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वाल्मीकि नगर बाराज से छोड़ गया साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी, बाढ़ के भय से दियारावासी कर रहे पलायन

वाल्मीकि नगर बाराज से साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से दियरावासियों में डर का माहौल है. जिस कारण ग्रामीणों ने अपना घर बाड़ छोड़ कर पलायन करना शुरू कर दिया है.

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Published : Jul 21, 2020, 9:44 PM IST

Updated : Jul 24, 2020, 12:12 AM IST

गोपालगंज: वाल्मीकि नगर बाराज से साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से दियरावासियों में डर का माहौल है. जिस कारण ग्रामीणों ने अपना घर बाड़ छोड़ कर पलायन करना शुरू कर दिया है. ऐसी परिस्थिति में इन ग्रामीणों को प्रशासनिक सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. मजबूर होकर ग्रामीणों ने घुटना भर पानी पार कर या प्राइवेट नाव के सहारे उचे स्थान की ओर जा रहे हैं.

पलायन कर रहे ग्रामीण
पलायन कर रहे ग्रामीण

बता दें कि गोपालगंज एक बाढ़ प्रभावित इलाका है. यहां गंडक नदी के उफान के कारण कई लोग बेघर हो गए. वर्ष 2000 में गंडक नदी में वाल्मीकि नगर बराज द्वारा 4 लाख 71 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से ख़्वाजेपुर छरकी टूट गया था. साथ ही पानी आगे बढ़ते हुए मांझा प्रखण्ड के गौसिया सारण तटबन्ध को तोड़ते हुए कई गांव को अपने आगोश में ले लिया था. इसके बाद 2013 में बतरदेह बांध और 2017 में आई बाढ़ ने सिकटिया बांध को तोड़ा दिया था. तब भी काफी लोगों के जान-माल का नुकसान हुआ था.

देखें रिपोर्ट

बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन तैयार
एक बार फिर वाल्मीकि नगर बाराज से छोड़े गए साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी के कारण गौसिया, भइसहि, सिकटिया सलेमपुर के तटबंधों पर दबाव पड़ने और बाढ़ की विभीषिका का डर लोगो को सताने लगा है. बता दें कि जिला प्रशासन भी बाढ़ की विभीषिका से निबटने वे लिए पूरी तरह से मुस्तैद है.

गोपालगंज: वाल्मीकि नगर बाराज से साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से दियरावासियों में डर का माहौल है. जिस कारण ग्रामीणों ने अपना घर बाड़ छोड़ कर पलायन करना शुरू कर दिया है. ऐसी परिस्थिति में इन ग्रामीणों को प्रशासनिक सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. मजबूर होकर ग्रामीणों ने घुटना भर पानी पार कर या प्राइवेट नाव के सहारे उचे स्थान की ओर जा रहे हैं.

पलायन कर रहे ग्रामीण
पलायन कर रहे ग्रामीण

बता दें कि गोपालगंज एक बाढ़ प्रभावित इलाका है. यहां गंडक नदी के उफान के कारण कई लोग बेघर हो गए. वर्ष 2000 में गंडक नदी में वाल्मीकि नगर बराज द्वारा 4 लाख 71 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से ख़्वाजेपुर छरकी टूट गया था. साथ ही पानी आगे बढ़ते हुए मांझा प्रखण्ड के गौसिया सारण तटबन्ध को तोड़ते हुए कई गांव को अपने आगोश में ले लिया था. इसके बाद 2013 में बतरदेह बांध और 2017 में आई बाढ़ ने सिकटिया बांध को तोड़ा दिया था. तब भी काफी लोगों के जान-माल का नुकसान हुआ था.

देखें रिपोर्ट

बाढ़ से निपटने के लिए जिला प्रशासन तैयार
एक बार फिर वाल्मीकि नगर बाराज से छोड़े गए साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी के कारण गौसिया, भइसहि, सिकटिया सलेमपुर के तटबंधों पर दबाव पड़ने और बाढ़ की विभीषिका का डर लोगो को सताने लगा है. बता दें कि जिला प्रशासन भी बाढ़ की विभीषिका से निबटने वे लिए पूरी तरह से मुस्तैद है.

Last Updated : Jul 24, 2020, 12:12 AM IST
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