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Mahashivratri: महाशिवरात्रि पर शिवालयों में उमड़ी आस्था की भीड़, हर हर महादेव के नारों से गुंजायमान हुआ शिवालय - बालखंडेव नाथ के मंदिर का है 2 सौ वर्षों का इतिहास

गोपालगंज में महाशिवरात्रि को लेकर विभिन्न शिवालयों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. हर हर महादेव के नारों से गुंजायमान हो गया शिवालय. शहर के विभिन्न शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवभक्तों की हुजूम उमड़ पड़ी. साथ ही शिव भक्तों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक कर अपने और अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्वि की भगवान भोले से कामना की. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Feb 18, 2023, 8:29 PM IST

गोपालगंज में महाशिवरात्रि पर मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में (Mahashivratri In Gopalganj) प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी महाशिवरात्रि पर जिले के विभिन्न शिवालयों में लोगों की भीड़ सुबह से ही देखने को मिली. हर कोई इस पावन अवसर पर भगवान भोले नाथ को जलभिषेक और दुग्धाभिषेक कर के भगवान शंकर को प्रसन्न करने में जुटे रहे. प्राचीन शिव मन्दिर बालखण्डेश्वर महादेव के दरवबार में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. महाशिवरात्रि को लेकर भक्तों ने एक दिन पूर्व से ही तैयारी आरंभ कर दी थी.

ये भी पढे़ें- Mahasivratri: केंद्रीय मंत्री नित्यानंद ने निकाली शिव बारात, बने बाबा पातालेश्वर नाथ के गाड़ीवान

शिवालय में उमड़ी भक्तों की भीड़ : शिवमंदिर में सुबह चार बजे से ही भक्त पहुंच गए थे. सुबह दस बजे तक मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुट गई थी. मंदिर परिसर में भीड़ उमड़ने के कारण लोगों को जल चढ़ाने में परेशानी का सामना भी करना पड़ा. हालांकि प्रशासन के द्वारा भक्तों की भीड़ को देखते हुए पुलिस के जवान तैनात किए गए थे. भगवान शिव पर जलाभिषेक करने के लिए लोगों को कतार लगाकर मंदिर में प्रवेश करवाया जा रहा था. मंदिर परिसर में भक्तों की काफी लंबी कतार देखी गई. कहा जाता है कि जनता सिनेमा रोड स्थित बालखंडेव नाथ के मंदिर का इतिहास काफी पुराना है.

बालखंडेव नाथ के मंदिर का है 200 वर्षों का इतिहास : ऐसी मान्यता है कि दो सौ वर्ष पहले जब हथुआ राज का राज हुआ करता था तब गोपालगंज शहर के बीचों-बीच जहां बाल खंडेश्वर महादेव का मंदिर है. उस स्थान पर हथुआ राज की छावनी हुआ करती थी. इसी छावनी में कुछ सैनिक भी रहते थे. सैनिकों द्वारा खेती करने के उद्देश्वय से जब खेत की जोताई की जा रही थी तभी हल द्वारा खेत से एक शिव लिंग निकली. लेकिन हल से शिव लिंग थोड़ी से खंडित हो गई.

मन्नतनाथ मंदिर की है महिमा अपरंपार : स्थानीय लोग व सैनिकों द्वारा खंडित शिवलिंग को वही स्थापित कर एक छोटा सा स्थान दे दिया और पूजा अर्चना करना शुरू कर दिए. धीरे-धीरे यह बात आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई. लोगों की भीड़ जुटने लगी. स्थानीय लोगों ने जो भी सच्चे मन से मन्नते मांगी, वह पूरी होती गई. जिसे लोग मन्नतनाथ के नाम से भी जानने लगे.

गोपालगंज में महाशिवरात्रि पर मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में (Mahashivratri In Gopalganj) प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी महाशिवरात्रि पर जिले के विभिन्न शिवालयों में लोगों की भीड़ सुबह से ही देखने को मिली. हर कोई इस पावन अवसर पर भगवान भोले नाथ को जलभिषेक और दुग्धाभिषेक कर के भगवान शंकर को प्रसन्न करने में जुटे रहे. प्राचीन शिव मन्दिर बालखण्डेश्वर महादेव के दरवबार में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. महाशिवरात्रि को लेकर भक्तों ने एक दिन पूर्व से ही तैयारी आरंभ कर दी थी.

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शिवालय में उमड़ी भक्तों की भीड़ : शिवमंदिर में सुबह चार बजे से ही भक्त पहुंच गए थे. सुबह दस बजे तक मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ जुट गई थी. मंदिर परिसर में भीड़ उमड़ने के कारण लोगों को जल चढ़ाने में परेशानी का सामना भी करना पड़ा. हालांकि प्रशासन के द्वारा भक्तों की भीड़ को देखते हुए पुलिस के जवान तैनात किए गए थे. भगवान शिव पर जलाभिषेक करने के लिए लोगों को कतार लगाकर मंदिर में प्रवेश करवाया जा रहा था. मंदिर परिसर में भक्तों की काफी लंबी कतार देखी गई. कहा जाता है कि जनता सिनेमा रोड स्थित बालखंडेव नाथ के मंदिर का इतिहास काफी पुराना है.

बालखंडेव नाथ के मंदिर का है 200 वर्षों का इतिहास : ऐसी मान्यता है कि दो सौ वर्ष पहले जब हथुआ राज का राज हुआ करता था तब गोपालगंज शहर के बीचों-बीच जहां बाल खंडेश्वर महादेव का मंदिर है. उस स्थान पर हथुआ राज की छावनी हुआ करती थी. इसी छावनी में कुछ सैनिक भी रहते थे. सैनिकों द्वारा खेती करने के उद्देश्वय से जब खेत की जोताई की जा रही थी तभी हल द्वारा खेत से एक शिव लिंग निकली. लेकिन हल से शिव लिंग थोड़ी से खंडित हो गई.

मन्नतनाथ मंदिर की है महिमा अपरंपार : स्थानीय लोग व सैनिकों द्वारा खंडित शिवलिंग को वही स्थापित कर एक छोटा सा स्थान दे दिया और पूजा अर्चना करना शुरू कर दिए. धीरे-धीरे यह बात आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई. लोगों की भीड़ जुटने लगी. स्थानीय लोगों ने जो भी सच्चे मन से मन्नते मांगी, वह पूरी होती गई. जिसे लोग मन्नतनाथ के नाम से भी जानने लगे.

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