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गोपालगंज: अतिवृष्टि ने बढ़ाई किसानों की परेशानी, जलजमाव के कारण फसलें हो रहीं नष्ट - कृषि पदाधिकारी वेद नारायण सिंह

जिले में अतिवृष्टि ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. जलजमाव के कारण जिले के 14 प्रखंडों में तैयार फसल की कटाई नहीं हो पा रही है. धूप की तख्त में कमी व तापमान में गिरावट से जल्द पानी का सूखना मुश्किल है.

जलजमाव के कराण फसलें हो रही नष्ट
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Published : Nov 15, 2019, 11:49 AM IST

गोपालगंज: जिले में सुखाड़ और बाढ़ के साथ-साथ अतिवृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है. दरअसल, पिछले महीने प्रकृति ने पहले तो सुखाड़ की स्थिति पैदा कर दी, इसके बाद फिर भारी मात्रा में बारिश हो गई. बारिश ने किसानों के अरमान पर पानी फेर दिया है. धान के खेतों में आज भी घुटने तक पानी लगा है जिससे किसानों की समस्या कम होने के बजाय बढ़ गई है. ऐसे में किसान अपनी फसल बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं.

खेतों में पानी जमा रहने से किसान धान की फसल काट नहीं पा रहे हैं. खेतों में 1 से 3 फुट तक पानी जमा है. तैयार फसलें नहीं काटे जाने से बर्बाद हो रही हैं. कुछ किसान धान की बालियों को घुटने तक पानी में खड़ा होकर काट रहे है और ट्यूब के सहारे धान के बालियों को पानी से बाहर निकाल कर उसे कारगर साबित करने में लगे हैं. जिले में ऐसे सैकड़ों किसान है जिनके खेतों में लगे पानी आज तक नहीं सुख पाए हैं.

gopalganj
फसल बचाने की जद्दोजहद में लगे किसान

जलजमाव के कारण फसलें हो रही नष्ट
ज्यादा रकबे में खेती करने वाले किसानों की परेशानी और भी बढ़ गई है. तैयार फसल को काटने के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं. 5 से 10 एकड़ में लगी फसल की बालियों को काटकर लाना भी मुश्किल है. जलजमाव के कारण जिले के 14 प्रखंडों में तैयार फसल की कटाई नहीं हो पा रही है. मॉनसून पूर्व बारिश नहीं होने से किसान धान के बिचड़े समय पर नहीं डाल सके. इसके बाद अगस्त व सितंबर में हुई अतिवृष्टि ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया.

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जलजमाव के कारण फसलें हो रही नष्ट

किसानों की बढ़ी मुश्किलें
किसानों ने किसी तरह विपरित मौसम से जूझते हुए खेतों में बीज डाला था. अब जब फसल काटने की बारी आई तो खेत जलमग्न हो गये. किसानों का कहना है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में भी जलजमाव रहने से धान काटना मुश्किल तो हो ही रहा है साथ ही आगे गेहूं और रवि फसल की खेती हो पाना भी संभव नहीं दिख रहा है. जिन खेतों में अभी 2 से 3 फुट तक पानी है वहां अगले 1 महीने तक पानी सूखने के आसार नहीं है. धूप की तख्त में कमी व तापमान में गिरावट से जल्द पानी का सुखना मुश्किल है.

पेश है रिपोर्ट

सरकार देगी अनुदान
इधर, किसानों की समस्याओं को देखते हुए कृषि पदाधिकारी वेद नारायण सिंह ने कहा कि जहां भी अतिवृष्टि के कारण खेतों में पानी जमा हुआ है, उसका सर्वेक्षण कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार के नियमों के अनुसार यदि 33 प्रतिशत से ज्यादा फसल की क्षति होती है तो वैसे किसानों को मुआवजा मिलेगा. किसान इसके लिये ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं. जो भी नियमसंगत अनुदान होगा वो उन्हें दिया जाएगा.

गोपालगंज: जिले में सुखाड़ और बाढ़ के साथ-साथ अतिवृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ दी है. दरअसल, पिछले महीने प्रकृति ने पहले तो सुखाड़ की स्थिति पैदा कर दी, इसके बाद फिर भारी मात्रा में बारिश हो गई. बारिश ने किसानों के अरमान पर पानी फेर दिया है. धान के खेतों में आज भी घुटने तक पानी लगा है जिससे किसानों की समस्या कम होने के बजाय बढ़ गई है. ऐसे में किसान अपनी फसल बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं.

खेतों में पानी जमा रहने से किसान धान की फसल काट नहीं पा रहे हैं. खेतों में 1 से 3 फुट तक पानी जमा है. तैयार फसलें नहीं काटे जाने से बर्बाद हो रही हैं. कुछ किसान धान की बालियों को घुटने तक पानी में खड़ा होकर काट रहे है और ट्यूब के सहारे धान के बालियों को पानी से बाहर निकाल कर उसे कारगर साबित करने में लगे हैं. जिले में ऐसे सैकड़ों किसान है जिनके खेतों में लगे पानी आज तक नहीं सुख पाए हैं.

