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गोपालगंज में चल रहे हजारों फर्जी नर्सिंग होम्स, कम्पाउंडर भी बन बैठे हैं डॉक्टर

अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों पर कार्रवाई का प्रावधान है. इसके बावजूद जिले में बड़ी संख्या में फर्जी क्लीनिक और नर्सिंग होम संचालित किए जा रहे हैं. फिर भी स्वास्थ्य महकमे की कुम्भकर्णी नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है.

सीएस
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Published : Nov 17, 2019, 9:37 AM IST

Updated : Nov 17, 2019, 1:21 PM IST

गोपालगंज: जिले में निजी नर्सिंग होम संचालक नियमों को ताक पर रखकर स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे धड़ल्ले से अपनी दुकान चला रहे हैं. बता दें कि शासन ने लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नर्सिंग होम एक्ट लागू किया है.

जिसमें अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों पर कार्रवाई का प्रावधान है. इसके बाद भी जिले में बड़ी संख्या में अवैध रूप से क्लीनिक और नर्सिंग होम संचालित किए जा रहे हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य महकमे की कुम्भकर्णी नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है.

Gopalganj
जानकारी देते कम्पाउंडर

नर्सिंग होम एक्ट की उड़ाई जा रही धज्जियां
स्वास्थ्य विभाग के जरिए लागू किए गए नर्सिंग होम एक्ट के अंतर्गत निर्धारित मापदंडों पर खरा उतरने वाले निजी अस्पताल संचालकों को लाइसेंस जारी किया जाता है. ऐसे नर्सिंग होम्स को लाइसेंस जारी किया जाता है. जो सरकार की गाइड लाइन के अनुसार कार्य करता हो. लेकिन गोपालगंज जिले में नर्सिंग होम एक्ट की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. 26 लाख की आबादी वाले जिले में प्रखंड और मुख्यालयों में हजारों नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं.

Gopalganj
इलाज करवाने आए मरीज

'अवैध रूप से संचालित हो रहे नर्सिंग होम'
सदर अस्पताल के सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह की मानें तो जिले में दस से कम नर्सिंग होम्स ने ही निबंधन करवाया है. इसके आलावा अन्य नर्सिंग होम अवैध रूप से संचालित होते है. इससे साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग मरीजों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है. वर्षों पहले शासन ने नर्सिंग होम एक्ट लागू किया है. जिसमें ऐसे डॉक्टर क्लीनिक्स का संचालन कर सकेंगे. जो शासन की गाइडलाइन का पालन करते हो. इसमें एमबीबीएस डॉक्टर ही नर्सिंग होम का संचालन कर सकते हैं.

Gopalganj
जानकारी देते सीएस

लैब टेक्नीशियन भी बन बैठे डॉक्टर
जिले में लैब टेक्नीशियन डॉक्टर बने बैठे हैं. दरअसल यहां लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा करने वाले भी अस्पताल चला रहे हैं. वहीं, कई लोग मेडिकल कोर्स कर ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रैक्टिकल कर रहे हैं, जो अधिकृत नहीं है. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के जरिए अवैध रूप से संचालित अस्पताल संचालकों पर कार्रवाई नहीं की जाती है. इसके अलावा जिले में कई ऐसे क्लीनिक हैं. जो नर्सिंग होम एक्ट के तहत निर्धारित के उपचार के लिए पर्याप्त उपकरण सहित विभिन्न सुविधाएं देने काबिल भी नहीं हैं.

Gopalganj
जानकारी देते कम्पाउंडर

एक कमरे में चल रहे नर्सिंग होम
यहां ज्यादातर नर्सिंग होम्स एक ही कमरे में चल रहे हैं. नर्सिंग होम एक्ट के तहत अस्पताल संचालन के लिए निर्धारित जगह, मरीजो के उपचार के लिए पर्याप्त उपकरण, सहित विभिन्न सुविधाएं दी जानी चाहिए. एक्ट के तहत इलाज कराने आए मरीजों को इलाज से संबंधित जानकारी देना जरूरी है. बावजूद इसके किसी भी नर्सिंग होम हो या क्लीनिक में इस एक्ट का पालन नहीं किया जा रहा है.

