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बागवानी मिशन के तहत लगाए गए पौधे चढ़े जलजमाव की भेंट, किसानों की आमदनी पर पड़ेगा असर

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Published : Aug 26, 2020, 7:48 PM IST

बिहार को 14 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं. कोरोना और बाढ़ जैसी आपदा में सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है. बाढ़ के पानी में किसानों की सारी फसल डूब गई.

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गोपालगंजः जिले के किसान बागवानी मिशन के तहत फल और सब्जियों की खेती कर अच्छी आमदनी कमाते थे. लेकिन इस बार खेतों में जलजमाव के कारण फलों व सब्जियों की खेती पर प्रतिकुल असर पड़ा है. जहां सब्जियों को काफी नुकसान हुआ. वहीं, समय से पौधरोपण भी नहीं हो पाया. जिससे अन्नदाताओं की उत्पादकता और आमदनी पर प्रभाव पड़ने की आशंका है.

सब्जियों की खेती
दरअसल गोपालगंज कृषि आधारित जिला माना जाता है. जिले में आम, केला, पपीता, धान, गन्ना, गेंहू के अलावा कई प्रकार की सब्जियों की खेती कर किसान अच्छी आमदनी कमाते हैं. वहीं, बात करे बागवानी मिशन के तहत होने वाली खेती की तो यहां केला,आम पपीता के अलावा सब्जियों की खेती की जाती है. जिसपर सरकार किसानों को अनुदान भी देती है. जिससे किसान इसका भरपूर लाभ उठा सके.

देखें रिपोर्ट

उत्पादन पर असर
वर्तमान समय में जिले में हुई अत्याधिक बारिश और बाढ़ ने किसानों के सामने कई मुसीबते खड़ी कर दी हैं. केला, पपीता और आम के पौधे लगाने का सही समय जुलाई से अगस्त तक का होता है. लेकिन जुलाई में हुई बारिश और बाढ़ के कारण यह समय किसानों के हाथ से निकल गया. जिससे उनके उत्पादन और आमदनी पर असर पड़ना लाजमी है.

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खेतों में जलजमाव

किसानों से लिए जा रहे आवेदन
जिला उद्यान कार्यालय के आंकड़ों की माने तो यहां मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत आम केला और पपीते की खेती के लिए किसानों से आवेदन लिए जा रहे है. अब तक 14 प्रखंड से 857 आवेदन प्राप्त हुए हैं. लेकिन इनमें से महज 44 आवेदन को स्वीकृत किया गया है.

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केले के पेड़

लाखों की आमदनी
पूरे जिले की बात करे तो 25 हेक्टेयर में आम कि खेती की जाती है. अनुमान है कि इससे हर साल 6 से 7 हजार टन आम का उत्पादन होता है और प्रति हेक्टयर 3 से 4 लाख की आमदनी होती है. वहीं केला की बात करें तो 4 से 5 टन केले का उत्पादन होता है. जिसमें प्रति हेक्टेयर 2 से 3 लाख की आमदनी होती है.

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खेतों में लगे पौधे

बर्बाद हो गई सब्जियां
हर साल 250 टन पपीता का उत्पादन होता है. जिसमें 2 से 3 लाख प्रति हेक्टेयर हर साल किसानों को आमदनी होती है. वहीं फूलगोभी, बन्द गोभी समेत कई सब्जियों का अनुमानित उन्नत तरीके से उत्पादन 2 से 3 हेक्टेयर में होता है. इससे 2 से तीन लाख अनुमानित आमदनी होती है. लेकिन इस बार प्रकृति की मार के कारण समय से पौधा रोपण नहीं हो पाया. साथ ही सब्जियां भी बर्बाद हो गई.

सरकार देती है सब्सिडी
किसान इरफान अली ने बताया कि समय से पौधरोपण नहीं होने के कारण इस बार उत्पादन पर असर पड़ेगा और आमदनी भी नहीं होगी. वही जो सब्जियां लगाई गई थी वह भी जलजमाव के कारण बर्बाद हो गई. इस संदर्भ में जिला उद्यान पदाधिकारी मो. नेयाज अहमद ने बताया कि किसानों को मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत विभिन्न फलों पर व सब्जियों पर सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जा रही है.

