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Flood In Gopalganj : बाढ़ पीड़ितों का छलका दर्द, कहा- सरकार ने हमें भगवान भरोसे छोड़ा

गोपालगंज (Gopalganj) जिले में बाढ़ का कहर शुरू हो गया है. लोगों के घरों से लेकर फसल तक पानी में डूब चुके हैं. खाट, चौकी, मचान पर लोग अपना आशियाना बना जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. खाने के लिए भी जुगाड़ का सहारा लेना पड़ रहा है, लेकिन इन लोगों तक अभी भी सरकारी मदद नहीं पहुंची है. देखें रिपोर्ट

गोपालगंज में बाढ़ का कहर
गोपालगंज में बाढ़ का कहर
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Published : Jun 18, 2021, 10:09 AM IST

Updated : Jun 18, 2021, 11:50 AM IST

गोपालगंज : बिहार के गोपालगंज (Gopalganj) जिले में बाढ़ ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. जिले के सदर प्रखण्ड के खाप मकसूदपुर गांव समेत कई इलाकों में गंडक नदी का पानी तेजी से आया है. खाप मकसूदपुर (Khap maksudpur) गांव के 300 घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. हजारों परिवारों के सामने आशियाना और भोजन की समस्या खड़ी हो गई है. ग्रामीण भूखे-प्यासे प्रशासनिक मदद का इंतजार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : यह भी पढ़ें- बोले मंत्री संजय झा- 'बाढ़ को लेकर विभाग मुस्तैद, गंडक में फ्लैश फ्लड से हालात गंभीर'

गांव में बन गये जल कैदी
जब ईटीवी भारत की टीम खाप मकसूदपुर गांव पहुंची तो दियरा इलाके के लोगों ने अपनी आप बीती सुनाई. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले चार दिनों से बाढ़ की विभीषिका की वजह से जिंदगी नारकीय हो गयी है. यहां के लोग अपने ही गांव में कैद हो गए हैं. आलम यह है कि न खाने को आनाज है न पीने के लिए पानी. पानी के बीच घिरे इन बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी बांस के बने मचानों व पानी के बीच किसी तरह कट रही है.

देखें वीडियो

'पूरे घर में बाढ़ का पानी घुस गया है. चौकी पर ही चूल्हा चौक रख कर खाना बना रही हूं. यहां पर कोई ऊंची जगह नहीं है जहां हमलोग जाकर रह सकें. प्रशासन, मुखिया व सरपंत ओर से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है.' :- मानती देवी, बाढ़ पीड़ित

ये भी पढ़ें : Flood In Bagaha: कहीं मचान बना आशियाना तो कहीं चौकी पर बन रहा खाना, देखें रिपोर्ट

अब तक नहीं पहुंची मदद
गांव में करीब 300 घर पूरी जलमग्न हो गए हैं लेकिन यहां पर अब तक कोई जनप्रतिनिधि भी नहीं पहुंचा है. ग्रामीणों की सुध लेने कोई नहीं आया. यही वजह है कि यहां रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. ये लोग शुद्ध पानी, नाव, भोजन, तिरपाल और रहने की व्यवस्था के लिए प्रशासन का आसरा लगाए बैठे हैं. वाल्मीकि बैराज से छोड़े गए बाढ़ के पानी से यहां के लोग बेघर हो गये हैं.

मचान को लोगों ने बनाया आशियाना
मचान को लोगों ने बनाया आशियाना

'बीमार पोते को खाट पर लिटा कर चार किलोमीटर की दूरी तय कर अस्पताल ले जा रहा हूं. यहां कोई व्यवस्था नहीं है. नाव नहीं रहने के कारण खाट पर लाद कर इलाज के लिए लेकर जा रहे हैं. सरकार का सारा पैसा मुखिया, सरपंच, नेता सब मिलकर खा जाते हैं. हमें किसी तरह मदद नहीं मिल पा रही है.' :- सुदामा प्रसाद, बाढ़ पीड़ित

यह भी पढ़ें- Gopalganj Flood: बाढ़ के पानी से दो माह पहले बनी सड़क ध्वस्त, 15 गांवों के लोगों का आवागमन ठप

प्रभावित गांवों में नहीं पहुंची नाव
नेपाल के तराई इलाको में हो रही लगातार बारिश के बाद बाल्मीकि नगर बराज से पानी छोड़े जाने के बाद दियारा इलाके के गांव में बाढ़ का पानी तेजी से फैलने लगा है. लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. वहीं, सांप-बिच्छु का डर भी लोगों को सता रहा है.