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जानकारी देते सामाजिक कार्यकर्ता

कम्पाउंडर कर रहे इलाज
इसी तरह का नजारा सिधवलिया प्रखंड के सिधवलिया बाजार स्थित एक निजी नर्सिंग होम में देखने को मिला. जहां डॉक्टर नहीं बल्कि कम्पाउंडर मरीजो का इलाज करते हैं. इस संदर्भ जब नर्सिंग होम में तैनात कर्मियों से पूछा गया तो एक कम्पाउंडर ने कहा कि डॉक्टर साहब दिल्ली गए हैं. वहीं, दूसरे ने बताया कि डॉक्टर साहब घर पर हैं. उन्हें डेंगू हुआ है. इसलिए उनका काम हम संभाल रहे हैं.

गोपालगंज में चल रहे हजारों फर्जी नर्सिंग होम्स

वसूली जाती है मोटी रकम
मरीजों के परिजनो से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें तो पता ही नहीं कि डॉक्टर साहब हैं या नही क्योंकि उनके मरीज का कम्पाउंडर के जरिए इलाज जारी था. इस संदर्भ में सामाजिक कार्यकर्ता परशुराम सिंह ने कहा कि गोपलगंज समेत विभिन्न प्रखंडो में जितमे भी नर्सिंग होम हैं. वे सब अवैध रूप से संचलित होते हैं. जिनपर जिला प्रशासन की निगाहे नहीं पड़ती हैं. उन्होंने कहा कि प्रशासन की मिली भगत से अवैध नर्सिंग होम संचालित होते हैं. जहां भोली-भाली जनता को भटका कर कमीशन के चक्कर मे दलाल उन्हें निजी नर्सिंग होम में लेकर जाते हैं. जहां बेहतर इलाज के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूली जाती है.

'पूर्व डीएम ने किया था टीम का गठन'
सदर अस्पताल के सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह से बताया कि अवैध नर्सिंग होम पर कार्रवाई के लिए इसके पूर्व के जिलाधिकारी से वार्ता की गई थी. जिसको लेकर उन्होंने एक टीम का गठन किया था. लेकिन दुर्भाग्य से इसपर अमल नही हो सका. अब पुनः इसपर कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी से वार्ता कर कार्रवाई की जाएगी. सिविल सर्जन ने भी माना कि ज्यादातर नर्सिंग होम अवैध चल रहे हैं.

गोपालगंज: जिले में निजी नर्सिंग होम संचालक नियमों को ताक पर रखकर स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे धड़ल्ले से अपनी दुकान चला रहे हैं. बता दें कि शासन ने लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नर्सिंग होम एक्ट लागू किया है.

जिसमें अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों पर कार्रवाई का प्रावधान है. इसके बाद भी जिले में बड़ी संख्या में अवैध रूप से क्लीनिक और नर्सिंग होम संचालित किए जा रहे हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य महकमे की कुम्भकर्णी नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है.

Gopalganj
जानकारी देते कम्पाउंडर

नर्सिंग होम एक्ट की उड़ाई जा रही धज्जियां
स्वास्थ्य विभाग के जरिए लागू किए गए नर्सिंग होम एक्ट के अंतर्गत निर्धारित मापदंडों पर खरा उतरने वाले निजी अस्पताल संचालकों को लाइसेंस जारी किया जाता है. ऐसे नर्सिंग होम्स को लाइसेंस जारी किया जाता है. जो सरकार की गाइड लाइन के अनुसार कार्य करता हो. लेकिन गोपालगंज जिले में नर्सिंग होम एक्ट की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. 26 लाख की आबादी वाले जिले में प्रखंड और मुख्यालयों में हजारों नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं.

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इलाज करवाने आए मरीज

'अवैध रूप से संचालित हो रहे नर्सिंग होम'
सदर अस्पताल के सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह की मानें तो जिले में दस से कम नर्सिंग होम्स ने ही निबंधन करवाया है. इसके आलावा अन्य नर्सिंग होम अवैध रूप से संचालित होते है. इससे साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग मरीजों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है. वर्षों पहले शासन ने नर्सिंग होम एक्ट लागू किया है. जिसमें ऐसे डॉक्टर क्लीनिक्स का संचालन कर सकेंगे. जो शासन की गाइडलाइन का पालन करते हो. इसमें एमबीबीएस डॉक्टर ही नर्सिंग होम का संचालन कर सकते हैं.

