गोपालगंज: लॉक डाउन के कारण जिले के 3 हजार से ज्यादा कर्मकांडी पंडित और पुजारियों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. ये पंडित मंदिर में पूजा-पाठ कराते थे. इसी से उनका परिवार चला करता था. लेकिन अब ये भी बंद है. ये लोग सरकार की ओर से संचालित किसी भी योजना में शामिल नहीं हैं. ना ही इन्हें सरकार की तरफ से इस विकट परिस्थिति में मदद मिल रही है.
कर्मकांडी ब्राह्मणों की स्थिति काफी दयनीय हो गई है. क्योंकि कोरोना संक्रमण को लेकर शहर से लेकर गांव तक के मंदिर बंद पड़े हैं. वहीं पूजा-पाठ, अनुष्ठान, शादी, मुंडन, उपनयन संस्कार भी स्थगित है. जिससे पुजारियों और कर्मकांडी ब्राह्मणों के सामने खाने की समस्या उत्पन्न हो गई है.
खाने की समस्या उत्पन्न
जिले का प्रसिद्ध शक्तिपीठ थावे मंदिर बंद होने से लगभग 500 से ज्यादी परिवारों के समक्ष खाने की समस्या उत्पन्न हो गई है. पूजा-पाठ से मिलने वाली दक्षिणा से घर परिवार चलाने वाले पंडितों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. कुछ पंडितों की मानें तो पूर्व में मिले दक्षिणा से किसी तरह से अपने परिवार का पेट भर पाते थे. अब तो वह भी खत्म हो गया है.
बता दें लगभग 3 महीने पुण्य कर्म के लिए काफी शुभ माना जाता है. इन दिनों में विवाह संस्कार, मुंडन संस्कार, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, व्यापार और व्यवसाय के लिए पूजन सहित यज्ञ अनुष्ठान व्यापक रूप से होता है. लेकिन नवरात्र से लेकर अभी तक त्योहारों का काम पूरी तरह से प्रभावित हो गया है.
पूजा-पाठ कर चलाते हैं परिवार
इस दौरान कई ब्राह्मण परिवारों के घर चूल्हे नहीं जले हैं. किसी तरह ये परिवार जीवन गुजार रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम जब हरखुआ गांव पहुंची तो रत्नेश कुमार पांडेय ने बताया कि हम लोग पूजा-पाठ कर के ही परिवार चलाते हैं. लेकिन लॉक डाउन के कारण खाने की समस्या उतपन्न हो गई है. जो रखा हुआ था वह भी खत्म हो गया है.
उन्होंने कहा कि सरकार कोई मदद नहीं करती. राशन कार्ड भी नहीं है. कोई राहत पैकेट भी नहीं देता है. किसी से कुछ कह नहीं सकते हैं. इसलिए हम लोग चुप-चाप अपने हालात पर बैठे रहते हैं. एक जजमान ने गैस चूल्हा दिया था. लेकिन रिफिल भरवाने के लिए पैसे नहीं जुट रहे हैं. दो दिनों से खाना नहीं बना है. पहले एक घर था जो गिर गया, किसी तरह हमलोग एक ही रूम में रहते हैं.
सरकार नहीं कर रही मदद
ज्योतिषाचार्य विजयमणी तिवारी ने कहा कि कर्मकांड पूजा पद्धति से जीवन यापन चलाने वाले ब्राह्मणों को केंद्र और राज्य सरकार की तमाम योजनाओं से जोड़ना चाहिए. ताकि वे इस समस्या से इस समय लाभान्वित हो सकें. उन्होंने कहा कि सरकार कई माध्यमों से लोगों को सहायता उपलब्ध करा रही है. जबकि पूजा पद्धति से जुड़े लोगों को किसी प्रकार की सहायता राहत पैकेज दिए जाने की घोषणा अब तक नहीं हुई है.
उन्होंने कहा कि धार्मिक अनुष्ठान पाठ के साथ मंदिर में भी ताला लगा हुआ है. प्रतिदिन पूजा-पाठ या मंदिरों की सेवा कर दूसरों के परिवार में सुख समृद्धि की कामना करने वाले ब्राह्मण आज भूख से मरने के कगार पर हैं.