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गोपालगंज: चीनी की मिठास के साथ लोगों के घर को जगमग कर रहा भारत शुगर मिल - शुगर मिल से बिजली

गोपालगंज में चीनी की मिठास के साथ भारत शुगर मिल लोगों के घर को भी जगमग कर रहा है. बगास से चलने वाली टरबाइन से उत्पादित बिजली को मिल परिसर में ट्रांसमिशन के जरिए गोपालगंज ग्रिड को आपूर्ति की जाती है.

bharat sugarcane mill
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Published : Dec 22, 2020, 12:35 PM IST

गोपालगंज: जिले के सिधवलिया स्थित भारत शुगर मिल चीनी की मिठास के साथ लोगों के घरों को जगमग करता है. यह मिल गन्ने की पेराई के साथ 18 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी करता है. उत्पादित बिजली में से ढाई लाख यूनिट बिजली बिहार सरकार को मुहैया कराई जाती है. इसकी वजह से कई जिलों के गांव जगमग हो रहे हैं.

कई जिलों के गांवों में बिजली
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर सिधवलिया स्थित भारत शुगर मिल में बिजली तैयार की जाती है. यह बिजली मिल गन्ने की पेराई के बाद निकले छिलका बगास से प्रतिदिन 18 मेगा वाट बिजली उत्पादित करता है. जिसे खुद अपने मिल में इस्तेमाल तो करता ही है. साथ ही ढाई लाख यूनिट प्रतिदिन बिहार सरकार को देता है. जिसकी वजह से कई जिलों के गांव जगमग होते है.

देखें पूरी रिपोर्ट

ऑफ सीजन में रहता है बंद
इस मिल से उत्पादित बिजली गोपालगंज, बेतिया और मोतिहारी के गांव में पहुंचाई जाती है. इतना ही नहीं जब ऑफ सीजन में चीनी मिल बंद रहता है. तब भी यह बिजली उत्पादित करता है. बता दें गोपालगंज पावर ग्रिड को सिधवलिया चीनी मिल से मिल रही बिजली को पावर ग्रिड बेतिया से लेकर गोपालगंज, सिवान और गोपालगंज महाराजगंज पावर हाउस को मिलता है. जिससे इन क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति की जाती है.

उच्च क्षमता का ट्रांसफार्मर
बता दें मिल परिसर में ट्रांसमिशन स्विच यार्ड उच्च क्षमता का ट्रांसफार्मर लगाया गया है. बगास से चलने वाली टरबाइन से उत्पादित बिजली को मिल परिसर में ट्रांसमिशन के जरिए गोपालगंज ग्रिड को आपूर्ति की जाती है. मिल से निकले बगास को जमा किया जाता है. ताकि गन्ना पेराई बंद होने के बाद भी बिजली का उत्पादन अप्रैल महीने तक किया जा सके. वहीं विद्युत उत्पादन शुरू होने के साथ ही मिल की भी समस्या दूर हो जाती है.

तीन शुगर मिल शुरू
गोपालगंज जिले में चार सुगर मिल के ईंधन की भी समस्या दूर हो जाती है. बता दें जिले में चार सुगर मिल है. जिसमें हथुआ मिल पहले से ही बंद पड़ा है. वहीं वर्तमान में तीन शुगर मिल चालू है. लेकिन भारत सुगर मिल ही बिजली का उत्पादन करता है. अगर सरकार चाहे तो भारत सुगर मिल के जैसे ही उन दोनों शुगर मिल की आर्थिक मदद कर बिजली का उत्पादन कराया जा सकता है और अन्य जिलों को बिजली मुहैया जा सकती थी.

गोपालगंज: जिले के सिधवलिया स्थित भारत शुगर मिल चीनी की मिठास के साथ लोगों के घरों को जगमग करता है. यह मिल गन्ने की पेराई के साथ 18 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी करता है. उत्पादित बिजली में से ढाई लाख यूनिट बिजली बिहार सरकार को मुहैया कराई जाती है. इसकी वजह से कई जिलों के गांव जगमग हो रहे हैं.

कई जिलों के गांवों में बिजली
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर सिधवलिया स्थित भारत शुगर मिल में बिजली तैयार की जाती है. यह बिजली मिल गन्ने की पेराई के बाद निकले छिलका बगास से प्रतिदिन 18 मेगा वाट बिजली उत्पादित करता है. जिसे खुद अपने मिल में इस्तेमाल तो करता ही है. साथ ही ढाई लाख यूनिट प्रतिदिन बिहार सरकार को देता है. जिसकी वजह से कई जिलों के गांव जगमग होते है.

देखें पूरी रिपोर्ट

ऑफ सीजन में रहता है बंद
इस मिल से उत्पादित बिजली गोपालगंज, बेतिया और मोतिहारी के गांव में पहुंचाई जाती है. इतना ही नहीं जब ऑफ सीजन में चीनी मिल बंद रहता है. तब भी यह बिजली उत्पादित करता है. बता दें गोपालगंज पावर ग्रिड को सिधवलिया चीनी मिल से मिल रही बिजली को पावर ग्रिड बेतिया से लेकर गोपालगंज, सिवान और गोपालगंज महाराजगंज पावर हाउस को मिलता है. जिससे इन क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति की जाती है.

उच्च क्षमता का ट्रांसफार्मर
बता दें मिल परिसर में ट्रांसमिशन स्विच यार्ड उच्च क्षमता का ट्रांसफार्मर लगाया गया है. बगास से चलने वाली टरबाइन से उत्पादित बिजली को मिल परिसर में ट्रांसमिशन के जरिए गोपालगंज ग्रिड को आपूर्ति की जाती है. मिल से निकले बगास को जमा किया जाता है. ताकि गन्ना पेराई बंद होने के बाद भी बिजली का उत्पादन अप्रैल महीने तक किया जा सके. वहीं विद्युत उत्पादन शुरू होने के साथ ही मिल की भी समस्या दूर हो जाती है.

तीन शुगर मिल शुरू
गोपालगंज जिले में चार सुगर मिल के ईंधन की भी समस्या दूर हो जाती है. बता दें जिले में चार सुगर मिल है. जिसमें हथुआ मिल पहले से ही बंद पड़ा है. वहीं वर्तमान में तीन शुगर मिल चालू है. लेकिन भारत सुगर मिल ही बिजली का उत्पादन करता है. अगर सरकार चाहे तो भारत सुगर मिल के जैसे ही उन दोनों शुगर मिल की आर्थिक मदद कर बिजली का उत्पादन कराया जा सकता है और अन्य जिलों को बिजली मुहैया जा सकती थी.

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