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गोपालगंजः खुले आसमान में पेड़ के नीचे भविष्य संवार रहे ये बच्चे, कभी नहीं मिला मिड डे मील

खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर इन बच्चों का कहना है कि हमें भी किसी भवन वाले स्कूल में पढ़ने की इच्छा होती है. हम लोगों को आज तक मिड डे मील भी नहीं मिला.

स्कूल में पढ़ते बच्चे
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Published : Aug 30, 2019, 9:48 AM IST

गोपालगंजः शासन और प्रशासन विकास के लाख दावे कर ले, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है. बिहार में शिक्षा व्यवस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी कई जिलों में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं ऐसे बच्चों को मिड डे मील योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता. जिससे बच्चों के मन में निराशा होती है. ऐसा ही एक स्कूल है गोपालगंज जिले में, जहां दलित बस्ती के बच्चे सालों भर पेड़ के नीचे बैठकर अपना भविष्य संवार रहे हैं.

gopalganj
बच्चों को पढ़ाते शिक्षक

नहीं है स्कूल का अपना भवन
हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय गोपालगंज से 50 किलोमीटर दूर सवनही पट्टी गांव की. जहां दलित बस्ती में स्थित प्राथमिक विद्यालय मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर है. स्कूल का अपना भवन नहीं है. यहां के पढ़ने वाले बच्चे गर्मी, ठंढ़ और बरसात में यूं ही अपने घर से बोरा लाकर पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठते हैं. यह स्कूल पहले दूसरे के दरवाजे पर चलता था. लेकिन वहां के गृह स्वामी के विरोध करने पर साल 2017 में दलित बस्ती के लोगों ने अपनी बस्ती में जगह दी. तब से लेकर आज तक स्कूल यहीं चलता है.

gopalganj
पेड़ के नीचे बैठे बच्चे

नहीं मिलता मिड डे मील
इस स्कूल में दो शिक्षक और 66 छात्र हैं. इन बच्चों को आज तक मिड डे मील का लाभ नहीं मिला. इस विद्यालय के एक छात्र ने बताया कि हमें भी किसी भवन वाले स्कूल में पढ़ने की इच्छा होती है. हमें दोपहर का भोजन भी नहीं मिलता. पढ़ने की जगह पर लोग अपना जानवर बांध देते हैं. गर्मी के दिनों में धूप और लू लगती है. ठंड के मौसम में कुहासा और बरसात में पानी बरसने से हम लोगों का क्लास नहीं चलता. जिससे काफी परेशानी होती है.

खुले आसमान में पढ़ते बच्चे और बयान देते शिक्षक और बीईओ

कई बार दिया गया लिखित आवेदन
वहीं, जब प्राध्यानाध्यपक सगीर आलम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसके लिए कई बार लिखित आवेदन विभाग को दिया गया है. लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. इस मामले में जब जिला ब्लॉक शिक्षा पदाधिकारी ललन चौहान से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मुझे पूर्व के बीईओ ने प्रभार नहीं दिया है. जिससे यह बता पाना सम्भव नहीं है कि इस स्कूल को किसी अन्य स्कूल में समायोजित किया गया है या नहीं.

गोपालगंजः शासन और प्रशासन विकास के लाख दावे कर ले, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है. बिहार में शिक्षा व्यवस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी कई जिलों में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं ऐसे बच्चों को मिड डे मील योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता. जिससे बच्चों के मन में निराशा होती है. ऐसा ही एक स्कूल है गोपालगंज जिले में, जहां दलित बस्ती के बच्चे सालों भर पेड़ के नीचे बैठकर अपना भविष्य संवार रहे हैं.

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बच्चों को पढ़ाते शिक्षक

नहीं है स्कूल का अपना भवन
हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय गोपालगंज से 50 किलोमीटर दूर सवनही पट्टी गांव की. जहां दलित बस्ती में स्थित प्राथमिक विद्यालय मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर है. स्कूल का अपना भवन नहीं है. यहां के पढ़ने वाले बच्चे गर्मी, ठंढ़ और बरसात में यूं ही अपने घर से बोरा लाकर पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठते हैं. यह स्कूल पहले दूसरे के दरवाजे पर चलता था. लेकिन वहां के गृह स्वामी के विरोध करने पर साल 2017 में दलित बस्ती के लोगों ने अपनी बस्ती में जगह दी. तब से लेकर आज तक स्कूल यहीं चलता है.

