गोपालगंज: शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार जहां करोड़ों रूपये खर्च करती है. वहीं, शिक्षा की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. छात्र-छात्राओं को गुणवत्तपूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है. जिले में शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण कई स्कूलों की स्थिति काफी दयनीय है. शैक्षणिक संसाधनों के घोर अभाव के बीच जिले के कई मध्य विद्यालयों को अपग्रेड कर उच्च विद्यालय किया गया है.
मूलभूत सुविधाओं का अभाव
बतातें चलें कि मिडिल स्कूल से हाई स्कूल किये स्कूलों में छात्रों को मूलभूत सुविधा भी नहीं मिलती है. कई स्कूलों में कक्षा नौवीं और दसवीं के वर्ग संचालन के लिए शिक्षक भी नहीं है. वहीं, बिना वर्ग संचालन के ही बच्चे मैट्रिक की परीक्षा भी पास कर रहे हैं.
जमीन पर बोरा बिछा करते हैं पढ़ाई
उचकागांव प्रखण्ड के मुड़ा मकसूदपुर गांव के उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय को अपग्रेड हुए चार साल हो गए हैं. लेकिन आज तक बच्चों के बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था नहीं हुई है. छात्र-छात्राएं अपने घर से बोरे लाकर जमीन पर बिछाकर पढ़ाई करते हैं. इस विद्यालय में शिक्षकों के लिए कुर्सी तक नहीं है. यहां के शिक्षक खुद के पैसे से खरीदे कुर्सी पर बैठते हैं. साथ ही बदहाली का आलम यह है कि स्कूल में नामांकित 3 सौ छात्र-छात्राओं पर महज 3 शिक्षक ही हैं. जो कि इन छात्रो के भविष्य को संवारने में लगे हुए हैं. वहीं, इस विद्यालय से साल 2018 में आयोजित मैट्रिक परीक्षा में 150 छात्र परीक्षा में शामिल हुए. जिसमें से 88 प्रतिशत छात्र उतीर्ण हुए. वहीं, वर्ष 2019 में 160 परीक्षाथियों में से 60 प्रतिशत छात्र उतीर्ण हुए.
छात्र-छात्राओं को होती है परेशानी
ऐसी ही स्थिति कुचायकोट प्रखंड के अपग्रेड हाई स्कूल गोपालपुर परसौनी का है. यहां नौवीं और दसवीं कक्षा के 189 बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. स्कूल में मूलभूद संसाधनों के अभाव के कारण छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियां होती है. स्कूल में नौवीं और दसवीं के लिए शिक्षकों की बहाली नहीं की गई है.
शिक्षक रिपोर्ट बनाने में ही रह जाते हैं
स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने बताया कि वर्ग में बैठने के लिए बेंच-डेस्क नहीं होने के कारण काफी परेशानी होती है. वहीं, हमारे विद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ने में भी दिक्कत हो रही है. कोई भी शिक्षक समय कम होने के कारण अच्छे से पढ़ा नहीं पाते हैं. वहीं, शिक्षक राकेश कुमार का कहना है कि स्कूल में शिक्षकों की संख्या कम रहने के कारण काफी परेशानी होती है. विद्यालय के कार्यों का रिपोर्ट तैयार करने में ही निकल जाता है. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा ने बताया कि संसाधन की कमी है. लेकिन विभाग के निर्देशानुसार संसाधनों पर काम किया जा रहा है.
- कुल हाई स्कूल की संख्या 175 है.
- नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या एक लाख है.
- अपग्रेड हाई स्कूलों की संख्या 114 है.
- अपग्रोड प्लस टू स्कूलों की संख्या 61 है.