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गोपालगंज: बिना सुविधाओं के ही अपग्रेड हो गए सैकड़ों मिडिल स्कूल, आज भी जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं छात्र - Basic amenities

मिडिल स्कूल से हाई स्कूल किये गए स्कूलों में छात्रों को मूलभूत सुविधा भी नहीं मिलती है. कई स्कूलों में कक्षा नौवीं और दसवीं के वर्ग संचालन के लिए शिक्षक भी नहीं है. वहीं, बिना वर्ग संचालन के ही बच्चे मैट्रिक की परीक्षा भी पास कर रहे हैं.

जमीन पर पढ़ाई करते बच्चे
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Published : Jul 21, 2019, 12:55 PM IST

गोपालगंज: शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार जहां करोड़ों रूपये खर्च करती है. वहीं, शिक्षा की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. छात्र-छात्राओं को गुणवत्तपूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है. जिले में शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण कई स्कूलों की स्थिति काफी दयनीय है. शैक्षणिक संसाधनों के घोर अभाव के बीच जिले के कई मध्य विद्यालयों को अपग्रेड कर उच्च विद्यालय किया गया है.

मूलभूत सुविधाओं का अभाव

बतातें चलें कि मिडिल स्कूल से हाई स्कूल किये स्कूलों में छात्रों को मूलभूत सुविधा भी नहीं मिलती है. कई स्कूलों में कक्षा नौवीं और दसवीं के वर्ग संचालन के लिए शिक्षक भी नहीं है. वहीं, बिना वर्ग संचालन के ही बच्चे मैट्रिक की परीक्षा भी पास कर रहे हैं.

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जमीन पर बैठकर परीक्षा देते छात्र-छात्राएं

जमीन पर बोरा बिछा करते हैं पढ़ाई

उचकागांव प्रखण्ड के मुड़ा मकसूदपुर गांव के उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय को अपग्रेड हुए चार साल हो गए हैं. लेकिन आज तक बच्चों के बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था नहीं हुई है. छात्र-छात्राएं अपने घर से बोरे लाकर जमीन पर बिछाकर पढ़ाई करते हैं. इस विद्यालय में शिक्षकों के लिए कुर्सी तक नहीं है. यहां के शिक्षक खुद के पैसे से खरीदे कुर्सी पर बैठते हैं. साथ ही बदहाली का आलम यह है कि स्कूल में नामांकित 3 सौ छात्र-छात्राओं पर महज 3 शिक्षक ही हैं. जो कि इन छात्रो के भविष्य को संवारने में लगे हुए हैं. वहीं, इस विद्यालय से साल 2018 में आयोजित मैट्रिक परीक्षा में 150 छात्र परीक्षा में शामिल हुए. जिसमें से 88 प्रतिशत छात्र उतीर्ण हुए. वहीं, वर्ष 2019 में 160 परीक्षाथियों में से 60 प्रतिशत छात्र उतीर्ण हुए.

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जमीन पर बैठकर परीक्षा देते छात्र-छात्राएं

छात्र-छात्राओं को होती है परेशानी

ऐसी ही स्थिति कुचायकोट प्रखंड के अपग्रेड हाई स्कूल गोपालपुर परसौनी का है. यहां नौवीं और दसवीं कक्षा के 189 बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. स्कूल में मूलभूद संसाधनों के अभाव के कारण छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियां होती है. स्कूल में नौवीं और दसवीं के लिए शिक्षकों की बहाली नहीं की गई है.

विद्यालय की बदहाल स्थिति

शिक्षक रिपोर्ट बनाने में ही रह जाते हैं

स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने बताया कि वर्ग में बैठने के लिए बेंच-डेस्क नहीं होने के कारण काफी परेशानी होती है. वहीं, हमारे विद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ने में भी दिक्कत हो रही है. कोई भी शिक्षक समय कम होने के कारण अच्छे से पढ़ा नहीं पाते हैं. वहीं, शिक्षक राकेश कुमार का कहना है कि स्कूल में शिक्षकों की संख्या कम रहने के कारण काफी परेशानी होती है. विद्यालय के कार्यों का रिपोर्ट तैयार करने में ही निकल जाता है. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा ने बताया कि संसाधन की कमी है. लेकिन विभाग के निर्देशानुसार संसाधनों पर काम किया जा रहा है.