बाढ़ पीड़ित चौकी पर बना रही खाना
बाढ़ पीड़ित चौकी पर बना रही खाना

नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है. जिला प्रशासन की ओर से सरकारी नाव का इंतजाम अभी तक नहीं किया गया है. सदर प्रखंड के खाप मकसूदपुर, जगिरी टोला, मलाही टोला और रामपुर समेत विभिन्न निचले इलाके के गांव में पानी फैल रहा है. यहां गांव की सड़कों पर 8 से 10 फुट पानी बह रहा है. वहीं कुछ लोग अब पलायन करने लगे हैं.

गोपालगंज : बिहार के गोपालगंज (Gopalganj) जिले में बाढ़ ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. जिले के सदर प्रखण्ड के खाप मकसूदपुर गांव समेत कई इलाकों में गंडक नदी का पानी तेजी से आया है. खाप मकसूदपुर (Khap maksudpur) गांव के 300 घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. हजारों परिवारों के सामने आशियाना और भोजन की समस्या खड़ी हो गई है. ग्रामीण भूखे-प्यासे प्रशासनिक मदद का इंतजार कर रहे हैं.

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गांव में बन गये जल कैदी
जब ईटीवी भारत की टीम खाप मकसूदपुर गांव पहुंची तो दियरा इलाके के लोगों ने अपनी आप बीती सुनाई. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले चार दिनों से बाढ़ की विभीषिका की वजह से जिंदगी नारकीय हो गयी है. यहां के लोग अपने ही गांव में कैद हो गए हैं. आलम यह है कि न खाने को आनाज है न पीने के लिए पानी. पानी के बीच घिरे इन बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी बांस के बने मचानों व पानी के बीच किसी तरह कट रही है.

देखें वीडियो

'पूरे घर में बाढ़ का पानी घुस गया है. चौकी पर ही चूल्हा चौक रख कर खाना बना रही हूं. यहां पर कोई ऊंची जगह नहीं है जहां हमलोग जाकर रह सकें. प्रशासन, मुखिया व सरपंत ओर से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है.' :- मानती देवी, बाढ़ पीड़ित

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अब तक नहीं पहुंची मदद
गांव में करीब 300 घर पूरी जलमग्न हो गए हैं लेकिन यहां पर अब तक कोई जनप्रतिनिधि भी नहीं पहुंचा है. ग्रामीणों की सुध लेने कोई नहीं आया. यही वजह है कि यहां रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. ये लोग शुद्ध पानी, नाव, भोजन, तिरपाल और रहने की व्यवस्था के लिए प्रशासन का आसरा लगाए बैठे हैं. वाल्मीकि बैराज से छोड़े गए बाढ़ के पानी से यहां के लोग बेघर हो गये हैं.

मचान को लोगों ने बनाया आशियाना
मचान को लोगों ने बनाया आशियाना

'बीमार पोते को खाट पर लिटा कर चार किलोमीटर की दूरी तय कर अस्पताल ले जा रहा हूं. यहां कोई व्यवस्था नहीं है. नाव नहीं रहने के कारण खाट पर लाद कर इलाज के लिए लेकर जा रहे हैं. सरकार का सारा पैसा मुखिया, सरपंच, नेता सब मिलकर खा जाते हैं. हमें किसी तरह मदद नहीं मिल पा रही है.' :- सुदामा प्रसाद, बाढ़ पीड़ित

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प्रभावित गांवों में नहीं पहुंची नाव
नेपाल के तराई इलाको में हो रही लगातार बारिश के बाद बाल्मीकि नगर बराज से पानी छोड़े जाने के बाद दियारा इलाके के गांव में बाढ़ का पानी तेजी से फैलने लगा है. लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. वहीं, सांप-बिच्छु का डर भी लोगों को सता रहा है.

बाढ़ पीड़ित चौकी पर बना रही खाना
बाढ़ पीड़ित चौकी पर बना रही खाना

नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है. जिला प्रशासन की ओर से सरकारी नाव का इंतजाम अभी तक नहीं किया गया है. सदर प्रखंड के खाप मकसूदपुर, जगिरी टोला, मलाही टोला और रामपुर समेत विभिन्न निचले इलाके के गांव में पानी फैल रहा है. यहां गांव की सड़कों पर 8 से 10 फुट पानी बह रहा है. वहीं कुछ लोग अब पलायन करने लगे हैं.

Last Updated : Jun 18, 2021, 11:50 AM IST
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