गोपालगंज: बिहार में मानसून (Monsoon in Bihar) की दस्तक के साथ ही भारी बारिश के बाद गोपालगंज सहित कई जिलों में बाढ़ की स्थिति कायम हो गयी थी. गंडक नदी (Gandak river) में फ्लैश फ्लड के चलते 21 पंचायत के 41 गांव प्रभावित हुए थे. लेकिन बीते कुछ दिनों से बाढ़ का पानी अब नीचे उतरने लगा है.
गंडक नदी के निचले हिस्से में बसे ग्रामीण अब बाढ़ (Flood) से निजात पाने लगे हैं. करीब 39 गांवों से बाढ़ का पानी पूरी तरह उतर चुका है. पानी के हटते ही विस्थापित परिवार अपने घरों को लौटने लगे हैं. लोगों की जिंदगी एक बार फिर से पटरी पर लौटती दिख रही है.
16 हजार की आबादी हुई थी प्रभावित
गंडक नदी का जलस्तर कम होने और रास्ता खुलने से जनजीवन पटरी पर लौट चुकी है. महज चार गांव शीतलपुर, पकहां, प्यारेपुर व आशा खैरा में अभी भी जलजमाव की स्थिति है. ये चारों गांव सर्वाधिक लो-लैंड इलाके में आते हैं. जिले के 6 प्रखण्ड के 2 गांव पूर्ण रूप से बाढ़ प्रभावित थे, जबकि 19 अंशिक रूप से प्रभावित थे. कुल 16 हजार 435 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए थे.
लोगों के मन में बाढ़ आने का डर कायम
बाढ़ से निजात पाने के बावजूद दियारा वासियों के मन में बाढ़ का डर अब भी कायम है. उन्हें अभी भी बाढ़ आने का डर है. मानूसन का यह पहला महीना है. जुलाई और अगस्त बाकी है. इधर, वाल्मीकि बराज से मानसून के शुरूआत में ही 4 लाख 12 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया. बराज से अभी और पानी छोड़ा जाना बाकी है. जिसके चलते बाढ़ आने के खतरे की आंशका और अधिक बढ़ जाती है.
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प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
दियारा वासियों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन उनकी परेशानियों की अनदेखी करता है. पीड़ितों ने कहा कि बाढ़ के कारण सब बर्बाद हो गया. लेकिन प्रशासन ने कोई मदद नहीं की. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से उन्हें किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिली है. बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद वे एक बार फिर से अपने घर तो लौट गये हैं. लेकिन उन्हें अभी भी बाढ़ का डर सता रहा है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
'बाढ़ के वक्त लोगों को कोई सरकारी सहायता नहीं मिली. सत्तू खाकर बाढ़ के समय हमने गुजारा किया था'.- मुन्ना प्रसाद, पीड़ित
'अभी तो पानी कम हुआ है. फिर पानी बढ़ेगा. बाढ़ के समय कहीं और रह के गुजारा किये. अब घर लौट रहे हैं'.- बलिस्टर प्रसाद, पीड़ित
'हम यहां मर रहे हैं. बाढ़ के समय घर में पानी आ गया था. सब लोगों को खाना तक नहीं मिल रहा था. कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है'.- रेणू देवी, पीड़ित
'जब बाढ़ आती है, तो मिट्टी का काम लगवाते हैं बांध पर. हम बाढ़ पीड़ितों को क्या मिलता है. सिर्फ एक तिरपाल. आज तक कोई जनप्रतिनिधि देखने तक नहीं आया है. 6 हजार रुपये की सरकारी सहायता के लिए भी चप्पल घिसने पड़ जाते हैं'.- बंगाली प्रसाद, बाढ़ पीड़ित
'हर साल बाढ़ आती है. कुछ दिन सरकारी सहायता के नाम पर तमाशा होता है. उसके बाद इन्हें उसी हाल पर छोड़ दिया जाता है. बाढ़ के स्थाई समाधान से घोटाले बंद हो जाएंगे. जिससे कुछ लोगों को नुकसान होगा. इसलिये ये समस्या बनाये रखना चाहते हैं''.- नवीन श्रीवास्तव, सामाजिक कार्यकर्ता
1 हजार लोगों को किया गया था रेस्क्यू
बता दें कि गंडक में फ्लैश फ्लड के कारण जलस्तर में हुई अचानक वृद्धि के चलते दियरा इलाके के लोगों की परेशानी बढ़ गई थी. जिले के सदर प्रखंड के 6 पंचायत के 21 गांव गंड़क के पानी में डूब गए थे. इस बीच रेस्क्यू का काम भी किया गया. निचले इलाके में रहने वाले 1 हजार लोगों को प्रशासन ने रेस्क्यू करके बाहर निकाला. बताया जाता है कि बाढ़ के वक्त इन गांवों के 7 से 8 सौ घर में पानी घुस गया था.
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