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Lockdown Effect: ओपीडी और निजी नर्सिंग होम ठप, इलाज के लिए नहीं आ रहे मरीज - लॉकडाउन के कारण बढ़ी परेशानी

लॉकडाउन के बाद ओपीडी और निजी नर्सिंग होम की सेवाएं न के बराबर चल रही हैं. आम मरीजों की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिल रही है.

गोपालगंज सदर अस्पताल
गोपालगंज सदर अस्पताल
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Published : Apr 20, 2020, 1:10 PM IST

गोपालगंज: लॉकडाउन का असर हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. जिले का निजी नर्सिंग होम हो या सदर अस्पताल की ओपीडी सेवा, सभी न के बराबर कार्य कर रही है. इमरजेंसी वार्ड भी खाली पड़ा है. वहीं, आम दिनों में यहां पैर तक रखने की जगह नहीं होती है. अस्पताल प्रशासन की मानें तो इस नजारे के पीछे देशव्यापी लॉकडाउन का लागू होना है.

gopalganj
इलाज के लिए नहीं पहुंच रहे मरीज

लेबर वार्ड जहां प्रतिदिन 20 से 25 महिलाओं का प्रसव होता था. वो आज वीरान पड़ा रहता है. डॉक्टर भी नहीं आते हैं. वहीं, सोशल डिस्टेंसिंग के खतरे को देखते हुए सदर अस्पताल के इमरजेंसी और लेबर वार्ड को छोड़कर ओपीडी बंद कर दी गई है. इसके अलावा निजी क्लीनिक संचालकों ने खुद ही सेवाएं रोक दी.

gopalganj
वीरान पड़ा अस्पताल परिसर

दवा दुकानों पर भी पड़ा असर
लॉकडाउन का प्रभाव दवा दुकानदारों पर भी पड़ा है. जिले के दवा दुकानदारों के सामने विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है. थोक दवा व्यवसायियों की दवाईयां दुकान में रखी हुई हैं. लेकिन, कोई खरीदार नहीं है. आपबीती सुनाते हुए थोक विक्रेता ने कहा कि लॉकडाउन ने सब बिगाड़ दिया. डॉक्टर ओपीडी में नहीं बैठ रहे हैं, जिससे मरीज नहीं आ रहे. ऐसे में दवाईयां कहां से बिकेंगी? आलम ये है कि वे भुखमरी की कगार पर हैं.

पेश है एक रिपोर्ट

लॉकडाउन के कारण शुद्ध हो रहा वातावरण
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता अजय ओझा ने बताया कि लॉक डाउन के कारण वातावरण शुद्ध है. लोग शुद्ध भोजन कर रहे हैं. नतीजतन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है. जिसके कारण लोग बीमार कम पड़ रहे हैं. डॉक्टर संदीप कुमार भी मानते हैं कि वर्तमान समय में मरीजों की संख्या में कमी हुई है. उन्होंने बताया कि इसके दो कारण हैं. एक कारण ये है कि लोग घर में रह रहे हैं. प्रदूषण मुक्त वातावरण मिल रहा है. जिससे लोग बीमारी से कम ग्रसित हो रहे हैं. दूसरा कारण है कि पहले मामूली सी बात पर लोग डॉक्टर के पास पहुंच जाते थे. डॉक्टर बिना मतलब के जांच करवाते और आईसीयू में डाल देते थे, जिससे मरीजों की संख्या में वृद्धि होती थी.

गोपालगंज: लॉकडाउन का असर हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है. जिले का निजी नर्सिंग होम हो या सदर अस्पताल की ओपीडी सेवा, सभी न के बराबर कार्य कर रही है. इमरजेंसी वार्ड भी खाली पड़ा है. वहीं, आम दिनों में यहां पैर तक रखने की जगह नहीं होती है. अस्पताल प्रशासन की मानें तो इस नजारे के पीछे देशव्यापी लॉकडाउन का लागू होना है.

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इलाज के लिए नहीं पहुंच रहे मरीज

लेबर वार्ड जहां प्रतिदिन 20 से 25 महिलाओं का प्रसव होता था. वो आज वीरान पड़ा रहता है. डॉक्टर भी नहीं आते हैं. वहीं, सोशल डिस्टेंसिंग के खतरे को देखते हुए सदर अस्पताल के इमरजेंसी और लेबर वार्ड को छोड़कर ओपीडी बंद कर दी गई है. इसके अलावा निजी क्लीनिक संचालकों ने खुद ही सेवाएं रोक दी.

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वीरान पड़ा अस्पताल परिसर

दवा दुकानों पर भी पड़ा असर
लॉकडाउन का प्रभाव दवा दुकानदारों पर भी पड़ा है. जिले के दवा दुकानदारों के सामने विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है. थोक दवा व्यवसायियों की दवाईयां दुकान में रखी हुई हैं. लेकिन, कोई खरीदार नहीं है. आपबीती सुनाते हुए थोक विक्रेता ने कहा कि लॉकडाउन ने सब बिगाड़ दिया. डॉक्टर ओपीडी में नहीं बैठ रहे हैं, जिससे मरीज नहीं आ रहे. ऐसे में दवाईयां कहां से बिकेंगी? आलम ये है कि वे भुखमरी की कगार पर हैं.

पेश है एक रिपोर्ट

लॉकडाउन के कारण शुद्ध हो रहा वातावरण
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता अजय ओझा ने बताया कि लॉक डाउन के कारण वातावरण शुद्ध है. लोग शुद्ध भोजन कर रहे हैं. नतीजतन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है. जिसके कारण लोग बीमार कम पड़ रहे हैं. डॉक्टर संदीप कुमार भी मानते हैं कि वर्तमान समय में मरीजों की संख्या में कमी हुई है. उन्होंने बताया कि इसके दो कारण हैं. एक कारण ये है कि लोग घर में रह रहे हैं. प्रदूषण मुक्त वातावरण मिल रहा है. जिससे लोग बीमारी से कम ग्रसित हो रहे हैं. दूसरा कारण है कि पहले मामूली सी बात पर लोग डॉक्टर के पास पहुंच जाते थे. डॉक्टर बिना मतलब के जांच करवाते और आईसीयू में डाल देते थे, जिससे मरीजों की संख्या में वृद्धि होती थी.

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