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तपती रेत पर चलकर स्कूल जाते हैं बच्चे, टूटे पुल ने बढ़ाई लोगों की परेशानी

इस पुलिया के ध्वस्त होने से 24 हजार की आबादी की रफ्तार थम सी गई है. बावजूद इसके विभागीय कार्रवाई आज तक शुरू नहीं हो सकी है.

रेत पर चल स्कूल जाते हैं बच्चे
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Published : May 27, 2019, 8:20 PM IST

गोपालगंजः कुचायकोट प्रखंड के बनतैल मठिया गांव के पास नहर पर बने पुल के टूटे हुए 5 साल बीत चुके हैं. इतने सालों में आज तक यहां दूसरा पुल नहीं बन पाया. पुल नहीं होने के कारण स्थानीय लोगों के आलावा स्कूली बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इस पुलिया के ध्वस्त होने से 24 हजार की आबादी की रफ्तार थम सी गई है. बावजूद इसके विभागीय कार्रवाई आज तक शुरू नहीं हो सकी है. यहां के छोटे-छोटे बच्चे प्रतिदिन गंडक नहर में तपती धूप के कारण गरम बालू से होकर स्कूल जाकर पढ़ते हैं. यह पुल 16 गांव को आपस में जोड़ता है. फिर भी इसकी आज तक किसी जन प्रतिनिधियों ने सुध नहीं ली. यहां के लोग किसी तरह अपने जीवन की गाड़ी खींच रहे हैं.

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रेत पर चल स्कूल जाते हैं बच्चे

किसानों पर भी असर
स्थानीय लोगों की मानें तो आवागमन के साधन नहीं होने के कारण किसानों की खेती भी कमजोर पड़ गई है. इस पुल के माध्यम से रामगढ़वा राजापुर के लगभग 170 बच्चे पढ़ाई करने के लिए स्कूल जाते थे. लेकिन पुल ध्वस्त होने के बाद छात्रों की संख्या में कमी आ गई. हलांकि कुछ बच्चे ऐसे हैं जो इस तपती धूप में गर्म रेत को पार कर स्कूल जाने को विवश हैं.

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रेत पर चल स्कूल जाते हैं बच्चे

गर्म बालू पर जाने को मजबूर
स्थानीय लोग, स्कूल के शिक्षक और एक छात्रा ने बताया कि नहर पर बना पुल वर्षो से ध्वस्त है. स्कूल में नामांकित छात्रो की संख्या 250 है. लेकिन यहां 45-50 बच्चे ही पढ़ने आते है. वहीं कुछ बच्चे नहर में पानी भरने के बावजूद जान जोखिम में डाल कर नहर तैर कर शिक्षा ग्रहण करते हैं. जब पानी सूखता है तब बालू के रेत पर बच्चे चलकर कोसो दूर का सफर तय करते हैं.

रेत पर चल स्कूल जाते हैं बच्चे

क्या कहते हैं कार्यपालक
इस मामले में जब नहर विभाग के कार्यपालक अभियंता दिलीप कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि ग्रामीण कार्य विभाग को पुल बनाने का प्रस्ताव दिया गया है. जिसको लेकर सभी आंकड़ा और डाटा दे दी गई है. जल्द ही इसपर कार्य शुरू हो जाएगा.

गोपालगंजः कुचायकोट प्रखंड के बनतैल मठिया गांव के पास नहर पर बने पुल के टूटे हुए 5 साल बीत चुके हैं. इतने सालों में आज तक यहां दूसरा पुल नहीं बन पाया. पुल नहीं होने के कारण स्थानीय लोगों के आलावा स्कूली बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

इस पुलिया के ध्वस्त होने से 24 हजार की आबादी की रफ्तार थम सी गई है. बावजूद इसके विभागीय कार्रवाई आज तक शुरू नहीं हो सकी है. यहां के छोटे-छोटे बच्चे प्रतिदिन गंडक नहर में तपती धूप के कारण गरम बालू से होकर स्कूल जाकर पढ़ते हैं. यह पुल 16 गांव को आपस में जोड़ता है. फिर भी इसकी आज तक किसी जन प्रतिनिधियों ने सुध नहीं ली. यहां के लोग किसी तरह अपने जीवन की गाड़ी खींच रहे हैं.

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रेत पर चल स्कूल जाते हैं बच्चे

किसानों पर भी असर
स्थानीय लोगों की मानें तो आवागमन के साधन नहीं होने के कारण किसानों की खेती भी कमजोर पड़ गई है. इस पुल के माध्यम से रामगढ़वा राजापुर के लगभग 170 बच्चे पढ़ाई करने के लिए स्कूल जाते थे. लेकिन पुल ध्वस्त होने के बाद छात्रों की संख्या में कमी आ गई. हलांकि कुछ बच्चे ऐसे हैं जो इस तपती धूप में गर्म रेत को पार कर स्कूल जाने को विवश हैं.

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रेत पर चल स्कूल जाते हैं बच्चे

गर्म बालू पर जाने को मजबूर
स्थानीय लोग, स्कूल के शिक्षक और एक छात्रा ने बताया कि नहर पर बना पुल वर्षो से ध्वस्त है. स्कूल में नामांकित छात्रो की संख्या 250 है. लेकिन यहां 45-50 बच्चे ही पढ़ने आते है. वहीं कुछ बच्चे नहर में पानी भरने के बावजूद जान जोखिम में डाल कर नहर तैर कर शिक्षा ग्रहण करते हैं. जब पानी सूखता है तब बालू के रेत पर बच्चे चलकर कोसो दूर का सफर तय करते हैं.