  • कुल हाई स्कूल की संख्या 175 है.
  • नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या एक लाख है.
  • अपग्रेड हाई स्कूलों की संख्या 114 है.
  • अपग्रोड प्लस टू स्कूलों की संख्या 61 है.

गोपालगंज: शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार जहां करोड़ों रूपये खर्च करती है. वहीं, शिक्षा की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. छात्र-छात्राओं को गुणवत्तपूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है. जिले में शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण कई स्कूलों की स्थिति काफी दयनीय है. शैक्षणिक संसाधनों के घोर अभाव के बीच जिले के कई मध्य विद्यालयों को अपग्रेड कर उच्च विद्यालय किया गया है.

मूलभूत सुविधाओं का अभाव

बतातें चलें कि मिडिल स्कूल से हाई स्कूल किये स्कूलों में छात्रों को मूलभूत सुविधा भी नहीं मिलती है. कई स्कूलों में कक्षा नौवीं और दसवीं के वर्ग संचालन के लिए शिक्षक भी नहीं है. वहीं, बिना वर्ग संचालन के ही बच्चे मैट्रिक की परीक्षा भी पास कर रहे हैं.

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जमीन पर बैठकर परीक्षा देते छात्र-छात्राएं

जमीन पर बोरा बिछा करते हैं पढ़ाई

उचकागांव प्रखण्ड के मुड़ा मकसूदपुर गांव के उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय को अपग्रेड हुए चार साल हो गए हैं. लेकिन आज तक बच्चों के बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था नहीं हुई है. छात्र-छात्राएं अपने घर से बोरे लाकर जमीन पर बिछाकर पढ़ाई करते हैं. इस विद्यालय में शिक्षकों के लिए कुर्सी तक नहीं है. यहां के शिक्षक खुद के पैसे से खरीदे कुर्सी पर बैठते हैं. साथ ही बदहाली का आलम यह है कि स्कूल में नामांकित 3 सौ छात्र-छात्राओं पर महज 3 शिक्षक ही हैं. जो कि इन छात्रो के भविष्य को संवारने में लगे हुए हैं. वहीं, इस विद्यालय से साल 2018 में आयोजित मैट्रिक परीक्षा में 150 छात्र परीक्षा में शामिल हुए. जिसमें से 88 प्रतिशत छात्र उतीर्ण हुए. वहीं, वर्ष 2019 में 160 परीक्षाथियों में से 60 प्रतिशत छात्र उतीर्ण हुए.

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जमीन पर बैठकर परीक्षा देते छात्र-छात्राएं

छात्र-छात्राओं को होती है परेशानी

ऐसी ही स्थिति कुचायकोट प्रखंड के अपग्रेड हाई स्कूल गोपालपुर परसौनी का है. यहां नौवीं और दसवीं कक्षा के 189 बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. स्कूल में मूलभूद संसाधनों के अभाव के कारण छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियां होती है. स्कूल में नौवीं और दसवीं के लिए शिक्षकों की बहाली नहीं की गई है.

विद्यालय की बदहाल स्थिति

शिक्षक रिपोर्ट बनाने में ही रह जाते हैं

स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने बताया कि वर्ग में बैठने के लिए बेंच-डेस्क नहीं होने के कारण काफी परेशानी होती है. वहीं, हमारे विद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ने में भी दिक्कत हो रही है. कोई भी शिक्षक समय कम होने के कारण अच्छे से पढ़ा नहीं पाते हैं. वहीं, शिक्षक राकेश कुमार का कहना है कि स्कूल में शिक्षकों की संख्या कम रहने के कारण काफी परेशानी होती है. विद्यालय के कार्यों का रिपोर्ट तैयार करने में ही निकल जाता है. इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा ने बताया कि संसाधन की कमी है. लेकिन विभाग के निर्देशानुसार संसाधनों पर काम किया जा रहा है.

