गोपालगंजः कहते हैं कि मेहनत व लग्न से काम करने वाले लोगों की कभी हार नहीं होती. ये बात जिले के एक युवा छात्र पर सटीक बैठती है. जिसने अपनी मेहनत और इच्छा शक्ति के बल पर एक ऐसा डिवाईस तैयार किया है, जो बार्डर पर सैनिकों के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हो सकता है.
यह एक ऐसा डिवाईस है जिससे आप बिना बिजली व बैटरी के अपना मोबाइल चार्ज कर सकते हैं इतना ही नहीं इस डिवाईस से आपकी लोकेशन का भी पता आसानी से चल सकता है. ये बाते जानकर शायद आपको विश्वास नहीं होगा लेकिन यह सौ प्रतिशत सत्य है. इसका दावा किया है जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर वैकुंठपुर थाना क्षेत्र के बनौरा गांव निवासी त्रिभुवन कुमार प्रसाद के पुत्र विवेक ने.
सैनिकों के लिए है खास
विवेक ने ऐसीतरकीब जूता से ईजाद कीहै, जो लोगों के बीच कौतूहल बना हुआ है. विवेक कीमानें तो उसने यह जूता खास कर सैनिकों के लिए तैयार किया है. जिसे पहन कर चलने या इसपर दबाव पड़ने से यह चार्ज होता है. जिसके बाद उससे मोबाइल भी चार्ज किया जा सकता है. उसने बताया कि घाटी और सीमा पर तैनात सेना के लिए मोबाइल की चार्जिंग एक बड़ी समस्या होती है, उन्हें मोबाइल चार्ज करने के लिए बिजली और बैटरी नहीं मिल पाती, ऐसे में इससे उनकी यह समस्या दूर हो सकती है.
क्या है खासियत
क्या हैचार्जेबुल जूते की खासियत
इस चार्जेबुल जूते की खासियत यह है कि इसके सोल में दो पीजों इलेक्ट्रिक सेंसर लगा है. चलने के दौरान दबाव बल के चलते सेंसर विद्युत धारा प्रवाहित करता है. सोल में फीट किया गया 9 एंपियर का सूक्ष्म बैटरी उत्पन्न विद्युत धारा को स्टार्ट करता है. सेंसर के पास जूते के सेल के पीछे चार्जिंग प्लग लगा है, इससे मोबाइल चार्ज होता है. यह चार्जेबुल जूता सिर्फ मोबाइल चार्ज करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इनमें लगे सेंसर सैनिकों के लिए काफी कारगर साबित होगा. कई बार देखा जाता है कि हमारे सैनिकों की मौत हो जाने के बाद उनका शव नहीं मिल पाता है या वे कहीं गुम हो जाते हैं. वैसी परिस्थिति में यह सेंसर के जरिये यह पता चल सकता है कि सैनिक कहा हैं.
प्रशासन ने अब तक नहीं बढ़ाया मनोबल
विवेक ने बताया कि यह डिवाईस तभी काम करेगा जब शरीर का कोई भी अंग जूते में लगाये गए डिवाइस से टच करेगा और अगर टच नहीं करेगा या मौत हो जाने की स्थिति में ऑटोमेटिक हेड क्वाटर तक सूचना देने लगेगा. युवा वैज्ञानिक विवेक ने बताया कि मुझे कनाडा अधिवेशन में जाने का मौका मिला था, लेकिन परीक्षा होने के कारण वह नहीं जा सका. लखनऊ आइआइटी में भी विवेक के काम की काफी तारीफ हुई थी. विवेक जिला प्रशासन के माध्यम से सरकार के समक्ष अपना प्रोजेक्ट रखना चाहता है जिसके लिए उसने जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री के समक्ष पत्र के माध्यम से अपनी बात रखी थी, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है.