गोपालगंजः शासन और प्रशासन विकास के लाख दावे कर ले, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है. बिहार में शिक्षा व्यवस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी कई जिलों में बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं ऐसे बच्चों को मिड डे मील योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता. जिससे बच्चों के मन में निराशा होती है. ऐसा ही एक स्कूल है गोपालगंज जिले में, जहां दलित बस्ती के बच्चे सालों भर पेड़ के नीचे बैठकर अपना भविष्य संवार रहे हैं.
नहीं है स्कूल का अपना भवन
हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय गोपालगंज से 50 किलोमीटर दूर सवनही पट्टी गांव की. जहां दलित बस्ती में स्थित प्राथमिक विद्यालय मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर है. स्कूल का अपना भवन नहीं है. यहां के पढ़ने वाले बच्चे गर्मी, ठंढ़ और बरसात में यूं ही अपने घर से बोरा लाकर पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठते हैं. यह स्कूल पहले दूसरे के दरवाजे पर चलता था. लेकिन वहां के गृह स्वामी के विरोध करने पर साल 2017 में दलित बस्ती के लोगों ने अपनी बस्ती में जगह दी. तब से लेकर आज तक स्कूल यहीं चलता है.
नहीं मिलता मिड डे मील
इस स्कूल में दो शिक्षक और 66 छात्र हैं. इन बच्चों को आज तक मिड डे मील का लाभ नहीं मिला. इस विद्यालय के एक छात्र ने बताया कि हमें भी किसी भवन वाले स्कूल में पढ़ने की इच्छा होती है. हमें दोपहर का भोजन भी नहीं मिलता. पढ़ने की जगह पर लोग अपना जानवर बांध देते हैं. गर्मी के दिनों में धूप और लू लगती है. ठंड के मौसम में कुहासा और बरसात में पानी बरसने से हम लोगों का क्लास नहीं चलता. जिससे काफी परेशानी होती है.
कई बार दिया गया लिखित आवेदन
वहीं, जब प्राध्यानाध्यपक सगीर आलम से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसके लिए कई बार लिखित आवेदन विभाग को दिया गया है. लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. इस मामले में जब जिला ब्लॉक शिक्षा पदाधिकारी ललन चौहान से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मुझे पूर्व के बीईओ ने प्रभार नहीं दिया है. जिससे यह बता पाना सम्भव नहीं है कि इस स्कूल को किसी अन्य स्कूल में समायोजित किया गया है या नहीं.