  • कुल हाई स्कूल की संख्या 175 है.
  • नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या एक लाख है.
  • अपग्रेड हाई स्कूलों की संख्या 114 है.
  • अपग्रोड प्लस टू स्कूलों की संख्या 61 है.
Intro:गोपालगंज जिले में शिक्षा विभाग की स्थिति काफी दयनीय है। एक ओर जहां केंद्र से लेकर राज्य सरकार द्वारा शिक्षा पर करोड़ो रूपये खर्च किये जाते है वही शिक्षा की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है। कारण की शैक्षणिक संसाधनों के घोर अभाव के बीच देश का भविष्य कहे जाने वाले छात्रो की नाही सही से शिक्षा नशीब हो रही है और नाही मूलभूत सुविधा ही बावजूद सैकड़ों मिडिल स्कूल को अपग्रेड कर हाई स्कूल बना दिया गया।


Body:मिडिल स्कूल से हाई स्कूल किये स्कूलों में नाही छात्रो को मूलभूत सुविधा मिलती है और ना ही शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षक ही। कक्षा नौवीं व दसवीं के कक्षा के संचालन के लिए शिक्षक तक भी नहीं है। हैरत की बात तो यह है कि बिना वर्ग संचालन के ही बच्चे मैट्रिक की परीक्षा भी पास कर रहे हैं। यह सूरते हाल सिर्फ एक दो स्कूलों की नही बल्कि अधिकांश स्कूलों की ये स्थिति है अगर बात करे उचकागाँव प्रखण्ड के मुड़ा मकसूदपुर गांव के उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय की तो इस विद्यालय को अपग्रेड हुए चार साल हो गए लेकिन आज तक बच्चो के बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था नही हुई छात्र छात्राएं अपने घर से खुद बोरे लाकर जमीन पर विछा कर शिक्षा ग्रहण करते है। यहां तक कि शिक्षकों के लिए कुर्सी तक नही मिल सकी यहां के शिक्षक खुद के पैसे से कुर्सी खरीद कर बैठते है लेकिन ताज्जुब की बात तब सामने आई जब इस विद्यालय के नामांकित 3 सौ छात्र छात्राओं पर महज 3 शिक्षक ही छात्रो के भविष्य संवारने में लगे हुए है। अगर बात करे वर्ष 2018 में मैट्रिक परीक्षा में शामिल छात्र छात्राओं की तो 150 छात्र परीक्षा में शामिल हुए जिसमे 88 प्रतिशत छात्र उतीर्ण हुए। वही वर्ष 2019 की बात करे तो 160 परीक्षाथियों में 60 प्रतिशत छात्र उतीर्ण हुए। वही अगर बात करें
कुचायकोट प्रखंड के अपग्रेड हाई स्कूल गोपालपुर परसौनी का तो यहां नौवीं व दसवीं कक्षा के 189 बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं। स्कूल में मूल संसाधनों के अभाव से छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियां होती है। ऐसे में छात्रों की बेहतर भविष्य की कल्पना कैसे की जा सकती है। स्कूल में नौवीं और दसवीं के लिए शिक्षकों की बहाली नहीं की गई वर्ष 2016 में इसे हाई स्कूल का दर्जा दिया गया था दो बैच निकल जाने के बावजूद अभी तक शिक्षक बहाल नहीं किए गए लेकिन 2019 के मैट्रिक परीक्षा में 135 बच्चे पास किए तो वर्ष 2018 की परीक्षा में 112 बच्चे पास हुए वर्ष 2020 में भी यह स्कूल के करीब 89 बच्चे मैट्रिक के परीक्षा में शामिल होंगे। अब ऐसे में यह समझा जा सकता है कि जब स्कूलों में शिक्षक है ही नही तो ये बच्चे पास कैसे हो रहे है तो यह स्पष्ट है कि ये इन स्कूलों के बच्चों ने स्कूल की पढ़ाई से नहीं बल्कि कोचिंग कर परीक्षा की तैयारी की थी।जिसके बादल पास हुए।वही इस संदर्भ में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी संघमित्रा वर्मा से बात की गई तो उन्होंने भी माना कि संसाधन की कमी है लेकिन विभाग के निर्देशानुसार संसाधनों पर काम किये जा रहे है।

आंकड़ा एक नजर जिले में

कुल हाई स्कूल की संख्या 175
नामांकित छात्र छात्राएं एक लाख
अपग्रेड
हाई स्कूलों की संख्या 114
हाई स्कूलों प्लस टू स्कूलों की संख्या 61

बाइट-राकेश कुमार(शिक्षक)
संघमित्रा वर्मा, डीइओ
छात्र, छात्रा



Conclusion:na
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