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झाड़ी में मिली नवजात बच्ची, बाल संरक्षण इकाई ने इलाज के लिए कराया अस्पताल में भर्ती - भोजपुरवा गांव

सदर अस्पताल के डॉक्टर नौशाद आलम ने बताया कि बच्ची की हालत काफी नाजुक है. उसका वजन भी कम है. अगले 72 घंटों के लिए उसे विशेष निगरानी में रखा गया है.

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Published : Jun 15, 2020, 11:59 AM IST

गोपालगंजः जिले में बाल संरक्षण इकाई को झाड़ी से एक नवजात बच्ची मिली है. मामला मांझा थाना क्षेत्र के भोजपुरवा गांव के पास का है. बच्ची को सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में रखकर इलाज कराया गया है. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

बाल संरक्षण इकाई ने कराया भर्ती
बताया जा रहा है कि भोजपुरवा गांव के पास झाड़ी से अहले सुबह रोने की आवाज आ रही थी. ग्रामीण वहां पहुंचे तो कपड़े में लिपटी नवजात को देखकर दंग रह गए. ग्रामीणों ने नवजात बच्ची को झाड़ी से बाहर निकाला और इसकी सूचना बाल संरक्षण इकाई को दी. जिसके बाद बाल संरक्षण इकाई ने नवजात को सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया.

देखें रिपोर्ट

बच्ची की हालत नाजुक
सदर अस्पताल के डॉक्टर नौशाद आलम ने बताया कि बच्ची की हालत काफी नाजुक है. उसका वजन भी कम है. अगले 72 घंटों के लिए उसे विशेष निगरानी में रखा गया है. वहीं, एएनएम वंदना कुमारी ने बताया कि बच्ची बहुत छोटी है. उसे अभी दूध तक नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बच्ची की हालत ठीक होने के बाद ही कुछ दिया जा सकेगा.

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गोपालगंज सदर अस्पताल

मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा
एक गाना में कहा गया है कि हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल कर इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल कर. लेकिन अफसोस कि जिन बच्चों को देश को संभाल कर रखने की बात कही गई है. उसकी गर्भ में ही हत्या कर दी जा रही है या मरने के लिए खुले स्थान पर छोड़ दिया जा रहा है.

अधिकार से वंचित
बच्चों के जो प्रमुख अधिकार हैं उसमें जीने का एक अधिकार भी शामिल है. लेकिन सालों से बच्चों को समय-समय पर जीने के अधिकार से वंचित किया जाता रहा है. लोक-लाज, गरीबी का बोझ, बढ़ते दहेज की मांग, उन्मुक्त होती किशोरावस्था, बेटे की चाह आदि कारणों से आए दिन इस तरह की घटनाएं घट रही हैं. लोग झाड़ी, कूड़ेदान, नाली के किनारे, खेत-बधार, श्मशान आदि स्थानों पर नवजात शिशु को मरने के लिए छोड़ जाते हैं.

गोपालगंजः जिले में बाल संरक्षण इकाई को झाड़ी से एक नवजात बच्ची मिली है. मामला मांझा थाना क्षेत्र के भोजपुरवा गांव के पास का है. बच्ची को सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में रखकर इलाज कराया गया है. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है.

बाल संरक्षण इकाई ने कराया भर्ती
बताया जा रहा है कि भोजपुरवा गांव के पास झाड़ी से अहले सुबह रोने की आवाज आ रही थी. ग्रामीण वहां पहुंचे तो कपड़े में लिपटी नवजात को देखकर दंग रह गए. ग्रामीणों ने नवजात बच्ची को झाड़ी से बाहर निकाला और इसकी सूचना बाल संरक्षण इकाई को दी. जिसके बाद बाल संरक्षण इकाई ने नवजात को सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया.

देखें रिपोर्ट

बच्ची की हालत नाजुक
सदर अस्पताल के डॉक्टर नौशाद आलम ने बताया कि बच्ची की हालत काफी नाजुक है. उसका वजन भी कम है. अगले 72 घंटों के लिए उसे विशेष निगरानी में रखा गया है. वहीं, एएनएम वंदना कुमारी ने बताया कि बच्ची बहुत छोटी है. उसे अभी दूध तक नहीं दिया जा सकता है. उन्होंने बताया कि बच्ची की हालत ठीक होने के बाद ही कुछ दिया जा सकेगा.

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गोपालगंज सदर अस्पताल

मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा
एक गाना में कहा गया है कि हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल कर इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल कर. लेकिन अफसोस कि जिन बच्चों को देश को संभाल कर रखने की बात कही गई है. उसकी गर्भ में ही हत्या कर दी जा रही है या मरने के लिए खुले स्थान पर छोड़ दिया जा रहा है.

अधिकार से वंचित
बच्चों के जो प्रमुख अधिकार हैं उसमें जीने का एक अधिकार भी शामिल है. लेकिन सालों से बच्चों को समय-समय पर जीने के अधिकार से वंचित किया जाता रहा है. लोक-लाज, गरीबी का बोझ, बढ़ते दहेज की मांग, उन्मुक्त होती किशोरावस्था, बेटे की चाह आदि कारणों से आए दिन इस तरह की घटनाएं घट रही हैं. लोग झाड़ी, कूड़ेदान, नाली के किनारे, खेत-बधार, श्मशान आदि स्थानों पर नवजात शिशु को मरने के लिए छोड़ जाते हैं.

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