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बिहार: बाढ़ से निपटने की तैयारियां शुरू, गोपालगंज में प्रशासन सतर्क

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Published : May 18, 2019, 11:59 PM IST

बिहार के गोपालगंज में बरसात के दिनों में गंडक नदी उफान पर रहती है. इसके चलते प्रशासन ने मानसून आने से पहले ही तैयारियां शुरू कर दी हैं.

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गोपालगंज: बिहार का गोपालगंज जिला बाढ़ की समस्या से हमेशा जूझता रहा है. यहां गंडक नदी का विकराल रूप ना जाने कितनों को बेघर कर चुका है. कई एकड़ जमीन गंगा की गोद में समा गई. वहीं, जिला प्रशासन भी समय-समय पर बाढ़ व कटाव से बचाव के लिए पहल शुरु करती है. ताकि समय पर लोगों की जान माल को बचाया जा सके.

gopalganj Administration at action to prevent flooding
काम में लगे मजदूर

इस बार भी मानसून के मौसम में गंडक नदी में आने वाली बाढ़ के कहर से दियारा इलाके के निचले भाग में बसे गांवों को बचाने के लिए प्रशासन ने अपनी तैयारियां अभी से ही शुरू कर दी है. सारण तटबंध के निचले इलाके के रिंग बांध को दुरुस्त करने के लिए कटाव रोधी कार्य किये जा रहे हैं. इस कार्य में सैकड़ों मजदूरों को लगाया गया है, ताकि समय पर यह कटाव रोधी कार्य हो सके.

gopalganj Administration at action to prevent flooding
बाढ़ से बचाव के लिए काम

इन गांवों में सबसे ज्यादा मचती है तबाही
वहीं, जगिरी टोला, हिरापाकड, मेंहनदिया, पतहरा, खगौल, अहिरौली मानिकपुर समेत कई गांव के लोगों सुरक्षित रह सके इसके लिए काम तेजी से हो रहा है. ज्ञातव्य हो कि जिले में बरसात के मौसम में हर साल गंडक नदी में आने वाली बाढ़ तथा कटाव से दियारा के निचले इलाके में तबाही मचती है.

काम करते मजदूर

वो विनाशकारी बाढ़ थी
वर्ष 2017 में बरौली में सारण तटबंध टूटने से जिले के बरौली सिधवलिया तथा बैकुंठपुर के साथ ही सीमावर्ती छपरा के इलाके में भी भारी तबाही मची थी. फसलें बर्बाद हो गई थी और सैकड़ों घर ध्वस्त हो गए गए थे. इस विनाशकारी बाढ़ के बाद सारण तटबंध की दशा सुधारने की पहल की गई. जिसके कारण निचले इलाके में बाढ़ के कारण तबाही काफी कम हुई.

गोपालगंज: बिहार का गोपालगंज जिला बाढ़ की समस्या से हमेशा जूझता रहा है. यहां गंडक नदी का विकराल रूप ना जाने कितनों को बेघर कर चुका है. कई एकड़ जमीन गंगा की गोद में समा गई. वहीं, जिला प्रशासन भी समय-समय पर बाढ़ व कटाव से बचाव के लिए पहल शुरु करती है. ताकि समय पर लोगों की जान माल को बचाया जा सके.

gopalganj Administration at action to prevent flooding
काम में लगे मजदूर

इस बार भी मानसून के मौसम में गंडक नदी में आने वाली बाढ़ के कहर से दियारा इलाके के निचले भाग में बसे गांवों को बचाने के लिए प्रशासन ने अपनी तैयारियां अभी से ही शुरू कर दी है. सारण तटबंध के निचले इलाके के रिंग बांध को दुरुस्त करने के लिए कटाव रोधी कार्य किये जा रहे हैं. इस कार्य में सैकड़ों मजदूरों को लगाया गया है, ताकि समय पर यह कटाव रोधी कार्य हो सके.

gopalganj Administration at action to prevent flooding
बाढ़ से बचाव के लिए काम

इन गांवों में सबसे ज्यादा मचती है तबाही
वहीं, जगिरी टोला, हिरापाकड, मेंहनदिया, पतहरा, खगौल, अहिरौली मानिकपुर समेत कई गांव के लोगों सुरक्षित रह सके इसके लिए काम तेजी से हो रहा है. ज्ञातव्य हो कि जिले में बरसात के मौसम में हर साल गंडक नदी में आने वाली बाढ़ तथा कटाव से दियारा के निचले इलाके में तबाही मचती है.

