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ग्राउंड रिपोर्टः सरकारी सहायता से महरूम हैं ये बाढ़ पीड़ित, जान जोखिम में डाल NH पर ली है शरण

बिहार के बाढ़ प्रभावित कई जिलों में प्रशासन की लापरवाही की वजह से लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों तक सरकारी मदद नहीं पहुंच पा रही है.

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Published : Aug 5, 2020, 7:30 PM IST

गोपालगंजः ईटीवी भारत बाढ़ की स्थिति पर लगातार ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. बिहार में इन दिनों बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है. जिले में बाल्मीकिनगर बाराज से छोड़े गए साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी के कारण सारण तटबंध टूट गया. जिससे कई गांव में बाढ़ की भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है. लोग एनएच-28 बच्चों के साथ शरण लेकर अपने दिन गुजार रहे हैं. लेकिन प्रशासन की तरफ से उन्हें कोई मदद मुहैया नहीं कराई गई है.

टूट गया सारण तटबंध
बाढ़ प्रभावित लोगों की जिंदगी बेपटरी हो गई है. प्रशासन की तरफ से उन्हें बस एक प्लास्टिक दी गई है. दरअसल 23 जुलाई की रात गोपालगंज के कई प्रखंड के लिए लोगों के लिए आफत की रात साबित हुई थी. सारण तटबंध टूटने से सोए हुए लोगों के घरों में बाढ़ का पानी फैल गया. लोग अपने जाना माल की रक्षा के लिए इधर-उधर भागने लगे. कई लोगों के घरों में रखे अनाज, जेवर और जरूरी कागजात भींग कर बर्बाद हो गए.

देखें रिपोर्ट

नहीं मिल रही कोई मदद
हमारे संवाददाता जब एनएच 28 पर पहुंचे तो बाढ़ प्रभावित लोगों ने अपनी परेशानी बताई. पथरा गांव निवासी हरकी देवी ने बताया कि उनका सारा समान बाढ़ के पानी में बर्बाद हो गया. पूरा परिवार जान बचाकर किसा तरह यहां पहुंचा. प्रशासन की तरफ से उन्हें सिर्फ एक प्लास्टिक मुहैया कराई गई है. कम्युनिटी किचन में समय से खाना नहीं मिलने के कारण बच्चे भूख से रो रह रहे थे. जिसके बाद दोपहर के 3 बजे हरकी देवी ने चूल्हा और बर्तन की व्यवस्था कर खाना बनाना शुरु किया.

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भूखे बच्चे

लोगों में डर
यह कहानी सिर्फ हरकी देवी की नहीं है. एनएच 28 पर सभी बाढ़ प्रभावितों की कोई मदद करने वाला नहीं है. प्लास्टिक की झोपड़ी बनाकर पूरा परिवार उसमें शरण लेने को मजबूर हैं. सरपट दौड़ती एनएच पर वाहनों की रफ्तार और बारिश की पानी इन लोगों में डर पैदा कर देती है.

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NH पर शरण लिए लोग

खोखले नजर आ रहे सभी दावे
बाढ़ को लेकर एक तरफ सरकार तैयारियां पूरी होने के दावे कर रही है वहीं, दूसरी तरफ उनके सारे दावे खोखले नजर आ रहे हैं. स्थानीय लोग व सामाजिक संगठन बाढ़ प्रभावितों को भोजन मुहैया करा रहे हैं. ऐसे में प्रशासनिक सुविधा आश्रय स्थल और कम्युनिटी किचन हवा हवाई साबित हो रही है.

गोपालगंजः ईटीवी भारत बाढ़ की स्थिति पर लगातार ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. बिहार में इन दिनों बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है. जिले में बाल्मीकिनगर बाराज से छोड़े गए साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी के कारण सारण तटबंध टूट गया. जिससे कई गांव में बाढ़ की भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है. लोग एनएच-28 बच्चों के साथ शरण लेकर अपने दिन गुजार रहे हैं. लेकिन प्रशासन की तरफ से उन्हें कोई मदद मुहैया नहीं कराई गई है.

टूट गया सारण तटबंध
बाढ़ प्रभावित लोगों की जिंदगी बेपटरी हो गई है. प्रशासन की तरफ से उन्हें बस एक प्लास्टिक दी गई है. दरअसल 23 जुलाई की रात गोपालगंज के कई प्रखंड के लिए लोगों के लिए आफत की रात साबित हुई थी. सारण तटबंध टूटने से सोए हुए लोगों के घरों में बाढ़ का पानी फैल गया. लोग अपने जाना माल की रक्षा के लिए इधर-उधर भागने लगे. कई लोगों के घरों में रखे अनाज, जेवर और जरूरी कागजात भींग कर बर्बाद हो गए.

देखें रिपोर्ट

नहीं मिल रही कोई मदद
हमारे संवाददाता जब एनएच 28 पर पहुंचे तो बाढ़ प्रभावित लोगों ने अपनी परेशानी बताई. पथरा गांव निवासी हरकी देवी ने बताया कि उनका सारा समान बाढ़ के पानी में बर्बाद हो गया. पूरा परिवार जान बचाकर किसा तरह यहां पहुंचा. प्रशासन की तरफ से उन्हें सिर्फ एक प्लास्टिक मुहैया कराई गई है. कम्युनिटी किचन में समय से खाना नहीं मिलने के कारण बच्चे भूख से रो रह रहे थे. जिसके बाद दोपहर के 3 बजे हरकी देवी ने चूल्हा और बर्तन की व्यवस्था कर खाना बनाना शुरु किया.

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भूखे बच्चे

लोगों में डर
यह कहानी सिर्फ हरकी देवी की नहीं है. एनएच 28 पर सभी बाढ़ प्रभावितों की कोई मदद करने वाला नहीं है. प्लास्टिक की झोपड़ी बनाकर पूरा परिवार उसमें शरण लेने को मजबूर हैं. सरपट दौड़ती एनएच पर वाहनों की रफ्तार और बारिश की पानी इन लोगों में डर पैदा कर देती है.

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NH पर शरण लिए लोग

खोखले नजर आ रहे सभी दावे
बाढ़ को लेकर एक तरफ सरकार तैयारियां पूरी होने के दावे कर रही है वहीं, दूसरी तरफ उनके सारे दावे खोखले नजर आ रहे हैं. स्थानीय लोग व सामाजिक संगठन बाढ़ प्रभावितों को भोजन मुहैया करा रहे हैं. ऐसे में प्रशासनिक सुविधा आश्रय स्थल और कम्युनिटी किचन हवा हवाई साबित हो रही है.

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