गोपालगंज: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) कानून लागू होने के बावजूद लगातार जहरीली शराब से मौतें हो रही हैं. इसी बीच गोपालगंज में 4 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत (Three suspicious death in Gopalganj) हुई है. मौतें गोपालगंज के बैकुंठपुर थाना क्षेत्र में हुई हैं. शनिवार सुबह हुई तीन मौतों के बाद पूरे जिले में हड़कंप मच गया है. वहीं कई लोगों की स्थिति गम्भीर बताई जा रही है, जिन्हें नर्सिंग होम में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है.
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परिजन बोले जहरीली शराब पीने से हुई मौत: : पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है. 4 लोगों की मौत मामले में जहरीली शराब पीने से मौत (Death due to poisonous liquor in Gopalganj) होने की आशंका जाहिर की जा रही है. परिजनों का कहना है कि जहरीली शराब से ही मौत हुई है. लेकिन पुलिस जहरीली शराब पीने से मौत की पुष्टि नहीं कर रही है. मृतकों की पहचान सोनवलिया कोड़र गांव निवासी जेके यादव एवं बसहां गांव निवासी देवेंद्र शर्मा के अलावे रमेश महतो के रूप में हुई है.
कईयों की हालत गंभीर: सोनवलिया कोड़र गांव निवासी और हमीदपुर पंचायत के वार्ड संख्या छह के वार्ड सदस्य रिंकू यादव सहित इलाके के कई लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है. पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है. इस सन्दर्भ में सदर एसडीपीओ संजीव कुमार ने कहा कि शराब पीने से किसी की मौत नहीं हुई है. घटना के बाद पुलिस मृतक के परिजनों से बात कर रही है. वहीं इस संदर्भ में जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने शराब पीने से मौत होने की बात से इंकार करते हुए बताया कि इस मामले की जांच कराई जाएगी.
जहरीली शराब से बिहार में हो चुकी हैं कई मौतें: बता दें कि जहरीली शराब से मौत का यह पहला मामला नहीं है. बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से जहरीली शराब से तकरीबन सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. कुछ दिनों पहले गोपालगंज और बेतिया में जहरीली शराब पीने से 24 लोगों की मौत हुई थी. इसके अलावा कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. जिसमें बेतिया में 8 और गोपालगंज में 16 लोगों की मौत हुई थी.
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दरअसल, प्रदेश में 2021 में जहरीली शराब से तकरीबन 70 लोगों की मौत हुई थी. जिसमें नवादा, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर, सिवान और रोहतास जिले शामिल है. जबकि मुजफ्फरपुर के पाली गांव में 28 अक्टूबर को जहरीली शराब पीने से 60 लोगों की मौत हुई थी. इसके बावजूद भी सरकार और प्रशासन नहीं जागा.
बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी: दरअसल, 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया था. 1 अप्रैल 2016 से लागू हुए कानून के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी भी नशीले पदार्थ या शराब का निर्माण वितरण परिवहन संग्रह भंडार खरीद बिक्री या उपभोग नहीं कर सकता है. हालांकि बिहार में जहरीली शराब से मौत के बाद शराबबंदी कानून को लेकर सवाल भी उठे हैं. जब बिहार में शराबबंदी लागू हुई थी, उस समय सरकार को शराबबंदी की वजह से 4000 करोड़ की क्षति हुई थी. उसके बाद यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ता गया. उस समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सामाजिक नुकसान इससे भी कहीं बढ़कर है. हम अन्य माध्यमों से घाटे की भरपाई करेंगे.
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