गोपालगंज: शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri 2022) का आरंभ हो गया है, जिसे लेकर जिले के थावे प्रखण्ड के लछवार गांव स्थित मां दुर्गा के मंदिर में हजारों के संख्या में भक्त आते हैं और मां से याचना करते हैं. साथ ही प्रेत बाधा से पीड़ित लोगों की पीड़ा भी मां हर लेती हैं. यही कारण है कि यहां वैसे तो सालों भर माँ के दरबार मे भक्त अपने प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के लिए पहुंचते है. लेकिन शारदीय नवरात्र हो या फिर चैती नवरात्र यहां भूतों का जमघट (Gathering of ghosts in the temple of Maa Durga) लगता है. ऐसी मान्यता है कि जिसके शरीर पर प्रेत की साया होती है, वह यहां पहुंचते ही अपने रूप में आकर विभिन्न तरीके से खेलने (हरकत) लगता है. यहां दूर दूर से भक्त आकर प्रेत बाधा से मुक्ति पाते हैं.
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हर साल जुटती है भक्तों की भीड़: हर साल की भांति इस साल भी नवरात्र के मौके पर दुर्गा मंदिर में दूर दराज से भक्तों की भीड़ जुटने की संभावना है. कहा जाता है कि यहां आने वाले भक्तों को मां की असीम कृपा प्राप्त होने के साथ ही उनके दुख व रोग भी नष्ट हो जाते हैं. यहीं कारण है कि ऐतिहासिक लछवार धाम को यहां प्रेत बाधा से मुक्ति धाम भी कहा जाता है.
दूर दूर से आते हैं भक्त: नवरात्र के दौरान यहां गोपालगंज के ही नहीं बल्कि आस-पास के जिलों के साथ यूपी और नेपाल तक से भक्त मां का दर्शन करने आते हैं और असाध्य से असाध्य पीड़ा से मुक्ति पाकर अपने घरों को लौटते हैं. नवरात्र में तो यहां अजब नजारा देखने को मिलता है. कहीं औरतें जोर-जोर से सिर हिला रही होती हैं, तो कहीं कोई महिला दौड़ लगा रही होती हैं ना कपड़ों की चिंता और ना ही आसपास खड़े लोगों का कोई असर होता है. संवेदनहीन दिख रही महिलाओं पर शायद भूतों का असर होता है. हर व्यक्ति अपने आप में मस्त रहता है. ऐसी मान्यता है कि यहां के मिट्टी के स्पर्श मात्र से प्रेतात्माएं शरीर छोड़ देते हैं.
"पूर्व में यह देवी स्थान गांव के पश्चिम दिशा में स्थापित था. लगभग सौ साल पूर्व नारायण टोला सिंहपुर निवासी बाबा कल्लू पाण्डेय को देवी ने दर्शन दिया और कहा कि मेरे इस स्थान को गांव के पूरब दिशा में ले चलो. इसके बाद बाबा ने नारायणपुर पंडित टोला के पूरब (लक्षवार धाम) में देवी के स्थान को अपने ही जमीन में स्थापित किया और देवी का पिड रख एक कोठरी बनाकर रहने लगे. अब इस मंदिर में प्रेत बाधा मुक्ति के लिए रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग आने लगे".- ललका बाबा, मंदिर के पुजारी
डिजिटल युग मे अंधविश्वास हावी: दरअसल बिहार के कई जिलों में आज भी लोग अंधविश्वास में डूबे हैं. इक्कसवीं सदी में जहां लोग चाँद पर घर बनाने की सोच रहे है. वहीं इस डिजिटल युग मे अंधविश्वास (superstitions in the digital age in bihar) हावी है. लोग अपनी बीमारी और परेशानी को दूर करने के लिए ओझा और बाबा का सहारा लेते हैं. लोगों का विश्वास तांत्रिक पर इतना हो जाता है कि इसे भक्त भगवान की कृपा मानते हैं. जिले के थावे प्रखण्ड के लछवार गांव से ऐसी ही एक तस्वीर सामने आई है, जहां मंदिर में भूतों का जमघट लगता है. यानि यहां लोगों पर सवार भूतों को भगाया जाता है.
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