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किसानों में जागरुकता का आभाव, नहीं मिल रहा मृदा स्वास्थ्य जांच योजना का लाभ

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Published : Dec 17, 2019, 5:41 AM IST

सरकार की ओर से किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन जानकारी के आभाव में किसानों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है. जागरुकता के आभाव में किसान बिना मिट्टी जांच के ही खेती करने को मजबूर है.

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गोपालगंज: किसानों के लिए भले ही बजट में हर जिले में मृदा स्वास्थ्य जांच केंद्र खोलने की घोषणा की गई हो, लेकिन किसानों को ऐसी किसी योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है. जिसकी वजह से किसानों को ऐसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

किसानों में जागरुकता का आभाव
सरकार की ओर से किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन जानकारी के आभाव में किसानों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है. जागरुकता के आभाव में किसान मिट्टी की जांच कराए बिना खेती करने को मजबूर हैं. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब इसकी पड़ताल की तो, कई चौकाने वाले मामला सामने आए.

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मृदा जांच के बारे में किसानों को जनकारी नहीं

मृदा जांच के बारे में नहीं है जानकारी
ईटीवी भारत से बात करते हुए किसानों ने बताया कि उन्हें मृदा जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं है. जानकारी के अभाव में किसान पुरानी विधि से ही खेती करते हैं. कई बार तो खाद ज्यादा डालने पर फसल का नुकसान भी हो जाता है. किसानों ने बताया कि अगर मिट्टी जांच करने के बारे में जानकारी होती तो, हम जांच कराकर यह पता कर सकते हैं कि हमारे खेत मे कितनी उर्वरा है और खाद पानी कितनी मात्रा में देना है.

किसानों को नहीं मिल रहा है सरकारी योजना का लाभ

सुविधाओं से वंचित है किसान
बता दें कि देश में मिट्टी की घटती उर्वरा शक्ति के कारण कृषि उत्पादन में हो रही कमी को दूर करने के लिए पिछले कई वर्षों से मृदा स्वास्थ्य सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना प्रमुख कार्यक्रम है. जिसमें जांच प्रयोगशाला में खेतों की मिट्टी की जांच करके उसमें पोषक तत्व की स्थिति के बारे में जानकारी दी जाती है. वहीं, जिले के कई ऐसे गांव हैं. जहां के किसान इन सुविधाओं से वंचित है.

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पुरानी विधि से ही खेती करते है किसान

प्रयोगशाला के बारे में नहीं है जानकारी
किसानों को यह पता भी नहीं है कि मिट्टी की जांच क्या होती है और मिट्टी जांचने वाली प्रयोगशाला कहां है तो. ऐसे में ये अपने खेतों में कैसे पैदावार बढ़ा सकते हैं. गांव के किसानों ने बताया कि मृदा जांच के नमूने के लिए कभी कोई गांव में नहीं आया है. खेत की मिट्टी की जांच कब और कैसे करनी चाहिए. इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है. मिट्टी की जांच को लेकर जिले में क्षेत्रिय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला बनी है, लेकिन इस प्रयोगशाला के बारे में भी किसानों को नहीं पता है.

'समय-समय पर किया जाता है प्रचार-प्रसार'
प्रयोगशाला के मृदा अनुसंधानकर्ता प्रमोद कुमार ने बताया कि यहां पर मिट्टी की जांच के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं. मिट्टी जांच के लिए समय-समय पर प्रचार-प्रसार भी किया जाता है, लेकिन किसान यहां पर जांच कराने नहीं आते, जो आते हैं, उनकी जांच करके रिपोर्ट दे दी जाती है. विभाग के आंकड़ों की मानें तो सत्र 2019-20 में कुल 2662 लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन अभी तक महज कुल 749 मृदा हेल्थ कार्ड का वितरण किया गया है.

गोपालगंज: किसानों के लिए भले ही बजट में हर जिले में मृदा स्वास्थ्य जांच केंद्र खोलने की घोषणा की गई हो, लेकिन किसानों को ऐसी किसी योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है. जिसकी वजह से किसानों को ऐसी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

किसानों में जागरुकता का आभाव
सरकार की ओर से किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन जानकारी के आभाव में किसानों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है. जागरुकता के आभाव में किसान मिट्टी की जांच कराए बिना खेती करने को मजबूर हैं. ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब इसकी पड़ताल की तो, कई चौकाने वाले मामला सामने आए.