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बागवानी मिशन के तहत लगे पेड़

जलजमाव से खेती हुई प्रभावित
जिला उद्यान पदाधिकारी मो. नेयाज अहमद ने बताया कि किसान सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी का फायदा उठाकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि वर्तमान में हुए खेतो में जलजमाव से खेती काफी प्रभावित हुई है.

गोपालगंजः जिले के किसान बागवानी मिशन के तहत फल और सब्जियों की खेती कर अच्छी आमदनी कमाते थे. लेकिन इस बार खेतों में जलजमाव के कारण फलों व सब्जियों की खेती पर प्रतिकुल असर पड़ा है. जहां सब्जियों को काफी नुकसान हुआ. वहीं, समय से पौधरोपण भी नहीं हो पाया. जिससे अन्नदाताओं की उत्पादकता और आमदनी पर प्रभाव पड़ने की आशंका है.

सब्जियों की खेती
दरअसल गोपालगंज कृषि आधारित जिला माना जाता है. जिले में आम, केला, पपीता, धान, गन्ना, गेंहू के अलावा कई प्रकार की सब्जियों की खेती कर किसान अच्छी आमदनी कमाते हैं. वहीं, बात करे बागवानी मिशन के तहत होने वाली खेती की तो यहां केला,आम पपीता के अलावा सब्जियों की खेती की जाती है. जिसपर सरकार किसानों को अनुदान भी देती है. जिससे किसान इसका भरपूर लाभ उठा सके.

देखें रिपोर्ट

उत्पादन पर असर
वर्तमान समय में जिले में हुई अत्याधिक बारिश और बाढ़ ने किसानों के सामने कई मुसीबते खड़ी कर दी हैं. केला, पपीता और आम के पौधे लगाने का सही समय जुलाई से अगस्त तक का होता है. लेकिन जुलाई में हुई बारिश और बाढ़ के कारण यह समय किसानों के हाथ से निकल गया. जिससे उनके उत्पादन और आमदनी पर असर पड़ना लाजमी है.

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खेतों में जलजमाव

किसानों से लिए जा रहे आवेदन
जिला उद्यान कार्यालय के आंकड़ों की माने तो यहां मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत आम केला और पपीते की खेती के लिए किसानों से आवेदन लिए जा रहे है. अब तक 14 प्रखंड से 857 आवेदन प्राप्त हुए हैं. लेकिन इनमें से महज 44 आवेदन को स्वीकृत किया गया है.

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केले के पेड़

लाखों की आमदनी
पूरे जिले की बात करे तो 25 हेक्टेयर में आम कि खेती की जाती है. अनुमान है कि इससे हर साल 6 से 7 हजार टन आम का उत्पादन होता है और प्रति हेक्टयर 3 से 4 लाख की आमदनी होती है. वहीं केला की बात करें तो 4 से 5 टन केले का उत्पादन होता है. जिसमें प्रति हेक्टेयर 2 से 3 लाख की आमदनी होती है.

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खेतों में लगे पौधे

बर्बाद हो गई सब्जियां
हर साल 250 टन पपीता का उत्पादन होता है. जिसमें 2 से 3 लाख प्रति हेक्टेयर हर साल किसानों को आमदनी होती है. वहीं फूलगोभी, बन्द गोभी समेत कई सब्जियों का अनुमानित उन्नत तरीके से उत्पादन 2 से 3 हेक्टेयर में होता है. इससे 2 से तीन लाख अनुमानित आमदनी होती है. लेकिन इस बार प्रकृति की मार के कारण समय से पौधा रोपण नहीं हो पाया. साथ ही सब्जियां भी बर्बाद हो गई.

सरकार देती है सब्सिडी
किसान इरफान अली ने बताया कि समय से पौधरोपण नहीं होने के कारण इस बार उत्पादन पर असर पड़ेगा और आमदनी भी नहीं होगी. वही जो सब्जियां लगाई गई थी वह भी जलजमाव के कारण बर्बाद हो गई. इस संदर्भ में जिला उद्यान पदाधिकारी मो. नेयाज अहमद ने बताया कि किसानों को मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत विभिन्न फलों पर व सब्जियों पर सरकार की तरफ से सब्सिडी दी जा रही है.

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बागवानी मिशन के तहत लगे पेड़

जलजमाव से खेती हुई प्रभावित
जिला उद्यान पदाधिकारी मो. नेयाज अहमद ने बताया कि किसान सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी का फायदा उठाकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि वर्तमान में हुए खेतो में जलजमाव से खेती काफी प्रभावित हुई है.

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