गोपालगंज: जिले के माझा प्रखंड के दानापुर दलित बस्ती में डायरिया अपना पैर फैला चुका है. यहां 25 से ज्यादा लोग डायरिया से पीड़ित हैं. वहीं, अब तक एक की मौत हो चुकी है. डायरिया से खौफ की वजह से लोग गांव से पलायन कर रहे हैं.
जिले में पिछले 5 दिनों से मौसम का मिजाज बदलने के साथ ही बीमारी भी अपना पांव पसार रही है. वहीं, डायरिया की चपेट में आए लोगों को सदर अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. वहीं, कुछ का इलाज निजी नर्सिंग होम में करवाया जा रहा है. डायरिया के प्रकोप को देखते हुए लोग घर छोड़कर अन्य जगह के लिए पलायन कर रहे हैं. लोगों को डर है कि कहीं उन्हें भी डायरिया न हो जाए.
स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची
डायरिया फैलने की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पीड़ित लोगों का चेकअप किया और दवाईयां उपलब्ध कराईं. वहीं, गंभीर रूप से बीमार लोगों को सदर अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जिसके बाद दानापुर के दलित बस्ती में डायरिया पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है, एक ही परिवार के 8 सदस्यों को डायरिया हो गया.
डायरिया से स्थानीय बुधन महतो की मौत हो गई. बीमारी की चपेट में आने वाली अधिकांश महिलाएं हैं. इलाके में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया है. बस्ती में रह रहे लोग अपने मुंह को कपड़े से ढक कर रह रहे हैं और बचाव कर रहे हैं.
क्या है डायरिया:
दिन में 3 से ज्यादा बार पानी के साथ अधिक मात्रा में मलत्याग हो रहा हो तो यह डायरिया का लक्षण है. इस रोग से ग्रसित रोगी के शरीर में पानी की अत्यधिक कमी हो जाती है. इससे उसका शरीर कमजोर हो जाता है. यही कारण है कि शरीर में इन्फेक्शन फैलने का खतरा बहुत बढ़ जाता है. सही समय पर सही इलाज नहीं होने पर रोगी की जान भी जा सकती है. सामान्य रूप से डायरिया 3 से 7 दिनों तक में ही ठीक होता है. छोटे बच्चे और बुजुर्ग इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं.
डायरिया के कारण
- डायरिया की मुख्य वजह पानी और खाना-पीना है.
- पेट में कीड़ों या बैक्टेरिया के संक्रमण से डायरिया होता है.
- वायरल इन्फेक्शन के कारण डायरिया हो सकता है.
- गंदगी के कारण डायरिया होता है.
- शरीर में पानी की कमी.
- किसी दवा के रिएक्शन से
- पाचन शक्ति कमजोर होने से डायरिया हो जाता है.
डायरिया का वायरस
रोटावायरस और नोरोवायरस नामक वायरस इंफेक्शन फैलाते हैं, इससे पांच साल के छोटे बच्चों से लेकर वयस्कों में भी डायरिया होने की आशंका रहती है. वहीं एडेनोवायरस हर उम्र के लोगों में डायरिया फैलाता है.
डायरिया के लक्षण
- बार-बार मल त्याग करना
- मल बहुत पतला होना या उपरोक्त दोनों ही स्थितियां हो जाना.
- पतले दस्त, जिनमें जल का भाग अधिक होता है, थोड़े-थोड़े समय के अंतर से आते रहना.
- तीव्र दशाओं में रोगी के पेट के पूरे निचले भाग में दर्द और बेचैनी महसूस होती है.
- किसी रोगी को यह मलत्याग के कुछ समय पहले अधिक मालूम होती है.
- पुराना अतिसार रोग अगर बहुत समय तक बने रहे, या थोड़े ही समय में एकदम से, रोगी का शरीर कृश हो जाए तो डिहाइड्रेशन की दशा उत्पन्न हो सकती है.
सावधानियां
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लें.
- तेल-मसालों वाले खाने से परहेज करें.
- डायरिया होने के पहले दो दिन तक बच्चे को फल, कैफिन पेय पदार्थ, दूध और वसायुक्त भोजन न दें.
- दूध या दूध से बने पदार्थ नहीं खाएं अन्यथा मरीज की हालत और बिगड़ सकती है.
- केले, चावल, सेब का मुरब्बा और टोस्ट का मिश्रण जिसे ब्राट कहते हैं, इसके सेवन से डायरिया में आराम मिलता है.
- कच्चा केला और चावल का सेवन करें; इससे आंतों की गति को नियंत्रित करने और दस्त रोकने में सहायता करते हैं।
- सेब और केले में मौजूद पेक्टिन न केवल दस्त की मात्रा कम करता है बल्कि डायरिया को रोकने में भी प्रभावशाली भूमिका निभाता है.
- बच्चों को टॉइलट से आने के बाद साबुन से हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करें.
- रोगी की देखभाल करने के बाद आप अपने हाथ व उपयोग में लाई गईं अन्य चीजों को ठीक तरह से तरह साफ करें.
- खाद्य पदार्थ, फल और सब्जियों का इस्तेमाल करने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लें.
- यात्रा के दौरान फुटपाथ पर खाने-पीने से बचें.
- खुले में बिकने वाली आइसक्रीम का प्रयोग बिल्कुल न करें.
- मिनरल वॉटर उपयोग करने का प्रयास करें.