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फसल बचाने की जद्दोजहद में लगे किसान

जलजमाव के कारण फसलें हो रही नष्ट
ज्यादा रकबे में खेती करने वाले किसानों की परेशानी और भी बढ़ गई है. तैयार फसल को काटने के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं. 5 से 10 एकड़ में लगी फसल की बालियों को काटकर लाना भी मुश्किल है. जलजमाव के कारण जिले के 14 प्रखंडों में तैयार फसल की कटाई नहीं हो पा रही है. मॉनसून पूर्व बारिश नहीं होने से किसान धान के बिचड़े समय पर नहीं डाल सके. इसके बाद अगस्त व सितंबर में हुई अतिवृष्टि ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया.

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जलजमाव के कारण फसलें हो रही नष्ट

किसानों की बढ़ी मुश्किलें
किसानों ने किसी तरह विपरित मौसम से जूझते हुए खेतों में बीज डाला था. अब जब फसल काटने की बारी आई तो खेत जलमग्न हो गये. किसानों का कहना है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में भी जलजमाव रहने से धान काटना मुश्किल तो हो ही रहा है साथ ही आगे गेहूं और रवि फसल की खेती हो पाना भी संभव नहीं दिख रहा है. जिन खेतों में अभी 2 से 3 फुट तक पानी है वहां अगले 1 महीने तक पानी सूखने के आसार नहीं है. धूप की तख्त में कमी व तापमान में गिरावट से जल्द पानी का सुखना मुश्किल है.

पेश है रिपोर्ट

सरकार देगी अनुदान
इधर, किसानों की समस्याओं को देखते हुए कृषि पदाधिकारी वेद नारायण सिंह ने कहा कि जहां भी अतिवृष्टि के कारण खेतों में पानी जमा हुआ है, उसका सर्वेक्षण कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार के नियमों के अनुसार यदि 33 प्रतिशत से ज्यादा फसल की क्षति होती है तो वैसे किसानों को मुआवजा मिलेगा. किसान इसके लिये ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं. जो भी नियमसंगत अनुदान होगा वो उन्हें दिया जाएगा.

Intro:प्रकृति की मार से हर कोई तबाह हो जाता है। और सबसे ज्यादा तबाही अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों को होती है। सुखाड़ और बाढ़ के साथ-साथ अतिवृष्टि किसानों के लिए और भी परेशानी का सबब बनती है। कुछ ऐसा ही मामला गोपालगंज जिले के किसानों के साथ हुई है। दरअसल पिछले महीने प्रकृति ने पहले तो सुखाड़ की स्थिति पैदा कर दी इसके बाद फिर भारी मात्रा में बारिश हो गई। जिसके कारण किसानों के अरमान पर पानी फिर गया है। किसानों के धान के खेतों में आज भी घुटने तक पानी देखने को मिलते हैं। जिससे किसानों की समस्या कम होने के बजाय बढ़ गई है। किसान पानी में अपने बचे हुए फसल को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे है।


Body:पहले सुखाड़ और बाद में अतिवृष्टि का सामना कर खेती करने वाले किसानो के खेतों में पानी जमा रहने से किसान धान की फसल को काट नहीं पा रहे हैं। खेतों में 1 से 3 फुट तक पानी जमा है। तैयार फसल नहीं काटे जाने से झड़ कर बर्बाद हो रही है। कुछ किसान धान की बालियों को घुटने तक पानी मे खड़ा होकर काट रहे है और ट्यूब के सहारे धान के बालियों को पानी से बाहर निकाल कर उसे कारगर साबित करने में लगे हैं। ऐसे सैकड़ों किसान है जिनके खेतों में लगे पानी आज तक नहीं सुख पाए हैं। ज्यादा में रकबे में खेती करने वाले किसानों के परेशानी और भी बढ़ गई है। तैयार फसल को काटने के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं। 5 से 10 एकड़ में लगी फसल की बालियों को काटकर लाना भी मुश्किल है। जलजमाव के कारण जिले के 14 प्रखंडों में तैयार फसल की कटाई नहीं हो पा रही है। मानसून पूर्व बारिश नही होने से किसान धान बिचड़े समय पर नहीं डाल सके। इसके बाद अगस्त व सितंबर में हुई अतिवृष्टि किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दिया है किसानों ने किसी तरह विपरित मौसम से जूझते हुए खेतों की। अब जबकि जब फसल तैयार है और काटने का समय आ गया है तब जलजमाव बरकरार है। अब उसे काटना मुश्किल बना है। किसानों का कहना है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में भी जलजमाव रहने से धान काटना मुश्किल तो बना ही है। आगे गेहूं और दूसरी रवि फसल की खेती हो पाना संभव नहीं दिख रहा है। जिन खेतों में 2 से 3 फुट तक पानी है। उसके अगले 1 महीने तक सूखने के आसार नहीं है। धूप की तख्त में कमी व तापमान में गिरावट से जल्द पानी का सूखना मुश्किल है। वही किसानों की समस्याओं को देखते हुए कृषि पदाधिकारी वेद नारायण सिंह ने कहा कि अतिवृष्टि के कारण कुछ किसानों के खेतों तक पानी जमा हुआ है इसका सर्वे कराया जा रहा है। किसान अपनी समस्या को ऑनलाइन आवेदन करे ताकि उनके फसल का मुआवजा मिल सके।


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