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गोपालगंज: गांव के चारों ओर बहते पानी के बीच रहते बाढ़ पीड़ित, नहीं पहुंच रही प्रशासनिक मदद

गोपालगंज के भैसही पंचायत समेत आस-पास के पंचायतों में बाढ़ के पानी ( Flood Water ) के बीच लोग रह रहे हैं. लेकिन प्रशासन की तरफ से उनको कोई मदद नहीं मिल रही है. लोगों को आने-जान के लिए नाव भी उपलब्ध नहीं है. जिससे लोगों के भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

बाढ़ पीड़ितों की परेशानी नहीं हो रही है कम
बाढ़ पीड़ितों की परेशानी नहीं हो रही है कम
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Published : Jul 13, 2021, 3:07 PM IST

गोपालगंज: मांझा प्रखण्ड ( Manjha Block ) के भैसही पंचायत समेत आस-पास के पंचायतों में बाढ़ (Flood) के पानी से लोग उबर नहीं पा रहे हैं. आये दिन इनकी समस्याएं कम होने के बाजाये बढ़ती जा रही हैं. वहीं इन बाढ़ पीड़ितों के पास प्रशासनिक सुविधाएं ( Administrative Facilities ) नहीं पहुंच रही है, जिससे दियरा इलाके के लोगों मे शासन-प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भरा हुआ है.

ये भी पढ़ें- बाढ़ के कारण बिहार में तबाही, तस्वीरों में देखिए किसानों का दर्द

दरअसल, भैसही पंचायत के वार्ड नंबर सात बाढ़ के कहर से पूरी तरह परेशान है. इस वार्ड में करीब 5 हजार की आबादी पूरी तरह से प्रभावित हो गई है. वार्ड के चारों ओर पानी ही पानी भरा हुआ है. लोगों को बाहर निकलने का नाव ही एक मात्र सहारा है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि यहां के लोगों के लिए प्रशासन की तरफ से एक भी नाव मुहैया नहीं कराई गई है.

देखें वीडियो

नाव मुहैया नहीं होने से ग्रामीण खाने-पीने समेत जरूरी सामान को नहीं खरीद पा रहे हैं. हलांकि कुछ लोगे खुद का निजी नाव खरीद कर आवगमन करते हैं. वार्ड के निवासी भीखन सहनी ने बताया कि इस बार तीन बार बाढ़ आ चुका है.

तीनों बार में हम लोग परेशान हुए हैं लेकिन हमारी परेशानी से ना ही सरकार को कुछ लेना-देना है और ना ही यहां के प्रशासन को. यहां हमारी हालात जानने वाला अभी तक कोई नहीं आया है. ताकि हम लोग अपना दुखड़ा सुना सके. लेकिन चुनाव के समय नेताओं का भरमार रहता है.

ये भी पढ़ें- गोपालगंज में बाढ़ की विभीषिका, देखें बर्बादी की तस्वीरें

बता दें कि बिहार में हर साल बाढ़ से भारी तबाही होती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं. कई लोगों के घर बाढ़ में बह जाते हैं तो कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है. अब स्थिति यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार में बाढ़ प्रभावित इलाके भले ही कम हो लेकिन बाढ़ से होने वाली तबाही सबसे ज्यादा है. मानसून में अधिक बारिश के आलवा इसमें एक बड़ा योगदान नेपाल से आने वाल पानी का है. जिसकी वजह से कोसी, कमला, बागमती, गंडक, महानंदा और गंगा मानसून के समय बेहद खतरनाक रूप ले लेती हैं और कई इलाकों में बाढ़ आ जाती है.

ये भी पढ़ें- ये तस्वीर रूला देगी: हर तरफ पानी ही पानी... कंधे पर दो बच्चों को लाद 8 KM तक पैदल चलते रहे मां-बाप

ये भी पढ़ें- Gopalganj Flood: बाढ़ का पानी उतरते ही घर लौटने लगे हैं लोग, लेकिन अभी टला नहीं है खतरा

ये भी पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट: बाढ़ से सहमे दियरावासी अपने ही हाथों तोड़ रहे आशियाना

गोपालगंज: मांझा प्रखण्ड ( Manjha Block ) के भैसही पंचायत समेत आस-पास के पंचायतों में बाढ़ (Flood) के पानी से लोग उबर नहीं पा रहे हैं. आये दिन इनकी समस्याएं कम होने के बाजाये बढ़ती जा रही हैं. वहीं इन बाढ़ पीड़ितों के पास प्रशासनिक सुविधाएं ( Administrative Facilities ) नहीं पहुंच रही है, जिससे दियरा इलाके के लोगों मे शासन-प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भरा हुआ है.

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दरअसल, भैसही पंचायत के वार्ड नंबर सात बाढ़ के कहर से पूरी तरह परेशान है. इस वार्ड में करीब 5 हजार की आबादी पूरी तरह से प्रभावित हो गई है. वार्ड के चारों ओर पानी ही पानी भरा हुआ है. लोगों को बाहर निकलने का नाव ही एक मात्र सहारा है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि यहां के लोगों के लिए प्रशासन की तरफ से एक भी नाव मुहैया नहीं कराई गई है.

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नाव मुहैया नहीं होने से ग्रामीण खाने-पीने समेत जरूरी सामान को नहीं खरीद पा रहे हैं. हलांकि कुछ लोगे खुद का निजी नाव खरीद कर आवगमन करते हैं. वार्ड के निवासी भीखन सहनी ने बताया कि इस बार तीन बार बाढ़ आ चुका है.

तीनों बार में हम लोग परेशान हुए हैं लेकिन हमारी परेशानी से ना ही सरकार को कुछ लेना-देना है और ना ही यहां के प्रशासन को. यहां हमारी हालात जानने वाला अभी तक कोई नहीं आया है. ताकि हम लोग अपना दुखड़ा सुना सके. लेकिन चुनाव के समय नेताओं का भरमार रहता है.

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बता दें कि बिहार में हर साल बाढ़ से भारी तबाही होती है. जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं. कई लोगों के घर बाढ़ में बह जाते हैं तो कई लोगों को जान से हाथ धोना पड़ता है. अब स्थिति यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर बिहार में बाढ़ प्रभावित इलाके भले ही कम हो लेकिन बाढ़ से होने वाली तबाही सबसे ज्यादा है. मानसून में अधिक बारिश के आलवा इसमें एक बड़ा योगदान नेपाल से आने वाल पानी का है. जिसकी वजह से कोसी, कमला, बागमती, गंडक, महानंदा और गंगा मानसून के समय बेहद खतरनाक रूप ले लेती हैं और कई इलाकों में बाढ़ आ जाती है.

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