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कैदियों को शिक्षा देने में पहले स्थान पर आया यह जेल, प्रतियोगी परीक्षा की भी कराते हैं तैयारी

गोपालगंज जिले का मंडल कारा कैदियों को शिक्षा देने के मामले में बिहार का पहला जेल बना है. यहां निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाया जाता है. इसके साथ ही कैदियों को स्नातकोत्तर तक पढ़ाया जाता है. यहां प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी कराई जाती है.

gopalganj jail
गोपालगंज जेल
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Published : Jul 31, 2021, 11:05 PM IST

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज (Gopalganj) के थावे प्रखंड के चनावे स्थित मंडल कारा (Gopalganj Divisional Jail) में निरक्षर अब साक्षर बन रहे हैं. जेल अधीक्षक अमित कुमार की पहल पर जेल में ना सिर्फ कैदी खेती-बाड़ी में अव्वल बन रहे हैं, बल्कि शिक्षा के प्रति जागरूक होकर साक्षर व्यक्तियों की श्रेणी में पहुंच रहे हैं

यह भी पढ़ें- सुशील मोदी ने दाउदनगर में ऑक्सीजन प्लांट का किया निरीक्षण, कहा- प्रगति बेहद धीमी

मंडलकारा प्रशासन हमेशा किसी न किसी गतिविधी के माध्यम से बंदियों के मानसिक विकास और एक सभ्य नागरिक बनाने के लिए प्रयास करता है. कैदियों को व्यवसायिक और सामान्य शिक्षा दी जाती है. इसके चलते जेल में शिक्षा लेने वाले कैदियों की संख्या बढ़ी है. कैदियों को पढ़ाने के मामले में यह जेल बिहार में पहले स्थान पर आया है.

देखें वीडियो

जेल में रोज कैदियों की क्लास लगती है. कैदी अपनी स्वेच्छा से निर्धारित समय के अनुसार पढ़ाई करते हैं. इस जेल में 3 साल पहले कैदियों को शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए योजना बनाई गई थी. 2020 के अंत में इस पहल में तेजी लाई गई. जेल में ही इग्नू सेंटर और एनआईओएस के माध्यम से कैदियों को दसवीं, बारहवीं, स्नातक और स्नातकोत्तर के अलावा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही जो कैदी निरक्षर हैं उन्हें साक्षर बनाने के लिए भी क्लास चलाया जाता है.

जेल अधीक्षक अमित कुमार ने कहा, 'मंडल कारा में प्रवेश के समय शैक्षणिक योग्यता के आधार पर साक्षरता कार्यक्रम (10वीं से स्नातकोत्तर और विविध सर्टिफिकेट कार्यक्रम) में नामांकन कराया जाता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग के माध्यम से 10वीं और 12वीं में नामांकन फॉर्म भरने की सुविधा है. वर्तमान में 1 से 5 तक के नामांकन में मान्यता के लिए प्रयास किये जा रहे हैं. आशा है कि जल्द ही इसकी भी मान्यता मिल जाएगी.'

"समय-समय पर कैदियों के बीच जागरुकता अभियान चलाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. 2020 में इग्नू से 17 कैदियों का नामांकन किया गया. एनआईओएस में 131 बंदियों का दाखिला हुआ. करीब 200 कैदियों को साक्षर बनाया जा रहा है. पाठ्य सामग्री भी दी जाती है. निरक्षर महिला कैदियों और उसके बच्चों को भी साक्षर बनाया जा रहा है. कारा प्रशासन का लक्ष्य है कि कारा मुक्ति के समय हर एक निरक्षर कैदी साक्षर होकर निकले."- अमित कुमार, जेल अधीक्षक

यह भी पढ़ें- कभी 'दुश्मन'...कभी 'संकट मोचक'...कुछ ऐसा रहा ललन सिंह का नीतीश से 'दोस्ताना'

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज (Gopalganj) के थावे प्रखंड के चनावे स्थित मंडल कारा (Gopalganj Divisional Jail) में निरक्षर अब साक्षर बन रहे हैं. जेल अधीक्षक अमित कुमार की पहल पर जेल में ना सिर्फ कैदी खेती-बाड़ी में अव्वल बन रहे हैं, बल्कि शिक्षा के प्रति जागरूक होकर साक्षर व्यक्तियों की श्रेणी में पहुंच रहे हैं

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मंडलकारा प्रशासन हमेशा किसी न किसी गतिविधी के माध्यम से बंदियों के मानसिक विकास और एक सभ्य नागरिक बनाने के लिए प्रयास करता है. कैदियों को व्यवसायिक और सामान्य शिक्षा दी जाती है. इसके चलते जेल में शिक्षा लेने वाले कैदियों की संख्या बढ़ी है. कैदियों को पढ़ाने के मामले में यह जेल बिहार में पहले स्थान पर आया है.

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जेल में रोज कैदियों की क्लास लगती है. कैदी अपनी स्वेच्छा से निर्धारित समय के अनुसार पढ़ाई करते हैं. इस जेल में 3 साल पहले कैदियों को शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए योजना बनाई गई थी. 2020 के अंत में इस पहल में तेजी लाई गई. जेल में ही इग्नू सेंटर और एनआईओएस के माध्यम से कैदियों को दसवीं, बारहवीं, स्नातक और स्नातकोत्तर के अलावा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही जो कैदी निरक्षर हैं उन्हें साक्षर बनाने के लिए भी क्लास चलाया जाता है.

जेल अधीक्षक अमित कुमार ने कहा, 'मंडल कारा में प्रवेश के समय शैक्षणिक योग्यता के आधार पर साक्षरता कार्यक्रम (10वीं से स्नातकोत्तर और विविध सर्टिफिकेट कार्यक्रम) में नामांकन कराया जाता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग के माध्यम से 10वीं और 12वीं में नामांकन फॉर्म भरने की सुविधा है. वर्तमान में 1 से 5 तक के नामांकन में मान्यता के लिए प्रयास किये जा रहे हैं. आशा है कि जल्द ही इसकी भी मान्यता मिल जाएगी.'

"समय-समय पर कैदियों के बीच जागरुकता अभियान चलाकर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. 2020 में इग्नू से 17 कैदियों का नामांकन किया गया. एनआईओएस में 131 बंदियों का दाखिला हुआ. करीब 200 कैदियों को साक्षर बनाया जा रहा है. पाठ्य सामग्री भी दी जाती है. निरक्षर महिला कैदियों और उसके बच्चों को भी साक्षर बनाया जा रहा है. कारा प्रशासन का लक्ष्य है कि कारा मुक्ति के समय हर एक निरक्षर कैदी साक्षर होकर निकले."- अमित कुमार, जेल अधीक्षक

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