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लालू के समय गुलजार रहता था फुलवरिया स्टेशन, 15 सालों में बदल गई पूरी तस्वीर - indian railway

आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के पैतृक गांव फुलवरिया का रेलवे स्टेशन आज बदहाली के दौर से गुजर रहा है. वर्षों से इस स्टेशन से सिर्फ एक ट्रेन संचालित की जा रही है.

बिहार की ताजा खबर
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Published : Jun 17, 2020, 10:33 PM IST

गोपालगंज: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा हथुआ भटनी रेलखंड स्थित फुलवरिया रेलवे स्टेशन वीरान पड़ा हुआ है. सत्ता से लालू यादव और राबड़ी देवी के जाते ही इस स्टेशन के हाल भी बदहाल हो गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि सबका साथ और सबका विकास का दावा करने वाली सरकार ने इस जगह को नजरअंदाज इसलिए कर दिया क्योंकि यह लालू यादव का पैतृक गांव और उनका प्रोजेक्ट है.

रेलवे स्टेशन पर बदहाली इस कदर व्याप्त है कि यहां रात को नहीं दिन के उजाले में भी वीरानी पसरी रहती है. स्टेशन के सितारे गर्दिश में है. वहीं रेलवे सुरक्षा गार्ड की तैनाती न होने से असामाजिक तत्वों के लिए यह रैन बसेरा बन गया है. तत्कालीन रेल मंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल में 8 जुलाई 2005 को इस स्टेशन किया था. उन्होंने सोचा था कि फुलवरिया गांव के लोगों को रेल यातायात से सफर करने में कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन सत्ता की बागडोर जाने के साथ ही स्टेशन उपेक्षा का शिकार हो गया.

गोपालगंज से अटल बिहारी पांडेय की रिपोर्ट

सभी सुविधाएं हैं, लेकिन...
शुरुआती दौर में स्टेशन के रखरखाव पर भी विशेष ध्यान दिया गया. लेकिन अपनी स्थापना के समय से ही स्टेशन मास्टर की पदस्थापना नहीं की गई. बड़ा बाबू के रूप में सीबी मिश्रा को तैनात किया गया था. उद्घाटन के कुछ ही दिनों बाद लाइन बाजार फुलवरिया 16 किलोमीटर जोर-शोर से कार्य संपादित कर काम पूरा कराया गया. सीबी मिश्रा ने हरी झंडी दिखाकर फुलवरिया से हाजीपुर कटिहार तक ट्रेन का परिचालन प्रारंभ कराया. स्टेशन में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं. लेकिन सरकारी उदासीनता का शिकार हुआ स्टेशन मरम्मती के अभाव के चलते उन सुविधाओं से दूर हो गया.

चारो ओर वीरानी
चारो ओर वीरानी

वर्तमान में आज भी एक ट्रेन का आवागमन होता है. इसके अलावा एक भी ट्रेन का आवागमन यहां से शुरू नहीं किया गया. एक समय था कि जब यात्रियों के लिए स्टेशन पर सुविधा मुहैया कराई गई थी. इस स्टेशन पर सफाई कर्मी, बिजली कर्मी, स्टेशन मास्टर, सुरक्षाकर्मी, पेयजल, शौचालय की व्यवस्था थी. इस समय सभी नदारद हैं.

कब गुलजार होगी 'फुलवरिया' ?
कब गुलजार होगी 'फुलवरिया' ?

कब होगा गुलजार होगा ये स्टेशन
स्टेशन इस समय बदहाली के दौर से गुजर रहा है. आज स्टेशन की स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि अब यहां से चल रही एक ट्रेन की सवारी करने वाले यात्रियों को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है. पेयजल हो या शौचालय, सभी की स्थिति खराब है. यहां लगा चापाकल पिछले साल खराब हो गया. अब न तो यहां साफ-सफाई की जा रही है और न ही कोई इस स्टेशन की देखरेख कर रहा है.

पटरियों पर जमी घास
पटरियों पर जमी घास

गोपालगंज: राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा हथुआ भटनी रेलखंड स्थित फुलवरिया रेलवे स्टेशन वीरान पड़ा हुआ है. सत्ता से लालू यादव और राबड़ी देवी के जाते ही इस स्टेशन के हाल भी बदहाल हो गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि सबका साथ और सबका विकास का दावा करने वाली सरकार ने इस जगह को नजरअंदाज इसलिए कर दिया क्योंकि यह लालू यादव का पैतृक गांव और उनका प्रोजेक्ट है.

रेलवे स्टेशन पर बदहाली इस कदर व्याप्त है कि यहां रात को नहीं दिन के उजाले में भी वीरानी पसरी रहती है. स्टेशन के सितारे गर्दिश में है. वहीं रेलवे सुरक्षा गार्ड की तैनाती न होने से असामाजिक तत्वों के लिए यह रैन बसेरा बन गया है. तत्कालीन रेल मंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल में 8 जुलाई 2005 को इस स्टेशन किया था. उन्होंने सोचा था कि फुलवरिया गांव के लोगों को रेल यातायात से सफर करने में कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन सत्ता की बागडोर जाने के साथ ही स्टेशन उपेक्षा का शिकार हो गया.

गोपालगंज से अटल बिहारी पांडेय की रिपोर्ट

सभी सुविधाएं हैं, लेकिन...
शुरुआती दौर में स्टेशन के रखरखाव पर भी विशेष ध्यान दिया गया. लेकिन अपनी स्थापना के समय से ही स्टेशन मास्टर की पदस्थापना नहीं की गई. बड़ा बाबू के रूप में सीबी मिश्रा को तैनात किया गया था. उद्घाटन के कुछ ही दिनों बाद लाइन बाजार फुलवरिया 16 किलोमीटर जोर-शोर से कार्य संपादित कर काम पूरा कराया गया. सीबी मिश्रा ने हरी झंडी दिखाकर फुलवरिया से हाजीपुर कटिहार तक ट्रेन का परिचालन प्रारंभ कराया. स्टेशन में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं. लेकिन सरकारी उदासीनता का शिकार हुआ स्टेशन मरम्मती के अभाव के चलते उन सुविधाओं से दूर हो गया.

चारो ओर वीरानी
चारो ओर वीरानी

वर्तमान में आज भी एक ट्रेन का आवागमन होता है. इसके अलावा एक भी ट्रेन का आवागमन यहां से शुरू नहीं किया गया. एक समय था कि जब यात्रियों के लिए स्टेशन पर सुविधा मुहैया कराई गई थी. इस स्टेशन पर सफाई कर्मी, बिजली कर्मी, स्टेशन मास्टर, सुरक्षाकर्मी, पेयजल, शौचालय की व्यवस्था थी. इस समय सभी नदारद हैं.

कब गुलजार होगी 'फुलवरिया' ?
कब गुलजार होगी 'फुलवरिया' ?

कब होगा गुलजार होगा ये स्टेशन
स्टेशन इस समय बदहाली के दौर से गुजर रहा है. आज स्टेशन की स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि अब यहां से चल रही एक ट्रेन की सवारी करने वाले यात्रियों को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है. पेयजल हो या शौचालय, सभी की स्थिति खराब है. यहां लगा चापाकल पिछले साल खराब हो गया. अब न तो यहां साफ-सफाई की जा रही है और न ही कोई इस स्टेशन की देखरेख कर रहा है.

पटरियों पर जमी घास
पटरियों पर जमी घास
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