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गोपालगंज: विलुप्त होने के कगार पर बुनियादी विद्यालय, रोजगार परक मिलती थी शिक्षा - बिहार में कुल 519 बुनियादी विद्यालय

गोपालगंज जिले में कुल 9 बुनियादी विद्यालय की स्थापना की गई थी. जिसमें 6 विद्यालयों की स्थिति अब काफी जर्जर हो गई है. इस हालात में रोजगार परक शिक्षा की कौन कहे, सामान्य शिक्षा भी छात्रों को नहीं मिल पा रही है.

बुनियादी विद्यालय
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Published : Oct 28, 2019, 7:04 PM IST

गोपालगंज: जिले में बुनियादी विद्यालयों की हालत बद से बदतर हो गई है. प्रशासन की तरफ से ध्यान ना देने के कारण बुनियादी विद्यालय की उपयोगिता विलुप्त होती नजर आ रही है. वहीं, अब यह विद्यालय भी सामान्य शिक्षा पर आधारित हो गया है.

बता दें कि आजादी से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1919 में बुनियादी विद्यालय की स्थापना की परिकल्पना की थी. जिसके बाद 1934 में इस विद्यालय के विकास का कार्य आरंभ किया गया था. आजादी के समय बिहार में कुल 519 बुनियादी विद्यालय स्थापित किए गए थे.

gopalganj
गायब हो गई रोजगार परक शिक्षा

6 विद्यालयों की स्थिति जर्जर
वहीं, गोपालगंज जिले में कुल 9 बुनियादी विद्यालय की स्थापना की गई थी. जिसमें 6 विद्यालयों की स्थिति अब काफी जर्जर हो गई है. इस हालात में रोजगार परक शिक्षा की कौन कहे, सामान्य शिक्षा भी छात्रों को सही तरीके से नहीं मिलती है. सिर्फ इतना ही नहीं बुनियादी विद्यालय में तकनीकी शिक्षक के स्थान पर नियोजित शिक्षक बहाल हो गए हैं. जिले में 9 बुनियादी विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या 76 और नियमित शिक्षक 31 हैं.

gopalganj
विद्यालय की हालत बद से बदतर

विद्यालय से बुनियादी सुविधाएं हुईं गायब
बताया जाता है कि आजादी के बाद चार दशक तक बुनियादी विद्यालयों की हालत प्रशंसनीय बनी रही है. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण धीरे-धीरे विद्यालय से बुनियादी सुविधाएं तक गायब होने लगी और स्थिति बद से बदतर होती चली गईं. साथ ही विद्यालय से शिक्षकों की संख्या भी घटती चली गई.

पेश है रिपोर्ट

विद्यालयों की हालत बद से बदतर
इस बुनियादी विद्यालय के स्थापना का मूल उद्देश्य लोगों को स्वावलंबी बनाना था. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को व्यवहारिक रोजगार और कार्य कौशल शिक्षा प्रदान करना था. इन विद्यालयों में शिक्षक छात्रों को कार्यानुभव भी बताया करते थे. इसके अलावा खादी कपड़ों के लिए सूट काटने और उन्नत खेती का भी ज्ञान दिया जाता था. जिसके आधार पर छात्र खुद के रोजगार उत्पन्न कर सकता था. लेकिन यह सब अब ठप पड़ गया है. विद्यालय की स्थिति बद से बदतर हो गई है.

गोपालगंज: जिले में बुनियादी विद्यालयों की हालत बद से बदतर हो गई है. प्रशासन की तरफ से ध्यान ना देने के कारण बुनियादी विद्यालय की उपयोगिता विलुप्त होती नजर आ रही है. वहीं, अब यह विद्यालय भी सामान्य शिक्षा पर आधारित हो गया है.

बता दें कि आजादी से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1919 में बुनियादी विद्यालय की स्थापना की परिकल्पना की थी. जिसके बाद 1934 में इस विद्यालय के विकास का कार्य आरंभ किया गया था. आजादी के समय बिहार में कुल 519 बुनियादी विद्यालय स्थापित किए गए थे.

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गायब हो गई रोजगार परक शिक्षा

6 विद्यालयों की स्थिति जर्जर
वहीं, गोपालगंज जिले में कुल 9 बुनियादी विद्यालय की स्थापना की गई थी. जिसमें 6 विद्यालयों की स्थिति अब काफी जर्जर हो गई है. इस हालात में रोजगार परक शिक्षा की कौन कहे, सामान्य शिक्षा भी छात्रों को सही तरीके से नहीं मिलती है. सिर्फ इतना ही नहीं बुनियादी विद्यालय में तकनीकी शिक्षक के स्थान पर नियोजित शिक्षक बहाल हो गए हैं. जिले में 9 बुनियादी विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या 76 और नियमित शिक्षक 31 हैं.

