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स्कूल-कोचिंग बंद रहने से शिक्षक और छात्र परेशान, संचालकों ने भी जताई बेबसी

सरकार ने स्कूल संचालकों को अगले तीन माह तक छात्रों से पैसे वसूल नहीं करने का निर्देश दिया है. जिसके बाद संचालकों की चिंता बढ़ गई है. अगर आगे की स्थित भी ऐसी ही रही तो बहुत सारे संस्थान बंद हो जाएंगे और उसमें काम करने वाले शिक्षकों के खाने पीने के लाले पड़ जाएंगे.

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Published : May 25, 2020, 1:43 PM IST

Updated : May 25, 2020, 4:04 PM IST

गोपालगंजः कोरोना महामारी का कहर सभी क्षेत्रों पर देखने को मिल रहा है. शैक्षणिक संस्थान भी इससे अछूते नहीं हैं. जहां प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान के संचालक परेशान हैं, तो वहीं छात्रों की पढ़ाई पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है. जिले के 14 प्रखंडों में चलने वाले सभी प्राइवेट स्कूल और कोचिंग बंद हैं.

बंद हैं स्कूल-कोचिंग
जिले के 14 प्रखंडों में कुल 320 प्राइवेट स्कूल और 200 से अधिक कोचिंग हैं. जिनकी आमदनी का जरिया छात्र हैं. छात्रों से फीस वसूल कर मकान का किराया, शिक्षकों की सैलरी, बिजली बिल का भुगतान और संचालकों के परिवार का भरण पोषण भी होता था, लेकिन करीब दो महीने से छात्र स्कूल-कोचिंग नहीं जा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

नहीं मिल रही सरकारी सहायता
सरकार ने स्कूल संचालकों को अगले तीन माह तक छात्रों से पैसे वसूल नहीं करने का निर्देश दिया है. जिसके बाद संचालकों की चिंता बढ़ गई है. अगर आगे की स्थित भी ऐसी ही रही तो बहुत संस्थान बंद हो जाएंगे और उसमें काम करने वाले शिक्षकों के खाने पीने तक के लाले पड़ जाएंगे. इन संस्थानों को सरकारी सहायता भी नहीं मिल रही है.

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मॉडर्न इंटरनेशनल ऐकेडमी

आंखों पर दुष्प्रभाव
कोचिंग बंद रहने से वहां रखे बेंच डेस्क में जाले लटक रहे हैं. वहीं, छात्र छात्राएं घर पर सेल्फ स्टडी कर तो रहे हैं, लेकिन उन्हें बिना गुरु ज्ञान भी नहीं मिल रहा है. छात्राओं ने बताया कि डिजिटल क्लास में लंबे समय तक मोबाइल टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन पर समय बिताने के कारण पढ़ाई बोझिल लगने लगती है. साथ ही उनकी आंखों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है.

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खाली पड़े बेंच डेस्क

परेशानी का सामना
मॉडर्न इंटरनेशनल एकेडमी के निदेशक अविनाश कुमार ने बताया कि सरकार के निर्देश को मानते हुए हम लोगों ने लॉकडाउन का पूरी तरह पालन किया, लेकिन सरकार को भी हमारे बारे में सोचना चाहिए. हमारे यहां करीब 23 टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ हैं. जिन्हें प्रति माह 1 लाख 25 हजार रुपये तनख्वाह देनी पड़ती है. साथ ही 25 हजार भवन का किराया, बिजली का बिल अलग से खर्च होता है. स्कूल बंद होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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बेंच में लगी जालें

पढ़ाई शुरू करवाए सरकार
शिक्षक अमरेंद्र तिवारी ने कहा कि हम लोगों की स्थिति काफी दयनीय है. जब से लॉकडाउन लगा है तब से जीविका का जरिया बंद हो गया है. जिससे परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. सरकार से निवेदन है कि शैक्षणिक संस्थानों में सैनिटाइजर, मास्क और सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए पढ़ाई शुरू करवाए.

गोपालगंजः कोरोना महामारी का कहर सभी क्षेत्रों पर देखने को मिल रहा है. शैक्षणिक संस्थान भी इससे अछूते नहीं हैं. जहां प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान के संचालक परेशान हैं, तो वहीं छात्रों की पढ़ाई पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है. जिले के 14 प्रखंडों में चलने वाले सभी प्राइवेट स्कूल और कोचिंग बंद हैं.

बंद हैं स्कूल-कोचिंग
जिले के 14 प्रखंडों में कुल 320 प्राइवेट स्कूल और 200 से अधिक कोचिंग हैं. जिनकी आमदनी का जरिया छात्र हैं. छात्रों से फीस वसूल कर मकान का किराया, शिक्षकों की सैलरी, बिजली बिल का भुगतान और संचालकों के परिवार का भरण पोषण भी होता था, लेकिन करीब दो महीने से छात्र स्कूल-कोचिंग नहीं जा रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

नहीं मिल रही सरकारी सहायता
सरकार ने स्कूल संचालकों को अगले तीन माह तक छात्रों से पैसे वसूल नहीं करने का निर्देश दिया है. जिसके बाद संचालकों की चिंता बढ़ गई है. अगर आगे की स्थित भी ऐसी ही रही तो बहुत संस्थान बंद हो जाएंगे और उसमें काम करने वाले शिक्षकों के खाने पीने तक के लाले पड़ जाएंगे. इन संस्थानों को सरकारी सहायता भी नहीं मिल रही है.

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मॉडर्न इंटरनेशनल ऐकेडमी

आंखों पर दुष्प्रभाव
कोचिंग बंद रहने से वहां रखे बेंच डेस्क में जाले लटक रहे हैं. वहीं, छात्र छात्राएं घर पर सेल्फ स्टडी कर तो रहे हैं, लेकिन उन्हें बिना गुरु ज्ञान भी नहीं मिल रहा है. छात्राओं ने बताया कि डिजिटल क्लास में लंबे समय तक मोबाइल टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन पर समय बिताने के कारण पढ़ाई बोझिल लगने लगती है. साथ ही उनकी आंखों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है.

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खाली पड़े बेंच डेस्क

परेशानी का सामना
मॉडर्न इंटरनेशनल एकेडमी के निदेशक अविनाश कुमार ने बताया कि सरकार के निर्देश को मानते हुए हम लोगों ने लॉकडाउन का पूरी तरह पालन किया, लेकिन सरकार को भी हमारे बारे में सोचना चाहिए. हमारे यहां करीब 23 टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ हैं. जिन्हें प्रति माह 1 लाख 25 हजार रुपये तनख्वाह देनी पड़ती है. साथ ही 25 हजार भवन का किराया, बिजली का बिल अलग से खर्च होता है. स्कूल बंद होने से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

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बेंच में लगी जालें

पढ़ाई शुरू करवाए सरकार
शिक्षक अमरेंद्र तिवारी ने कहा कि हम लोगों की स्थिति काफी दयनीय है. जब से लॉकडाउन लगा है तब से जीविका का जरिया बंद हो गया है. जिससे परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. सरकार से निवेदन है कि शैक्षणिक संस्थानों में सैनिटाइजर, मास्क और सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए पढ़ाई शुरू करवाए.

Last Updated : May 25, 2020, 4:04 PM IST
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