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जानकारी देते सीएस

लैब टेक्नीशियन भी बन बैठे डॉक्टर
जिले में लैब टेक्नीशियन डॉक्टर बने बैठे हैं. दरअसल यहां लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा करने वाले भी अस्पताल चला रहे हैं. वहीं, कई लोग मेडिकल कोर्स कर ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रैक्टिकल कर रहे हैं, जो अधिकृत नहीं है. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग के जरिए अवैध रूप से संचालित अस्पताल संचालकों पर कार्रवाई नहीं की जाती है. इसके अलावा जिले में कई ऐसे क्लीनिक हैं. जो नर्सिंग होम एक्ट के तहत निर्धारित के उपचार के लिए पर्याप्त उपकरण सहित विभिन्न सुविधाएं देने काबिल भी नहीं हैं.

Gopalganj
जानकारी देते कम्पाउंडर

एक कमरे में चल रहे नर्सिंग होम
यहां ज्यादातर नर्सिंग होम्स एक ही कमरे में चल रहे हैं. नर्सिंग होम एक्ट के तहत अस्पताल संचालन के लिए निर्धारित जगह, मरीजो के उपचार के लिए पर्याप्त उपकरण, सहित विभिन्न सुविधाएं दी जानी चाहिए. एक्ट के तहत इलाज कराने आए मरीजों को इलाज से संबंधित जानकारी देना जरूरी है. बावजूद इसके किसी भी नर्सिंग होम हो या क्लीनिक में इस एक्ट का पालन नहीं किया जा रहा है.

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जानकारी देते सामाजिक कार्यकर्ता

कम्पाउंडर कर रहे इलाज
इसी तरह का नजारा सिधवलिया प्रखंड के सिधवलिया बाजार स्थित एक निजी नर्सिंग होम में देखने को मिला. जहां डॉक्टर नहीं बल्कि कम्पाउंडर मरीजो का इलाज करते हैं. इस संदर्भ जब नर्सिंग होम में तैनात कर्मियों से पूछा गया तो एक कम्पाउंडर ने कहा कि डॉक्टर साहब दिल्ली गए हैं. वहीं, दूसरे ने बताया कि डॉक्टर साहब घर पर हैं. उन्हें डेंगू हुआ है. इसलिए उनका काम हम संभाल रहे हैं.

गोपालगंज में चल रहे हजारों फर्जी नर्सिंग होम्स

वसूली जाती है मोटी रकम
मरीजों के परिजनो से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें तो पता ही नहीं कि डॉक्टर साहब हैं या नही क्योंकि उनके मरीज का कम्पाउंडर के जरिए इलाज जारी था. इस संदर्भ में सामाजिक कार्यकर्ता परशुराम सिंह ने कहा कि गोपलगंज समेत विभिन्न प्रखंडो में जितमे भी नर्सिंग होम हैं. वे सब अवैध रूप से संचलित होते हैं. जिनपर जिला प्रशासन की निगाहे नहीं पड़ती हैं. उन्होंने कहा कि प्रशासन की मिली भगत से अवैध नर्सिंग होम संचालित होते हैं. जहां भोली-भाली जनता को भटका कर कमीशन के चक्कर मे दलाल उन्हें निजी नर्सिंग होम में लेकर जाते हैं. जहां बेहतर इलाज के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूली जाती है.

'पूर्व डीएम ने किया था टीम का गठन'
सदर अस्पताल के सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह से बताया कि अवैध नर्सिंग होम पर कार्रवाई के लिए इसके पूर्व के जिलाधिकारी से वार्ता की गई थी. जिसको लेकर उन्होंने एक टीम का गठन किया था. लेकिन दुर्भाग्य से इसपर अमल नही हो सका. अब पुनः इसपर कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी से वार्ता कर कार्रवाई की जाएगी. सिविल सर्जन ने भी माना कि ज्यादातर नर्सिंग होम अवैध चल रहे हैं.

Intro:निजी नर्सिंग होम संचालक नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से अपनी दुकान चला रहे हैं। शासन ने लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नर्सिंग होम एक्ट लागू किया है। जिसमें अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों पर कार्रवाई का प्रावधान है। इसके बाद भी जिले में बड़ी संख्या में अवैध रूप से क्लीनिक व नर्सिंग होम संचालित किए जा रहे हैं।





