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CM साहब, जरा इधर भी देखिए...जान जोखिम में डाल स्कूल जाते हैं बच्चे

सुशासन की सरकार की दावों की पोल खोलती है गोपलगंज के विजयीपुर प्रखंड की तस्वीर. आजादी के 72 साल बाद भी 3 पंचायत के लोगों को पुल नसीब नहीं है. यहां के बच्चे चचरी पुल से जान हथेली पर रखकर स्कूल पढ़ने जाते हैं.

चचरी पुल
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Published : Jul 7, 2019, 9:00 AM IST

Updated : Jul 7, 2019, 9:22 AM IST

गोपालगंज: बिहार में सड़क, पुल की जाल बिछाने का सुशासन सरकार दावा करती है. लेकिन आज भी गोपालगंज जिले के विजयीपुर प्रखंड की एक बड़ी आबादी इस सुविधा से वंचित है. जिला मुख्यालय गोपालगंज से 70 किलोमीटर दूर स्थित है विजयीपुर प्रखंड.

ईटीवी भारत संवादाता की रिपोर्ट

आज भी यहां 13 पंचायत के लोगों को पुल नसीब नहीं हो पाया है. आवागमन का एक मात्र साधन है, चचरी पुल. 13 पंचायत की डेढ़ लाख आबादी इस पुल के भरोसे है. इस पुल से देश का भविष्य, नौनिहाल बच्चे भी जान हथेली पर रखकर स्कूल पढ़ने जाते हैं. जहां अक्सर दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है.

चचरी पुल के सहारे कट रही जिन्दगी
डिजिटल इंडिया के दौर में आजादी के 72 साल बाद भी यहां के लोगों को एक पुल तक नसीब नहीं पाया है. खुद के बनाए चचरी के पुल से आवागमन करते हैं. बरसात के दिनों में चचरी पुल भी नसीब नहीं होतो. सिर्फ रहती है तो नाव. जिसके सहारे लोगों की जिन्दगी कटती है. कई बार दुर्घटना होने के बावजूद सरकार कुम्भकर्णी नींद में सो रही है.

gopalganj
चचरी पुल से आवागमन करते लोग

जनप्रतिनिधियों से मिलता है सिर्फ आश्वासन
यूपी-बिहार सीमा पर स्थित खनुवा नदी के किनारे बसे लोग दशकों से परेशानी का सामना कर रहे हैं. प्रखंड से लेकर सीएम तक लोग गुहार लगा चुके हैं. लेकिन स्थिति जस कि तस है. ग्रामीण को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जनप्रतिनिधियों ने बार-बार आश्वासन दिया. लेकिन इनकी तकदीर नहीं बदल पायी. रोजाना, बच्चे, युवा, महिला, पुरूष इसी चचरी पुल से होकर गुजरते हैं. नदी पर पूल नहीं रहने से भरपुरा, बड़का कोटा, छोटका खुटाहां समेत दर्जनों पंचायत के लोग इन पुल पर निर्भर है. वही भरपुरा पंचायत के सरपंच संजय यादव कहते है, इस संदर्भ में कई बार अधिकारियों को ध्यानाकर्षण कराया गया लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला.

गोपालगंज: बिहार में सड़क, पुल की जाल बिछाने का सुशासन सरकार दावा करती है. लेकिन आज भी गोपालगंज जिले के विजयीपुर प्रखंड की एक बड़ी आबादी इस सुविधा से वंचित है. जिला मुख्यालय गोपालगंज से 70 किलोमीटर दूर स्थित है विजयीपुर प्रखंड.

ईटीवी भारत संवादाता की रिपोर्ट

आज भी यहां 13 पंचायत के लोगों को पुल नसीब नहीं हो पाया है. आवागमन का एक मात्र साधन है, चचरी पुल. 13 पंचायत की डेढ़ लाख आबादी इस पुल के भरोसे है. इस पुल से देश का भविष्य, नौनिहाल बच्चे भी जान हथेली पर रखकर स्कूल पढ़ने जाते हैं. जहां अक्सर दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है.

चचरी पुल के सहारे कट रही जिन्दगी
डिजिटल इंडिया के दौर में आजादी के 72 साल बाद भी यहां के लोगों को एक पुल तक नसीब नहीं पाया है. खुद के बनाए चचरी के पुल से आवागमन करते हैं. बरसात के दिनों में चचरी पुल भी नसीब नहीं होतो. सिर्फ रहती है तो नाव. जिसके सहारे लोगों की जिन्दगी कटती है. कई बार दुर्घटना होने के बावजूद सरकार कुम्भकर्णी नींद में सो रही है.