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पेड़ के नीचे बैठे बच्चे

नहीं मिलता मिड डे मील
इस स्कूल में दो शिक्षक और 66 छात्र हैं. इन बच्चों को आज तक मिड डे मील का लाभ नहीं मिला. इस विद्यालय के एक छात्र ने बताया कि हमें भी किसी भवन वाले स्कूल में पढ़ने की इच्छा होती है. हमें दोपहर का भोजन भी नहीं मिलता. पढ़ने की जगह पर लोग अपना जानवर बांध देते हैं. गर्मी के दिनों में धूप और लू लगती है. ठंड के मौसम में कुहासा और बरसात में पानी बरसने से हम लोगों का क्लास नहीं चलता. जिससे काफी परेशानी होती है.

खुले आसमान में पढ़ते बच्चे और बयान देते शिक्षक और बीईओ

कई बार दिया गया लिखित आवेदन
वहीं, जब प्राध्यानाध्यपक सगीर आलम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसके लिए कई बार लिखित आवेदन विभाग को दिया गया है. लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. इस मामले में जब जिला ब्लॉक शिक्षा पदाधिकारी ललन चौहान से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मुझे पूर्व के बीईओ ने प्रभार नहीं दिया है. जिससे यह बता पाना सम्भव नहीं है कि इस स्कूल को किसी अन्य स्कूल में समायोजित किया गया है या नहीं.

Intro:शासन-प्रशासन विकास के लाख दावे करें लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है शिक्षा व्यवस्था के आकलन इसी से ही लगाया जा सकता है कि आज भी गोपालगंज जिले में एक स्कूल पेड़ के नीचे खुले आसमान के नीचे चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं पेड़ के नीचे शिक्षा के तालीम सीख रहे बच्चों को मिड डे मील योजनाओ का लाभ भी नही मिलता जिससे बच्चों के मन मे लालशा बनी रहती है।





Body:हम बात कर रहे है जिलामुख्यालय गोपालगंज से 50 किलोमीटर दूर सवनही पट्टी गाँव के दलित बस्ती में नवसृजित प्राथमिक विद्यालय की जहाँ के बच्चों को मूलभूत सुविधाओं से दूर रखा गया है। यहां के पढ़ने वाले बच्चे गर्मी ठंढ़ या बरसात में युही अपने घर से बोरा लाकर गाँव के बीच पेड़ के नीचे चबूतरा पर बोरा बिछा कर पढते है। यह स्कूल पहले दुसरे के दरवाजे पर चलता था लेकिन वहां के गृह स्वामी के विरोध करने पर वर्ष 2017 में दलित बस्ती के लोगो ने अपने बस्ती में बच्चो को पढ़ाने की बात कहकर निम के पेड़ के नीचे बच्चो को पढ़ाने के बात कही तब से लेकर आज तक यही यह विद्यालय संचालित होता है।इस विद्यालय में दो शिक्षक व 66 छात्र है। इन बच्चो को आज तक मिड डे मील का लाभ नही मिलता और नाही इन विद्यालय को अपना जमीन व भवन नशीब हुआ । कभी यह तो कभी वहां बच्चो की पढ़ाई होती है। इस विद्यालय के छात्र ने बताया कि हने भी किसी भवन वाली स्कूल में पढ़ने की इच्छा करता है। हमे दोपहर का भोजन भी नही मिलता पढ़ने के जगह पर लोग अपना जानवर बांध देते है। गर्मी के दिनों में धूप व लू लगता है ठंड के मौसम में बहुत कुहासा और बरसात में पानी बरसने से हम लोगो का क्लास नही चलता जिससे काफी परेशानी होती है। वही जब प्राध्यानाध्यपक सगीर आलम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसके लिए कई बार लिखित आवेदन विभाग की दिया गया है लेकिन आज तक कोई सुनवाई नही हुई है। बहरहाल बच्चों की स्थिति देखकर यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कि आजादी के बाद से ही हमने प्राथमिक शिक्षा की चुनौती और सुधार की बुनियाद पर ध्यान नहीं दिया। बिहार के पहले शिक्षा मंत्री से लेकर आज तक किसी ने प्राथमिक विद्यालय के बिगड़ते हालात पर ध्यान नहीं दिया। सिर्फ नारो एवं स्लोगनो तक ही सिमट कर रह गया है। सुशासन बाबू चाहे लाख विकास के दावे करे परंतु 21वीं सदी की इस ज्ञान केंद्र दुनिया में बिना प्राथमिक शिक्षा की सुविधा में सुधार किए बिना ना तो सामाजिक न्याय का कोई अर्थ होगा और ना ही विकास का। इस संदर्भ में जब जिला ब्लॉक शिक्षा पदाधिकारी ललन चौहान से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे पूर्व के बीईओ द्वारा प्रभार नही दिया गया है जिससे यह बता पाना सम्भव नही है कि इस विद्यालय को कही अन्य विद्यालय में समायोजन किया गया है या नही।



Conclusion:na
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