यह है कि कि वह 2005 से लगातार विधायक रहे थे. उन्होंने अपनी मेहनत से जो जमीन पुख्ता की, वह अलग चीज है. आरजेडी ने भी गोपालगंज में नया दांव खेला है. आरजेडी ने तमाम चीजों को दरकिनार करते हुए एक व्यापारी मोहन गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है. मोहन गुप्ता जिस वर्ग से आते हैं, उनका वोट तो है ही प्लस महागठबंधन के घटक दल हैं. उनके वोट भी मोहन गुप्ता को जा सकता है, लेकिन गोपालगंज में साधु यादव रंग में भंग डाल सकते हैं. पिछले चुनाव में साधु यादव दूसरे नंबर पर रहे थे. यानी इस बार साधु यादव ने ऐसा कुछ कर दिया तो यह मान के चलना चाहिए कि वह महागठबंधन को नुकसान पहुंचाएंगे.






पटना: बिहार में गोपालगंज और मोकामा विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हो रहे हैं. तीन नवंबर को वोट डाले जाएंगे. छह नवंबर को चुनाव परिणाम आ जाएगा. लेकिन, अभी से सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा (Who will win in Gopalganj) पेश कर रहे हैं. एक और दिलचस्प पहलू यह भी है कि महागठबंधन की तरफ से अपनी दावेदारी पेश कर रहे मोहन प्रसाद गुप्ता, बीजेपी की टिकट पर खड़ी हुई कुसुम देवी और बसपा के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रही इंदिरा यादव पहली बार चुनावी जंग में उतर रही हैं.

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गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में कौन मारेगा बाजी.



महागठबंधन ने पहली बार किसी व्यापारी को टिकट दियाः राजद या यूं कहें महागठबंधन में पहली बार किसी व्यापारी को टिकट दिया गया है. मोहन प्रसाद गुप्ता वैश्य समाज से ताल्लुक रखते हैं. इस लिहाज से इस समाज में उनकी पैठ है. मोहन प्रसाद गुप्ता के अन्य अहम फैक्टर के बारे में बात की जाए तो इनके साथ एक सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट यह भी है कि फॉरवर्ड लॉबी में भी इनकी ठीक-ठाक पकड़ मानी जाती है. मोहन शुरू से ही आरजेडी के एक समर्पित सिपाही रहे हैं. जब जनता दल था, तब भी मोहन प्रसाद गुप्ता लालू प्रसाद के साथ थे. 1997 में राजद की स्थापना के बाद वह हमेशा राजद के साथ रहे. मोहन प्रसाद गुप्ता जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं. सबसे खास बात यह कि वह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव दोनों की पसंद हैं.


सुबास की बेदाग छवि का सहाराः बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में (Gopalganj assembly by election) उतरी कुसुम देवी को अपने पति के इमेज का सहारा है. अक्टूबर 2005 से लगातार गोपालगंज के विधायक रहे पूर्व मंत्री सुबास सिंह की पत्नी कुसुम देवी के साथ सबसे बड़ा और अहम फैक्टर यह है कि वह सर्व सुलभ हैं. यानी कोई भी उनसे मुलाकात कर सकता है सुबास सिंह की भी छवि गोपालगंज में कुछ ऐसी ही थी. सुबाष सिंह हर किसी से मिलते थे. कुसुम देवी को सुबाष सिंह के पॉलीटिकल बैकग्राउंड पर भरोसा है. मोहन गुप्ता की तरह कुसुम देवी की भी छवि बेदाग है. उन पर किसी भी तरह का कोई आरोप नहीं है. सुबास सिंह राजपूत जाति से ताल्लुक रखते थे, ऐसे में इस विधानसभा उप चुनाव में कुसुम देवी को राजपूत वोटरों का सपोर्ट मिलेगा. सहानुभूति वोट का भी फायदा हो सकता है.

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साधु की पत्नी मैदान मेंः बसपा के टिकट पर अपनी दावेदारी पेश कर रही इंदिरा यादव के पिता रामाधार यादव की पहचान गोपालगंज में एक समाजवादी नेता की रही है. ऐसा माना जाता है कि 1970 के दशक में रामाधार यादव ने गोपालगंज के समाजवादी राजनीति में अहम योगदान दिया था. इंदिरा यादव की छवि साफ-सुथरी है और एक शिक्षाविद के रूप में भी उनकी पहचान रही है. राजधानी पटना के गर्दनीबाग महिला कॉलेज में इंदिरा असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर अपनी सेवा दे चुकी हैं. हालांकि इससे अलग इंदिरा यादव के पति गोपालगंज के पूर्व विधायक और सांसद साधु यादव की छवि एक दबंग राजनेता के रूप में रही है.


