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अब चखेंगे गोपालगंज के मीठे और खट्टे स्ट्रॉबेरी का स्वाद, कमाई में भी लाजवाब - ईटीवी न्यूज

कई किसान अब परंपरागत खेती छोड़ मुनाफा कमाने वाली फसलों (cultivation of profit making crops) को उगा रहे हैं. ऐसे ही एक किसान हैं गोलापगंज के निखिल गुप्ता. स्ट्रॉबेरी की खेती के चलते निखिल की गोपालगंज और आसपास के इलाके में चर्चा है. लोग उनसे इकोनॉमिक-क्रॉप की खेती के गुर सीखने आ रहे हैं.

गोपालगंज
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Published : Feb 19, 2022, 10:49 AM IST

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले के लोग महाराष्ट्र का नहीं बल्कि अपने ही जिले के स्ट्रॉबेरी का स्वाद ले सकेंगे. गोपालगंज में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry cultivation in gopalganj) शुरू हो चुकी है. लीची से मिलता जुलता रूप और स्वाद में खट्टा-मीठा फल स्ट्रॉबेरी की पैदावार अब गोपालगंज में एक निश्चित के तापमान में भी होने लगी है. इसके श्रेय जाता है कि इसी जिले के निखित गुप्ता (farmer nikhil gupta) को.

गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब 17 किलोमीटर दूर मीरगंज निवासी निखिल गुप्ता ने ना सिर्फ खुद के लिए एक नया व पहला प्रयोग किया बल्कि अन्य किसानों को कुछ नया करने की प्रेरणा दी है. पेशे से व्यवसायी निखिल एक साल पहले महाराष्ट्र के पुणे घूमने गए थे. जहां उन्होंने खेतों में लगे लाल-लाल लीची के आकार का फल देखा. जब पता किया तो उन्हें जनाकारी मिली कि ये स्ट्रॉबेरी का फल है. यह सिर्फ महाराष्ट्र में ही उपजता है.

देखें रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: वित्त मंत्री ने ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने पर दिया जोर, बिहार में पहले से ही है इसका शोर

निखिल ने मन मे यह निश्चय कर लिया कि इसे मैं भी अपने गांव और अपनी जमीन पर उपजाऊंगा. उन्होंने यूट्यूब के माध्यम से खेती की जानकारी प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने गंगोत्री एब्रोटेक से ऑनलाईन प्रशिक्षण प्राप्त किया. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने 12 रुपए प्रति पीस के हिसाब से स्ट्रॉबेरीके 35 हजार पौधे पुणे से मंगवाये. इसके बाद उद्यान विभाग के डायरेक्टर मोहम्मद नेयाज से सम्पर्क किया.

इस काम उन्हें विभाग भरपूर मदद मिली. विभाग द्वारा सिचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन की व्यवस्था की गयी जिससे सिंचाई आसानी से की जा सके. आज निखिल गुप्ता की मेहनत व लगन का परिणाम सामने आ रहा है. इस संदर्भ में निखिल गुप्ता ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि शुरुआती समय मे कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा.

परिवार के लोग इसे घाटे का सौदा समझ रहे थे. कहीं से भी सपोर्ट नहीं मिल रहा था. मित्र भी हम पर व्यंग करते थे. इसके बावजूद खेती के प्रति हमारी लालसा में कमी नहीं आयी. 35 हजार पौधों में से 20 हजार पौधे पुणे से आते-आते खराब हो गए. महज 15 हजार पौधे ही सही निकल सके. उद्यान विभाग का भी सहयोग रहा. इसकी बदौलत अपनी खेती को बेहतर तरीके से कर सका.

ये भी पढ़ें: अब कनाडा की गोभी का स्वाद चखेंगे चंपारण के लोग, इम्युनिटी बढ़ाएंगी रंग बिरंगी गोभी

इस खेती से ढाई से तीन लाख रुपये की आमदनी होगी. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए पर्याप्त तापमान चाहिए जो उनके इलाके में मौजूद है. स्ट्रॉबेरी के फल में अपनी अलग खुशबू, कई तरह के विटामिन और लवण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते हैं. इसमें काफी मात्रा में विटामिन सी, ए और के पाये जाते हैं. एक एकड़ की फसल में किसान तीन लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं.

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गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले के लोग महाराष्ट्र का नहीं बल्कि अपने ही जिले के स्ट्रॉबेरी का स्वाद ले सकेंगे. गोपालगंज में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry cultivation in gopalganj) शुरू हो चुकी है. लीची से मिलता जुलता रूप और स्वाद में खट्टा-मीठा फल स्ट्रॉबेरी की पैदावार अब गोपालगंज में एक निश्चित के तापमान में भी होने लगी है. इसके श्रेय जाता है कि इसी जिले के निखित गुप्ता (farmer nikhil gupta) को.

गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब 17 किलोमीटर दूर मीरगंज निवासी निखिल गुप्ता ने ना सिर्फ खुद के लिए एक नया व पहला प्रयोग किया बल्कि अन्य किसानों को कुछ नया करने की प्रेरणा दी है. पेशे से व्यवसायी निखिल एक साल पहले महाराष्ट्र के पुणे घूमने गए थे. जहां उन्होंने खेतों में लगे लाल-लाल लीची के आकार का फल देखा. जब पता किया तो उन्हें जनाकारी मिली कि ये स्ट्रॉबेरी का फल है. यह सिर्फ महाराष्ट्र में ही उपजता है.

देखें रिपोर्ट

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निखिल ने मन मे यह निश्चय कर लिया कि इसे मैं भी अपने गांव और अपनी जमीन पर उपजाऊंगा. उन्होंने यूट्यूब के माध्यम से खेती की जानकारी प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने गंगोत्री एब्रोटेक से ऑनलाईन प्रशिक्षण प्राप्त किया. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने 12 रुपए प्रति पीस के हिसाब से स्ट्रॉबेरीके 35 हजार पौधे पुणे से मंगवाये. इसके बाद उद्यान विभाग के डायरेक्टर मोहम्मद नेयाज से सम्पर्क किया.

इस काम उन्हें विभाग भरपूर मदद मिली. विभाग द्वारा सिचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन की व्यवस्था की गयी जिससे सिंचाई आसानी से की जा सके. आज निखिल गुप्ता की मेहनत व लगन का परिणाम सामने आ रहा है. इस संदर्भ में निखिल गुप्ता ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि शुरुआती समय मे कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ा.

परिवार के लोग इसे घाटे का सौदा समझ रहे थे. कहीं से भी सपोर्ट नहीं मिल रहा था. मित्र भी हम पर व्यंग करते थे. इसके बावजूद खेती के प्रति हमारी लालसा में कमी नहीं आयी. 35 हजार पौधों में से 20 हजार पौधे पुणे से आते-आते खराब हो गए. महज 15 हजार पौधे ही सही निकल सके. उद्यान विभाग का भी सहयोग रहा. इसकी बदौलत अपनी खेती को बेहतर तरीके से कर सका.

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इस खेती से ढाई से तीन लाख रुपये की आमदनी होगी. उन्होंने बताया कि स्ट्रॉबेरी उगाने के लिए पर्याप्त तापमान चाहिए जो उनके इलाके में मौजूद है. स्ट्रॉबेरी के फल में अपनी अलग खुशबू, कई तरह के विटामिन और लवण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते हैं. इसमें काफी मात्रा में विटामिन सी, ए और के पाये जाते हैं. एक एकड़ की फसल में किसान तीन लाख रुपये तक की कमाई कर सकते हैं.

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