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मृदा जांच के बारे में किसानों को जनकारी नहीं

मृदा जांच के बारे में नहीं है जानकारी
ईटीवी भारत से बात करते हुए किसानों ने बताया कि उन्हें मृदा जांच के बारे में कोई जानकारी नहीं है. जानकारी के अभाव में किसान पुरानी विधि से ही खेती करते हैं. कई बार तो खाद ज्यादा डालने पर फसल का नुकसान भी हो जाता है. किसानों ने बताया कि अगर मिट्टी जांच करने के बारे में जानकारी होती तो, हम जांच कराकर यह पता कर सकते हैं कि हमारे खेत मे कितनी उर्वरा है और खाद पानी कितनी मात्रा में देना है.

किसानों को नहीं मिल रहा है सरकारी योजना का लाभ

सुविधाओं से वंचित है किसान
बता दें कि देश में मिट्टी की घटती उर्वरा शक्ति के कारण कृषि उत्पादन में हो रही कमी को दूर करने के लिए पिछले कई वर्षों से मृदा स्वास्थ्य सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना प्रमुख कार्यक्रम है. जिसमें जांच प्रयोगशाला में खेतों की मिट्टी की जांच करके उसमें पोषक तत्व की स्थिति के बारे में जानकारी दी जाती है. वहीं, जिले के कई ऐसे गांव हैं. जहां के किसान इन सुविधाओं से वंचित है.

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पुरानी विधि से ही खेती करते है किसान

प्रयोगशाला के बारे में नहीं है जानकारी
किसानों को यह पता भी नहीं है कि मिट्टी की जांच क्या होती है और मिट्टी जांचने वाली प्रयोगशाला कहां है तो. ऐसे में ये अपने खेतों में कैसे पैदावार बढ़ा सकते हैं. गांव के किसानों ने बताया कि मृदा जांच के नमूने के लिए कभी कोई गांव में नहीं आया है. खेत की मिट्टी की जांच कब और कैसे करनी चाहिए. इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है. मिट्टी की जांच को लेकर जिले में क्षेत्रिय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला बनी है, लेकिन इस प्रयोगशाला के बारे में भी किसानों को नहीं पता है.

'समय-समय पर किया जाता है प्रचार-प्रसार'
प्रयोगशाला के मृदा अनुसंधानकर्ता प्रमोद कुमार ने बताया कि यहां पर मिट्टी की जांच के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं. मिट्टी जांच के लिए समय-समय पर प्रचार-प्रसार भी किया जाता है, लेकिन किसान यहां पर जांच कराने नहीं आते, जो आते हैं, उनकी जांच करके रिपोर्ट दे दी जाती है. विभाग के आंकड़ों की मानें तो सत्र 2019-20 में कुल 2662 लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन अभी तक महज कुल 749 मृदा हेल्थ कार्ड का वितरण किया गया है.

Intro:जिले के किसानों के लिए भले ही सरकार बजट में हर जिले में मृदा स्वास्थ्य जांच केंद्र खोलने की घोषणा की गई हो लेकिन हकीकत यह है कि किसानों को मृदा स्वस्थ्य जांच की ऐसी कोई योजना है, के बारे में भी पता है। इसे किसान अपने खेतों के मिट्टी के बारे में बिना पता लगाए मेहनत कर रहे हैं। बिना मिट्टी के जांच के खेती कर अच्छी आमदनी पैदावार बढ़ाने की ललक में मेहनत करते हैं लेकिन मेहनत के अनुसार उनके फसल अच्छी नहीं होती