वोटरों का समीकरणः गोपालगंज बिहार की उन सीटों में शामिल है जहां पर करीब 20 सालों से बीजेपी का दबदबा रहा है. इस सीट पर राजद की तरफ से दो बार से मुस्लिम उम्मीदवार रेयाज उल हक उर्फ राजू को टिकट मिला था, लेकिन ध्रुवीकरण की राजनीति का फायदा बीजेपी को मिला. सुबास सिंह ने अब तक बाजी मारी थी. अगर वोटरों की संख्या देखी जाए तो गोपालगंज विधानसभा सीट पर यादव वोटरों की संख्या 46 हजार के करीब है. करीब 58000 से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. माई समीकरण के इस वोट बैंक को लेकर राजद को फायदा मिल सकता है. अगर सवर्ण वोटरों के आंकड़े को देखें तो इस सीट पर 18000 के करीब राजपूत वोटर हैं. यह वोटर अभी तक एक तरफा बीजेपी के पक्ष में वोटिंग करते रहा है. वर्तमान में राजद के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे मोहन गुप्ता जिस समुदाय यानी कलवार से ताल्लुक रखते हैं तो इस जाति के करीब 3600 वोटर हैं. अन्य सवर्ण जातियों में साढ़े 13 हजार के करीब ब्राह्मण और 16 हजार के करीब भूमिहार वोटर हैं. कायस्थ वोटरों की बात करें तो साढ़े आठ हजार से ज्यादा कायस्थ वोटर हैं.

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पिछड़े वर्ग का वोटर अहमः गोपालगंज विधानसभा सीट पर एक सबसे बड़ा फैक्टर पिछड़ों का वोट बैंक है. इस विधानसभा सीट पर 50,000 से ज्यादा पिछड़े वोट बैंक वाले वोटर हैं. खास बात यह है कि यह वोटर साइलेंट रहते हैं. लेकिन वोट के लिहाज से देखा जाए तो यह वोटर जिधर भी जाते हैं, उस उम्मीदवार की जीत तय मानी जाती है. वरिष्ठ पत्रकार और बिहार की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले ओमप्रकाश अश्क कहते हैं, बिहार में 2 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं जिसमें से एक गोपालगंज तथा दूसरा मोकामा है. संयोग ऐसा है कि इन दोनों ही सीटों पर निवर्तमान विधायकों की पत्नियां चुनाव के मैदान में हैं. यानी मोकामा में अनंत सिंह की जो सीट थी, अनंत सिंह को भी सजा हुई है हाल ही में और उनकी विधायकी चली गई है तो उनकी पत्नी आरजेडी के टिकट पर यानी महागठबंधन का उम्मीदवार बन के मैदान में हैं.

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महागठबंधन को हो सकता नुकसानः गोपालगंज में दिवंगत सुबाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी चुनाव मैदान में है. कुसुम बीजेपी की उम्मीदवार हैं. सुबाष के साथ सबसे बड़ी खासियत यह है कि कि वह 2005 से लगातार विधायक रहे थे. उन्होंने अपनी मेहनत से जो जमीन पुख्ता की, वह अलग चीज है. आरजेडी ने भी गोपालगंज में नया दांव खेला है. आरजेडी ने तमाम चीजों को दरकिनार करते हुए एक व्यापारी मोहन गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है. मोहन गुप्ता जिस वर्ग से आते हैं, उनका वोट तो है ही प्लस महागठबंधन के घटक दल हैं. उनके वोट भी मोहन गुप्ता को जा सकता है, लेकिन गोपालगंज में साधु यादव रंग में भंग डाल सकते हैं. पिछले चुनाव में साधु यादव दूसरे नंबर पर रहे थे. यानी इस बार साधु यादव ने ऐसा कुछ कर दिया तो यह मान के चलना चाहिए कि वह महागठबंधन को नुकसान पहुंचाएंगे.






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