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चचरी पुल से आवागमन करते लोग

जनप्रतिनिधियों से मिलता है सिर्फ आश्वासन
यूपी-बिहार सीमा पर स्थित खनुवा नदी के किनारे बसे लोग दशकों से परेशानी का सामना कर रहे हैं. प्रखंड से लेकर सीएम तक लोग गुहार लगा चुके हैं. लेकिन स्थिति जस कि तस है. ग्रामीण को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए जनप्रतिनिधियों ने बार-बार आश्वासन दिया. लेकिन इनकी तकदीर नहीं बदल पायी. रोजाना, बच्चे, युवा, महिला, पुरूष इसी चचरी पुल से होकर गुजरते हैं. नदी पर पूल नहीं रहने से भरपुरा, बड़का कोटा, छोटका खुटाहां समेत दर्जनों पंचायत के लोग इन पुल पर निर्भर है. वही भरपुरा पंचायत के सरपंच संजय यादव कहते है, इस संदर्भ में कई बार अधिकारियों को ध्यानाकर्षण कराया गया लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला.

Intro:जिला मुख्यालय गोपालगंज से 70 किलोमीटर दूर विजयीपुर प्रखंड के 13 पंचायत के लोगों का आज भी चचरी पुल से आवागमन होता है तेरा पंचायत के करीब डेढ़ लाख की आबादी चाचा जी के पुल के जरिए आवागमन को मजबूर है


Body:एक ओर जहां पूरा देश विकासशील के दौर में है। देश में डिजिटल इंडिया की बात की जाती है। लेकिन आजादी के 72 वर्ष गुजर जाने के बाद भी यहां के लोगों को एक पुल नसीब नहीं हुआ। लोग खुद के बनाए चचरी के पुल से आवागमन करते हैं। सबसे अधिक परेशानी स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों को होती है। जिसे पुल पार कराने के लिए उनके अभिभावक को साथ जाना पड़ता है या खुद यह बच्चे अपनी जान हथेली पर रखकर चचरी के पुल पार करते हैं। बरसात के दिनों में यह चचरी के पुल भी नही रहता, सिर्फ रहती है तो नाव और उसी नाव के सहारे लोगो की जिंदगी कटती है। कई बार नाव हादसा तो कई बार चचरी के पूल से बच्चे गिर गए है यहां तक कि ग्रामीणों के सहयोग से खुद के बनाये गए बांस के चचरी पुल से गिर कर कई लोगो की मौत भी हो चुकी है। बावजूद विभागीय कार्यवाई नगण्य सबित हो रही है। बता दें कि जिले के पश्चिमी छोर तथा यूपी-बिहार सीमा पर स्थित खनुवा नदी के किनारे के लोग दशकों से इस परेशानी से जूझ रहे हैं यहां के ग्रामीण व नदी पर पुल बनाने की मांग जिला प्रशासन से लेकर सुबे के मुख्यमंत्री तक कर चुके हैं लेकिन आज तक किसी ने इसकी सुध लेने की कोशिश नहीं कि यहां के लोग जान जोखिम में डालकर बरसात के दिनों में नाव के सहारे और पानी कम होने पर चचरी पुल के सहारे नदी पार करते हैं। इनकी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए जनप्रतिनिधियों द्वारा कई बार आश्वासन दिया गया लेकिन आज तक किसी ने कोई पहल नहीं की ग्रामीणों को रोजमर्रा की सामान बच्चों के पढ़ाई दवाई के लिए रोज नदी पार करके प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है। इस खनुआ नदी पर पूल नही होने के कारण भरपुरा, बड़का कोटा, छोटका खुटाहां,बभनौली,नौका टोला, खेरवा टोला, बाबू टोला, मानकदी कवलाचक, गिरिडीह, नोनापाकर,चौमुखा,मटियारी, सुदामाचक, रतनपुरा समेत दर्जनो पंचायत के लोग इन पुल पर निर्भर है। वही भरपुरा पंचायत के सरपंच संजय यादव के माने तो उनका कहना है कि इस संदर्भ में कई बार अधिकारियों के आलावे सरकर को ध्यानाकर्षण कराया गया लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला


Conclusion:na
Last Updated : Jul 7, 2019, 9:22 AM IST
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