काम करते मजदूर

वो विनाशकारी बाढ़ थी
वर्ष 2017 में बरौली में सारण तटबंध टूटने से जिले के बरौली सिधवलिया तथा बैकुंठपुर के साथ ही सीमावर्ती छपरा के इलाके में भी भारी तबाही मची थी. फसलें बर्बाद हो गई थी और सैकड़ों घर ध्वस्त हो गए गए थे. इस विनाशकारी बाढ़ के बाद सारण तटबंध की दशा सुधारने की पहल की गई. जिसके कारण निचले इलाके में बाढ़ के कारण तबाही काफी कम हुई.

Intro:गोपालगंज जिला बाढ़ की समस्या से हमेशा जूझता रहा है यहां गंडक नदी अपनी विकराल रूप से कितने ही घरों को बेघर कर दी है। कई एकड़ जमीन गंगा की गोद में समा गई। वही जिला प्रशासन भी समय-समय पर बाढ़ व कटाव से बचाव के लिए प्रशासनिक पहल शुरु करती है। ताकि समय पर लोगो की जान माल को बचाया जा सके। इस बार भी मानसून के मौसम में गंडक नदी में आने वाली बाढ़ के कहर से दियारा इलाके के निचले भाग में बसे गांवों को बचाने के लिए प्रशासन ने अपनी तैयारियां अभी से ही शुरू कर दिया है। सारण तटबंध के निचले इलाके के रिंग बांध को दुरुस्त करने के लिए कटाव रोधी कार्य किये जा रही है इस कार्य मे सैकड़ो मजदूरों को लगाया गया है ताकि समय पर यह कटाव रोधी कार्य हो सके वही जगिरी टोला, हिरापाकड, मेंहनदिया, पतहरा, खगौल, अहिरौली मानिकपुर समेत कई गाँव के लोगों सुरक्षित रह सके। ज्ञातव्य हो कि जिले में बरसात के मौसम में हर साल गंडक नदी में आने वाली बाढ़ तथा कटाव से दियारा के निचले इलाके में तबाही मचती है वर्ष 2017 में बरौली में सारण तटबंध टूटने से जिले के बरौली सिधवलिया तथा बैकुंठपुर के साथ ही सीमावर्ती छपरा के इलाक़े में भी भारी तबाही मची थी फसलें बर्बाद हो गई थी और सैकड़ों घर ध्वस्त हो गए गए थे। इस विनाशकारी बाढ़ के बाद सारण तटबंध की दशा सुधारने की पहल की गई जिसके कारण निचले इलाके में बाढ़ के कारण तबाही काफी कम हुई थी। गंडक नदी में हर साल आने वाली बाढ़ को देखते हुए प्रशासन ने इस बार अभी से बाढ़ से बचाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दिया है। ईटीवी भारत के संवाददाता ने गंडक नदी के कटाव का जायजा लिया जहाँ पर कटाव रोधी कार्य किये जा रहे थे। कटाव रोधी कार्य मे लगे ठेकेदार ने बताया कि मानक के अनुसार कार्य किये जा रहे है इस कार्य मे कुल 140मजदूर लगाए गए है जो बोरी में बालू भरकर कटाव से बचाव के लिए कार्य कर रहे है। वही स्थानीय लोगो के माने तो उनका कहना हैं की प्रत्येक वर्ष बाढ़ 2 कटाव के समस्या से जूझना पड़ता है। हाजरो एकड़ उपजाऊ जमीन बर्बाद हो कर गंगा में विलीन हो गई वही कई गांव व मकान ध्वस्त हो गए। पीड़ित परिवार कहि बांध पर सरण लेकर गुजर बसर कर रहा है तो कोई दूसरे जगह पलायन कर रहे है। बावजूद प्रशासनी उपेक्षाएं बरकरार है। इस बार भी कटाव से रोकने के लिए कार्य किये जा रहे है जो सही नही है इससे कटाव नही रूक पायेगा। अगर इट पत्थर डाली जाएगी तो कटाव रुकने के सम्भावना है। वही इस संदर्भ में जब सदर सीओ विजय कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी के निर्देश पर सारण तटबंध का निरीक्षण किया गया निरीक्षण के दौरान कई जगह बांध टूटे हुए मिले थे जिसका रिपोर्ट तैयार कर वरीय पदाधिकारी को दे दी गई है जहां बांध जर्जर है वहां जल्दी मरम्मत का काम शुरू किया जाएगा ताकि गंडक नदी में उफान आने पर बांध टूटने का खतरा नहीं रहे।


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