गोपालगंज: वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के मद्देनजर दुनिया भर के अस्पतालों को दुरुस्त किया जा रहा है. अस्पतालों में सभी तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. वहीं, ऐसे में गोपालगंज में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का बुरा हाल है. आलम ये है कि डॉक्टरों की कमी के कारण मरीज निजी नर्सिंग होम पर आश्रित हो गए हैं. जहां, मरीजों से मनमाने ढंग से मोटे रकम की उगाही की जा रही है. बता दें कि जिले में महज 91 डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है. वहीं, डॉक्टरों के कुल 112 पद रिक्त हैं.
दरअसल, गोपालगंज जिले की कुल आबादी लगभग 26 लाख है. जिसे स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने के लिए पूरे जिले में एक सदर अस्पताल, 2 अनुमंडलीय अस्पताल, 4 रेफरल अस्पताल, 12 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 23 अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र और 127 उप स्वास्थ्य केंद्र मौजूद हैं. बावजूद इसके यह स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों के लिए नाकाफी साबित हो रहा है. हालांकि इसके विपरीत पिछले कुछ सालों में जिला और अनुमंडल स्तरीय अस्पतालों की दशा कुछ हद तक सुधरी भी है.
सप्ताह में चंद घंटों के लिए पहुंचते हैं डॉक्टर
सुधार की प्रक्रिया के बीच चिकित्सकों की भारी कमी बेहतर इलाज में बाधक बन रही है. ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की कमी से मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र पर सप्ताह में एक या दो दिन ही डॉक्टर महज चंद घंटों के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में यहां आने वाले मरीज बेरंग ही वापस लौटने को विवश होते हैं.
चिकित्सकों की कमी के कारण बंद अस्पताल
जानकारी के मुताबिक सदर प्रखंड के तिरबीरवा गांव में वर्षों पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था. तब यहां डॉक्टर और नर्स नियमीत रूप से आते थे. जिससे स्थानीय लोगों का इलाज होता था. लेकिन धीरे-धीरे चिकित्सकों की संख्या कम होती गई. जिस कारण यह स्वास्थ्य केंद्र बंद हो गया. ये सिर्फ तिरबीरवा का ही मामला नहीं बल्कि कई ऐसे पंचायत हैं जहां, डॉक्टरों के उपलब्ध नहीं होने के कारण स्वास्थ्य केंद्र बंद पड़ा हुआ है.
निजी नर्सिंग होम पर आश्रित स्थानीय मरीज
वहीं, सदर अस्पताल की बात करें तो यहां आज भी सर्जन डॉक्टर, न्यूरो, चर्म समेत कई ऐसे चिकित्सकों का पद आज भी रिक्त पड़ा हुआ है. जिससे मरीजों को निजी नर्सिंग होम में जाना पड़ता है. मामले में तिरबीरवा पंचायत के मोहर्रम हुसैन बताते हैं कि पिछले छः वर्ष से नस की समस्या से जूझते हुए वो चारपाई पर पड़े हैं. उन्होंने कहा कि मैनें कई बार हॉस्पिटल में चिकित्सकों को दिखाया लेकिन नस के डॉक्टर नहीं होने के कारण मैं ठींक नहीं हो सका.
'जल्द कर ली जाएगी रिक्त पदों की भरपाई'
वहीं, मामले में सिविल सर्जन टीएन सिंह बात की गई तो उन्होंने भी स्वीकार करते हुए कहा कि सदर अस्पताल में मेडिसिन समेत डॉक्टर और नर्सों की कमी है. साथ ही उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद चिकित्सक मरिजों की भरपूर सेवा कर रहे हैं. हमलोग रिक्त पदों की सूचना समय-समय पर सरकार को देते रहें हैं. आशा है कि जल्द ही रिक्त पदों की भरपाई कर ली जाएगी,
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की संख्या
1. नियमित चिकित्सक
स्वीकृत | 101 |
कार्यरत | 32 |
खाली | 69 |
2. संविदा पर बहाल
स्वीकृत | 69 |
कार्यरत | 36 |
खाली | 33 |
3.आयुष चिकित्सकक (संविदा )
स्वीकृत | 32 |
कार्यरत | 23 |
खाली | 9 |
4. नियमित नर्स की संख्या
स्वीकृत | 18 |
कार्यरत | 7 |
खाली | 11 |
5. संविदा पर बहाल
स्वीकृत | 68 |
कार्यरत | 16 |
खाली | 52 |
6. एएनएम की संख्या नियमित
स्वीकृत | 268 |
कार्यरत | 205 |
खाली | 63 |
7. संविदा पर
स्वीकृत | 186 |
कार्यरत | 107 |
खाली | 79 |