रेत पर चल स्कूल जाते हैं बच्चे

क्या कहते हैं कार्यपालक
इस मामले में जब नहर विभाग के कार्यपालक अभियंता दिलीप कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि ग्रामीण कार्य विभाग को पुल बनाने का प्रस्ताव दिया गया है. जिसको लेकर सभी आंकड़ा और डाटा दे दी गई है. जल्द ही इसपर कार्य शुरू हो जाएगा.

Intro:कुचायकोट प्रखण्ड के बनतैल मठिया गांव गाँव के पास नहर पर बने पुलिया ध्वस्त हो जाने के कारण स्थानीय लोगो के आलावे स्कूली बच्चो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस पुलिया के ध्वस्त होने से 24 हजार की आबादी की रफ्तार थम सी गई है। बावजूद विभागीय कार्यवाई आज तक शुरू नही हो सकी। यहां के छोटे छोटे बच्चे जो देश के भविष्य कहे जाते है वे प्रतिदिन
गंडक नहर में तपती धूप के कारण गरम बालू से होकर स्कूल जाकर शिक्षा ग्रहण करने को बाध्य होते है। गंडक नहर पर बनतैल गांव का पुल उचकागांव और कुचायकोट प्रखंड के 16 गांव को आपस में जोड़ता है लेकिन वर्ष 2016 से क्षतिग्रस्त पुल मई 18 में अचानक ध्वस्त हो गया था। तब से आज तक इस ओर किसी जन प्रतिनिधियों ने सुध नही ली और नाही किसी अधिकारियों ने मजबूरन यहां के लोग किसी तरह अपना जीवन की गाड़ी खिंच रहे है।साथ ही यहां के लोगो को उस दिन का इंतेजार है जब इस नहर पर एक नया पुल का निर्माण होगा। और परेशानिया की दिन खत्म होंगे। स्थानीय लोगो के माने तो आवागमन के साधन नही होने के कारण किसानों की खेती भी कमजोर पड़ गई है। 16 गांव के 24000 की आबादी के लिए लाइफलाइन वाला यह पुल अपने बदकिस्मती पर आंसू बहा रहा है। इस पुल के माध्यम से रामगढ़वा राजापुर के लगभग 170 बच्चे पढ़ाई करने के लिए स्कूल जाते थे लेकिन पुल ध्वस्त होने के बाद छात्रो की संख्या में कमी आ गई। हलांकि कुछ बच्चे ऐसे है जो इस तपती धूप में गर्म रेत पार कर स्कूल जाने को विवश होते हैं।स्थानीय लोग,स्कूल के शिक्षक व एक छात्रा ने बताया कि वर्षो से नहर पर बना पुल ध्वस्त है गाँव के बीच से नहर के गुजरने से बनतैल के आधा खेती व घर स्कूल आंगनबाड़ी केंद्र नहर के उस पर हो गया है।।जब पुल था तब खेती करने व बच्चो को स्कूल जाने में कोई समस्या नही होती थी। लेकिन जब से यह पुल ध्वस्त हुआ तब से परेशानियां बढ़ने लगी। इस नहर में जब पानी लबालब भरती है तब रास्ता बंद हो जाता है खेती नही कर पाते है जिसके कारण जीविकोपार्जन पर भी असर पड़ता है। वही स्कूल व आंगनबाड़ी बंद हो जाता है। बच्चे घर पर ही बैठे रहते है जिससे उनकी पढ़ाई पूरी नही हो पाती है। स्कूल में नामांकित छात्रो की संख्या 250 है लेकिन 45-50 बच्चे ही पढ़ने आते है। वही कुछ बच्चे नहर में पानी भरने के बावजूद जान जोखिम में डाल कर नहर तैर कर उस पर जाकर शिक्षा ग्रहण करते है। जब पानी सूखता है तब बालू के रेत पर बच्चे चलकर को सो दूर का सफर तय करते है पाव में जलन व फोड़े हो जाते है बावजूद पढ़ाई को छोड़ना नही चाहते। अब एक बार फिर तपती बालू के रेत पर चलने के बाद जून के प्रथम सप्ताह में जब नहर पानी से लबालब हो जाएगा तो बच्चे स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र नहीं पहुंच पाएंगे ऐसे में स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्र के संचालक पर भी असर पड़ सकती है। खेती किसानी के लिए गांव के लोगों का पुल ही एकमात्र सहारा था। खेती का समय नजदीक आ रहा है अगले महीने पानी भर जाएगा खेतों तक पहुंचना किसानों के लिए जोखिम भरा कदम होगा। मठिया गाँव में नहर का दक्षिणी तट पर रिहायशी इलाका है जो रामगढ़वा राजापुर मठिया गांव बसा हुआ है उत्तरी छोर पर उत्क्रमित मध्य विद्यालय मठिया व आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होता है नहर का उत्तर तट पर अच्छी खासी खेती होती है तीनों गांव के किसान खेती करने नहर के उस पार जाते हैं।

पुल बना 1955 में
डैमेज हुआ 2000 में
पहली बार छतिग्रस्त 2016 में
लंबाई 220 फीट
चौड़ाई 5 फीट
गहराई 15 फीट
तीन पंचायत के 16 गांव को जोड़ता था कुल 24000 की आबादी हो गई प्रभावित मठिया स्कूल की छात्र संख्या 251
इस संदर्भ में जब हमने नहर विभाग के कार्यपालक अभियंता दिलीप कुमार से वार्ता की तो उन्होंने बताया कि इसकी ग्रामीण कार्य विभाग को पुल बनाने का प्रस्ताव दिया गया है जिसको लेकर सभी आंकड़ा व डाटा दे दी गई है जल्द ही इसपर कार्य शुरू होगा।




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