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गरीब बच्चों का भविष्य संवारने वाले विवेकानंद आज खुद सरकार से लगा रहे मदद की गुहार

बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने वाले शिक्षक विवेकानंद शर्मा गंभीर बीमारी से पीड़ित है. इलाज के लिए सीएम और स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट कर मदद की गुहार लगाई है.

गोपालगंज
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Published : Sep 5, 2020, 2:08 PM IST

गोपालगंज: गरीब बच्चों को शिक्षा देने और पढ़ाई के प्रति अलख जगाने वाले विवेकानंद शर्मा आज खुद मदद की गुहार लगा रहे हैं. क्योंकि इनकी दोनों किडनी खराब हो गई है. जिसके लिए विवेकानंद ने सीएम और स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट कर इलाज के लिए मदद मांगी है.

विवेकानंद विकट परिस्थिति में भी गरीब बच्चों का भविष्य संवारने में लगे रहते थे. अपनी कमाई का आधा हिस्सा गरीब बच्चो में खर्च करते थे. गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाना और उनके कॉपी किताब की व्यवस्था करना इनका मकसद था. लेकिन आज हालात इस कदर हैं कि ये अपने जिंदगी बचाने के लिए सरकार से मदद की आस लगाए हैं.

गोपालगंज
सीएम और स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट कर इलाज के लिए मांगी मदद

डायलेसिस के लिए नहीं हैं पैसे
विवेकानंद शर्मा की मानें तो करीब चार साल से किडनी की बीमारी से ग्रसित हो गया था. सप्ताह में दो बार डायलेसिस करवाना पड़ता है. प्रति सप्ताह दस हजार रुपये खर्च होते हैं. प्राईवेट स्कूल में पढ़ाकर अपनी डायलेसिस करवा पाते थे. लेकिन कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद हो गए. जिससे डायलेसिस का खर्च नहीं निकल रहा है. फिलहाल आसपास के लोगों से कर्ज लेकर डायलेसिस करवा रहे हैं.

मदद के लिए लगाई है गुहार
उन्होंने बताया कि अब यह आखिरी डायलेसिस है. उसके बाद मैं अब इलाज कराने में असमर्थ हूं साथ ही लोगों से लिए हुए कर्ज चुकाने की भी चिंता सताती है. इसलिए ट्वीटर के माध्यम से मैं सरकार से मदद की गुहार लगा चुका हूं और ईटीवी भारत के माध्यम से भी सरकार से आग्रह करता हूं कि प्लीज हमारी मदद करें.

देखें पूरी रिपोर्ट

निजी कंपनी में करते थे काम
असहाय बच्चों को फ्री शिक्षा देने के लिए खोला स्कूल कुचायकोट प्रखंड के बंगालखाड़ गांव निवासी विवेकानंद शर्मा रिलायंस पेट्रो मैक्स और ओजो ग्रुप जैसी नामी कंपनी में मैनेजमेंट का काम करते थे. साल 2016 में इन्हें पता चला कि इनकी दोनों किडनी खराब है, जिसके बाद इन्होंने नौकरी छोड़ दी. अस्वस्थ्य होने के कारण विवेकानंद काफी चिंतित रहने लगे, फिर खुद को व्यस्त रखने के लिये इन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया.

अभिभावक करते थे मदद
वहीं कुछ दिनों बाद विवेकानंद ने गरीब और असहाय बच्चों के लिए फ्री स्कूल खोला, इस स्कूल में कुछ बच्चों के अभिभावक इनकी स्थिति को देख कर शुल्क देते थे, जिससे इनका इलाज होता था. लेकिन वर्तमान समय में स्कूल बंद होने के कारण इनके सामने इलाज कराने की समस्या उत्पन्न हो गई है.

गोपालगंज: गरीब बच्चों को शिक्षा देने और पढ़ाई के प्रति अलख जगाने वाले विवेकानंद शर्मा आज खुद मदद की गुहार लगा रहे हैं. क्योंकि इनकी दोनों किडनी खराब हो गई है. जिसके लिए विवेकानंद ने सीएम और स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट कर इलाज के लिए मदद मांगी है.

विवेकानंद विकट परिस्थिति में भी गरीब बच्चों का भविष्य संवारने में लगे रहते थे. अपनी कमाई का आधा हिस्सा गरीब बच्चो में खर्च करते थे. गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाना और उनके कॉपी किताब की व्यवस्था करना इनका मकसद था. लेकिन आज हालात इस कदर हैं कि ये अपने जिंदगी बचाने के लिए सरकार से मदद की आस लगाए हैं.

गोपालगंज
सीएम और स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट कर इलाज के लिए मांगी मदद

डायलेसिस के लिए नहीं हैं पैसे
विवेकानंद शर्मा की मानें तो करीब चार साल से किडनी की बीमारी से ग्रसित हो गया था. सप्ताह में दो बार डायलेसिस करवाना पड़ता है. प्रति सप्ताह दस हजार रुपये खर्च होते हैं. प्राईवेट स्कूल में पढ़ाकर अपनी डायलेसिस करवा पाते थे. लेकिन कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद हो गए. जिससे डायलेसिस का खर्च नहीं निकल रहा है. फिलहाल आसपास के लोगों से कर्ज लेकर डायलेसिस करवा रहे हैं.

मदद के लिए लगाई है गुहार
उन्होंने बताया कि अब यह आखिरी डायलेसिस है. उसके बाद मैं अब इलाज कराने में असमर्थ हूं साथ ही लोगों से लिए हुए कर्ज चुकाने की भी चिंता सताती है. इसलिए ट्वीटर के माध्यम से मैं सरकार से मदद की गुहार लगा चुका हूं और ईटीवी भारत के माध्यम से भी सरकार से आग्रह करता हूं कि प्लीज हमारी मदद करें.

देखें पूरी रिपोर्ट

निजी कंपनी में करते थे काम
असहाय बच्चों को फ्री शिक्षा देने के लिए खोला स्कूल कुचायकोट प्रखंड के बंगालखाड़ गांव निवासी विवेकानंद शर्मा रिलायंस पेट्रो मैक्स और ओजो ग्रुप जैसी नामी कंपनी में मैनेजमेंट का काम करते थे. साल 2016 में इन्हें पता चला कि इनकी दोनों किडनी खराब है, जिसके बाद इन्होंने नौकरी छोड़ दी. अस्वस्थ्य होने के कारण विवेकानंद काफी चिंतित रहने लगे, फिर खुद को व्यस्त रखने के लिये इन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया.

अभिभावक करते थे मदद
वहीं कुछ दिनों बाद विवेकानंद ने गरीब और असहाय बच्चों के लिए फ्री स्कूल खोला, इस स्कूल में कुछ बच्चों के अभिभावक इनकी स्थिति को देख कर शुल्क देते थे, जिससे इनका इलाज होता था. लेकिन वर्तमान समय में स्कूल बंद होने के कारण इनके सामने इलाज कराने की समस्या उत्पन्न हो गई है.

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