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विद्यालय की हालत बद से बदतर

विद्यालय से बुनियादी सुविधाएं हुईं गायब
बताया जाता है कि आजादी के बाद चार दशक तक बुनियादी विद्यालयों की हालत प्रशंसनीय बनी रही है. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण धीरे-धीरे विद्यालय से बुनियादी सुविधाएं तक गायब होने लगी और स्थिति बद से बदतर होती चली गईं. साथ ही विद्यालय से शिक्षकों की संख्या भी घटती चली गई.

पेश है रिपोर्ट

विद्यालयों की हालत बद से बदतर
इस बुनियादी विद्यालय के स्थापना का मूल उद्देश्य लोगों को स्वावलंबी बनाना था. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को व्यवहारिक रोजगार और कार्य कौशल शिक्षा प्रदान करना था. इन विद्यालयों में शिक्षक छात्रों को कार्यानुभव भी बताया करते थे. इसके अलावा खादी कपड़ों के लिए सूट काटने और उन्नत खेती का भी ज्ञान दिया जाता था. जिसके आधार पर छात्र खुद के रोजगार उत्पन्न कर सकता था. लेकिन यह सब अब ठप पड़ गया है. विद्यालय की स्थिति बद से बदतर हो गई है.

Intro:जिले में बुनियादी विद्यालयों की स्थिति बद से बदतर है। शासन प्रशासन द्वारा इस पर ध्यान नहीं देने के कारण इस विद्यालय की उपयोगिता विलुप्त हो गई है। अब यह विद्यालय सामान शिक्षा पर आधारित हो गया है।









Body:बुनियादी विद्यालय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों में शुमार था। आजादी से पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सन 1919 में बुनियादी विद्यालय की स्थापना की परिकल्पना की थी। सन 1934 में बुनियादी विद्यालयों का विकास का कार्य आरंभ किया गया और आजादी के समय बिहार में कुल 519 बुनियादी विद्यालय स्थापित किए गए थे। वहीं गोपालगंज जिले में कुल 9 बुनियादी विद्यालय की स्थापना की गई थी। जिसमें 6 विद्यालयों की स्थिति काफी जर्जर हो गई है। इस हालात में रोजगार परक शिक्षा की कौन कहे सामान्य शिक्षा भी छात्रों को सही नहीं मिलती। सिर्फ इतना ही नहीं बुनियादी विद्यालय में तकनीकी शिक्षक के स्थान पर नियोजित शिक्षक बहाल हो गए हैं। जिले में 9 बुनियादी विद्यालयों में
शिक्षकों का सृजित पद 90
शिक्षकों की संख्या 76
नियमित शिक्षक 31
प्रभार में स्कूल 8
विद्यालयो की स्थापना 1938
शिक्षकों से बने बीईओ 218
बताया जाता है कि आजादी के पश्चात चार दशक तक बुनियादी विद्यालयों की स्थिति प्रशंसनीय बनी रही है। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण धीरे-धीरे बुनियादी विद्यालय से बुनियादी सुविधाएं तक गायब होने लगी और स्थिति बद से बदतर होती चली गई। जबकि जो शिक्षक पदस्थापित थे वे धीरे-धीरे सेवानिवृत्त होते चले गए। नतीजतन शिक्षकों की संख्या घटती चली गई। बुनियादी विद्यालय की स्थापना का मूल उद्देश्य लोगों को स्वावलंबी बनाना था। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के व्यवहारिक रोजगार एवं कार्य कौशल के शिक्षा प्रदान करना था। इन विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा कार्यानुभव भी बताया जाता था। इसके अलावा खादी कपड़ों के लिए सूट कात्ने और उन्नत खेती का भी यहां ज्ञान दिया जाता था। प्राप्त जानकारी के आधार पर छात्र सक्षम होने के उपरांत खुद के रोजगार उत्पन्न कर सकता था। अर्थात रोजगार को इससे बढ़ावा मिलता था, लेकिन यह सब बीते दिनों की बात हो चली है

बाइट -रंजीत मिश्र, शिक्षाविद(पिला कुर्ता)
बाइट- अक्षय लाल प्रसाद,शिक्षक(आसमानी सर्ट)
बाइट-छात्र


Conclusion:na
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