Body:स्वास्थ्य विभाग द्वारा नर्सिंग होम एक्ट अंतर्गत निर्धारित मापदंडों पर खरा उतरने वाले निजी अस्पताल संचालकों को लाइसेंस जारी किया जाता है। जिसमे सरकार के गाइड लाइन के अनुसार कार्य करता हो लेकिन गोपलगंज जिले में यह गाइड लाइन या यूं कहें कि नर्सिंग होम एक्ट दम तोड़ता हुआ नजर आता है। यह जानकर आश्चर्य होगा कि 26 लाख की आबादी वाले जिले में हजारों नर्सिंग होम संचालित होते है, चाहे प्रखंड में हो या जिला मुख्यालय में। सदर अस्पताल के सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह के माने तो जिले में दस से कम ही वैसे नर्सिंग होम है जिन्होंने निबंधन करवाया है। इसके आलावे अन्य नर्सिंग होम अवैध रूप से संचालित होते है। इससे साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले में स्वास्थ्य विभाग मरीजों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है। वर्षो पहले शासन ने नर्सिंग होम एक्ट लागू किया है जिसमें ऐसे डॉक्टर क्लिनिक संचालन कर सकेंगे जो शासन के गाइडलाइन का पालन करते हो साथ ही एमबीबीएस डॉक्टर नर्सिंग होम इन संचालन कर सकते हैं। बावजूद इसके लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा करने वाले भी अस्पताल चला रहे हैं। वहीं कई लोग मेडिकल कोर्स कर ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रैक्टिकल कर रहे हैं, जो अधिकृत नहीं है। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग द्वारा अवैध रूप से संचालित अस्पताल संचालकों पर कार्रवाई नहीं की जाती। इसके अलावा जिले में कई ऐसे क्लीनिक है नर्सिंग होम एक्ट के तहत निर्धारित के उपचार के लिए पर्याप्त उपकरण सहित विभिन्न सुविधाएं दीया जाना है। बावजूद इसके अधिकांश एक ही कमरे में चल रहे हैं । नर्सिंग होम एक्ट के तहत अस्पताल संचालन के लिए निर्धारित जगह, मरीजो के उपचार के लिए पर्याप्त उपकरण,सहित विभिन्न सुविधाएं दिए जाने है
यहां इलाज कराने आए मरीजों को इलाज से संबंधित जानकारी का लगाना अनिवार्य है। परंतु किसी भी नर्सिंग होम हो या क्लीनिक में इसे अमल में नहीं लाया जा रहा है। कुछ इसी तरह का नजारा सिधवलिया प्रखण्ड स्थिति सिधवलिया बाजार में एक निजी नर्सिंग होम में देखने को मिला जहाँ डॉक्टर नही कम्पाउंडर मरीजो का इलाज करते है। इस संदर्भ जब नर्सिंग होम में तैनात कर्मियों से डॉक्टर के बारे में पूछा गया तो एक कम्पाउंडर ने कहा कि डॉक्टर साब दिल्ली गए है वही दूसरे से जब पूछ ताक्ष की गई तो उसने बताया कि डॉक्टर साहब घर पर है उन्हें ड़ेंगू हुआ है। वही मरीजो के परिजनो से जब बात की गई तो उन्हें पता ही नही है कि डॉक्टर साहब है या नही क्योंकि उनके मरीज को कम्पाउंड द्वारा इलाज जारी था। इस संदर्भ में सामाजिक कार्यकर्ता परसुराम सिंह ने कहा कि गोपलगंज समेत विभिन्न प्रखंडो में जितमे भी नर्सिंग होम है वे सब अवैध रूप से संचलित होते है जिपर जिला प्रशासन की निगाहे नही पड़ती। उन्होंने कहा कि प्रशासन के मिली भगत से ही ये अवैध नर्सिंग होम संचालित होते है भोली भाली जनता को भटका कर कमीशन के चक्कर मे दलाल उन्हें निजी नर्सिंग होम में लेकर जाते है जहां उनसे मोटी रकम अदा कराई जाती है। वही सदर अस्पताल के सिविल सर्जन नंदकिशोर सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अवैध नर्सिंग होम पर कार्यवाई के लिए इसके पूर्व के जिलाधिकारी से वार्ता की गई थी जिसको लेकर उन्होंने एक टीम भी गठित किया था। लेकिन दुर्भाग्य से इसपर अमल नही हो सका अब पुनः इसपर कार्यवाई के लिए जिलाधिकारी से वार्ता कर कार्यवाई की जाएगी। सिविल सर्जन ने भी माना कि अधिकांश नर्सिंग होम अवैध चल रहे है।

बाइट-नंदकिशोर सिंह, सीएस नीला सर्ट पीछे परदा
बाइट-परसुराम सिंह, समाजिक कार्यकर्ता उजला कुर्ता
बाइट-महिला मरीज के परिजन
बाइट- कंपाउंडर





Conclusion:na
Last Updated : Nov 17, 2019, 1:21 PM IST
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