गोपालगंजः जिले में बाढ़ का कहर जारी है. ईटीवी भारत लगातार बाढ़ की स्थिति पर ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. हमारे संवाददाता अटल बिहारी पांडेय सिधवलिया प्रखण्ड स्थित बुचिया पंचायत के विशुनपुरा गांव पहुंचे. जहां से बाढ़ की भयावह तस्वीरें उन्होंने अपने कैमरे में कैद की. साथ ही उन्होंने गांव के ताजा हालातों को दिखाया.
नहीं कम हो रही परेशानियां
विशुनपुरा गांव निवासी करीब 4 किलोमीटर तक छाती भर पानी जमा है. ऐसे में लोग इसी पानी में घुसकर आने जाने को मजबूर हैं. लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. इस गांव के लोग प्रशासनिक मदद से महरूम हैं. कोरोना महामारी के दौर में आई विनाशकारी बाढ़ ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. सारण मुख्य बांध के टूट जाने से मांझा, बरौली, वैकुंठपुर, सिधवलिया कुचायकोट प्रखण्ड में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है. लोगो की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं.
गीता देवी कहती हैं, 'अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं आया है. कई दिनों से पानी भरा हुआ है. आपका धन्यवाद कि आप यहां आए और हमारी खबर ले रहे हैं.' इतना कहते ही उनकी आंखें भर आती हैं.
बाढ़ की भयावह स्थिति
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की ये तस्वीरें लोगों की मुश्किलें और मजबूरी को साफ बयां कर रही हैं कि लोग कैसे इन हालातों में अपना जीवन गुजार रहे हैं. जिला मुख्यालय गोपालगंज से करीब 50 किलोमीटर दूर सिधवलिया प्रखण्ड के बुचिया पंचायत स्थित विशुनपुरा कोठी गांव की स्थिति काफी भयावह है. इस गांव में प्रवेश करने से पहले चार किलोमीटर छाती तक फैले बाढ़ का पानी पार करना पड़ता है. जो खतरे से खाली नहीं है. ग्रामीणों को नाव की सुविधा नहीं मिलने से रोज पानी पार करना पड़ता है.
पूरी सड़क पर फैला पानी
ईटीवी के रिपोर्टर ने जब विशुनपुरा गांव की तरफ रुख किया तब उन्हें यहां पहुंचने से पहले कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा. गांव में पहुंचे का रास्ता काफी कठिन था. हमारे संवाददाता जमीनी हकीकत दिखाने के लिए मोहम्मदपुर मेन रोड से 2 किलोमीटर आगे बढ़े ही थे कि पूरे सड़क पर पानी ही पानी दिखाई दिया. इसके बाद वे पैदल ही चार किलोमीटर छाती तक पानी पार कर विशुनपुरा कोठी गांव पहुंचें.
नहीं मिल रही कोई सरकारी मदद
विशुनपुरा गांव में करीब 100 से 150 घर हैं. जहां हजारों लोगों की आबादी निवास करती है. बूढ़े बच्चे छाती तक के पानी पार नहीं कर सकते. जिससे वे अपने घरों में रहकर पानी के कम होने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन इन लोगों को खाने के लिए राशन, दवा और सोने की जगह की समस्याएं झेलनी पड़ रही है. आखिर ये करें भी तो क्या? जनता के वोट से जनप्रतिनिधि बने नेता और उनकी सेवा के लिए तैनात अधिकारियों की निगाहें इनतक नहीं पहुंच रही है.
चारों तरफ पानी से घिरे घर
प्रशानिक सुविधाओं से मरहूम अपनी परेशानियों को बताते हुए गांव की महिला ने डबडबाई आखों से कहा कि हम लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. हम लोग इसी पानी के बीच घिरे हुए हैं. गांव के सभी घरों में पानी पूरी तरह फैल चुका है, खाना बनाने वाले चूल्हे पूरी तरह टूट गए हैं.
संवाददाता ने की मदद
ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान ईटीवी भारत संवाददाता की नजर एक ऐसे ग्रामीण पर पड़ी, जो अपने दोनों बच्चों को पीठ पर बमुश्किल लिये जा रहा था. फिर क्या था, रिपोर्टर ने उनकी मदद की. उन्होंने एक बच्चे को अपनी पीठ पर बैठा लिया और जलमग्न इलाके से पार कराया.