Body:स्लॉग-नही पहुंच रहा किसानों तक मृदा स्वास्थ्य जांच योजना का लाभ

v/o_1 सरकार द्वारा किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। लेकिन इन योजनाओं की जानकारी खुद लाभुकों को ही नही मिल पा रही है। जिससे किसान बिना मिट्टी जांच के ही खेती करने को बाध्य होते है। ईटीवी भारत द्वारा जब इसकी पड़ताल की गई तब कई मामले चौकाने वाले सामने आए। जब हमारी पड़ता खेतों में काम कर रहे किसानों के पास पहुची तो किसानों ने बताया कि हमे तो मालूम भी नही है की मृदा जांच क्या होता है। जानकारी के अभाव में हम लोग पुरानी विधि से ही खेती करते है। कई बार जानकारी के अभाव में खेती करने में परेशानी होती है।खाद ज्यादा डालने पर फसल का नुकसान हो जाता है अगर मिट्टी जांच करने के बारे में जानकारी होती तो हम जांच कराकर यह पता कर सकते थे कि हमारे खेत मे कितनी उर्वरा है और खाद पानी कितनी मात्रा में देनी है।। अब ऐसे में किसान वैज्ञानिक विधि से खेती कैसे करें।

बाइट-जेहरूद्दीन, किसान


v/o-2 देश में मिट्टी की घटती उर्वरा शक्ति के कारण कृषि उत्पादन में हो रही कमी को दूर करने के लिए पिछले कई वर्षों से मृदा स्वास्थ्य सुधार कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना प्रमुख कार्यक्रम है। जिसमें जांच प्रयोगशाला में खेतों की मिट्टी की जांच करके उसमें पोषक तत्व की क्या स्थिति है कि जानकारी दी जानी है। जिले के कई ऐसे गांव है जहां के किसान इन सुविधाओं से वंचित है किसानों को इसके बारे में पता भी नहीं है। और इसका प्रयोगशाला कहां है। इसके बारे जानकारी नही है

बाइट- रब हुसैन,किसान

v/o -3 तो सुना आपने इन किसानों के बातों को की इन किसानों को यह पता भी नही है कि मिट्टी की जांच क्या होती है। और मिट्टी जाँचने वाला प्रयोगशाला कहां है। तो ये अपने खेतों में कैसे पैदावार बढ़ा सकते है। गाँव के किसानों ने बताया कि मृदा जांच के नमूने के लिए कभी कोई गांव में नही आया है। खेत के मिट्टी की जांच कब और किसे करनी चाहिए इसकी कोई जानकारी नही दी गई है।। जिले के किसान अपने खेत की मिट्टी की जांच खुद से नमूने लेकर भी करा सके इसके लिए गोपालगंज में क्षेत्रीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला बनी है। लेकिन इस प्रयोगशाला के बारे में भी किसानों को नहीं पता है। प्रयोगशाला के मृदा अनुसन्धानकर्ता प्रमोद कुमार ने बताया कि यहां पर मिट्टी की जांच के लिए सभी इंतजाम है मिट्टी जांच के लिए समय-समय पर प्रचार-प्रसार भी किया जाता है। लेकिन किसान यहां पर जांच कराने नहीं आते। जो आते हैं उनकी जांच करके रिपोर्ट दे दी जाती है विभाग के आंकड़ों की मानें तो सत्र 2019-20 में कुल 2662 लक्ष्य निर्धारित किये गायब है लेकिन अभी तक महज कुल 749 मृदा हेल्थ कार्ड का वितरण किया गया है।

बाइट- प्रमोद कुमार सहायक अनुसन्धानकर्ता

कार्ड में रहता है 12 तत्वो की जानकारी

स्वाइल हेल्थ कार्ड में मिट्टी के पीएच, इसी, जैविक कार्बन, नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटैसियम, सल्फर, जिंक, बोरोन, आयरन, मैग्नीज, व कॉपर के मात्रा की जानकारी अंकित रहता है। इतना ही नही जमीन में उपलब्ध इन रसायनों में से किस फसल की खेती के लिए किस खाद की कितनी आवश्यकता होती है वह भी अंकित रहता है।



Conclusion:कुल मिलाकर देखा जाए तो विभागीय उदासीनता के कारण किसानों को इस योजना का लाभ नही मिलता है और ना ही उन्हें इसके लिए प्रचार प्रसार किया जाता है। जिससे कारण किसानो का मेहनत और पैसा कही न कही बर्वाद होता है अगर किसान को मिट्टी जांच के बारे में पता होता तो निश्चित मात्रा म एयूरिय का छिड़काव के साथ पोषक तत्व दिया जा सकता था।
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