गोपालगंज: जिले में बुनियादी विद्यालयों की हालत बद से बदतर हो गई है. प्रशासन की तरफ से ध्यान ना देने के कारण बुनियादी विद्यालय की उपयोगिता विलुप्त होती नजर आ रही है. वहीं, अब यह विद्यालय भी सामान्य शिक्षा पर आधारित हो गया है.
बता दें कि आजादी से पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1919 में बुनियादी विद्यालय की स्थापना की परिकल्पना की थी. जिसके बाद 1934 में इस विद्यालय के विकास का कार्य आरंभ किया गया था. आजादी के समय बिहार में कुल 519 बुनियादी विद्यालय स्थापित किए गए थे.
6 विद्यालयों की स्थिति जर्जर
वहीं, गोपालगंज जिले में कुल 9 बुनियादी विद्यालय की स्थापना की गई थी. जिसमें 6 विद्यालयों की स्थिति अब काफी जर्जर हो गई है. इस हालात में रोजगार परक शिक्षा की कौन कहे, सामान्य शिक्षा भी छात्रों को सही तरीके से नहीं मिलती है. सिर्फ इतना ही नहीं बुनियादी विद्यालय में तकनीकी शिक्षक के स्थान पर नियोजित शिक्षक बहाल हो गए हैं. जिले में 9 बुनियादी विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या 76 और नियमित शिक्षक 31 हैं.
विद्यालय से बुनियादी सुविधाएं हुईं गायब
बताया जाता है कि आजादी के बाद चार दशक तक बुनियादी विद्यालयों की हालत प्रशंसनीय बनी रही है. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण धीरे-धीरे विद्यालय से बुनियादी सुविधाएं तक गायब होने लगी और स्थिति बद से बदतर होती चली गईं. साथ ही विद्यालय से शिक्षकों की संख्या भी घटती चली गई.
विद्यालयों की हालत बद से बदतर
इस बुनियादी विद्यालय के स्थापना का मूल उद्देश्य लोगों को स्वावलंबी बनाना था. इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को व्यवहारिक रोजगार और कार्य कौशल शिक्षा प्रदान करना था. इन विद्यालयों में शिक्षक छात्रों को कार्यानुभव भी बताया करते थे. इसके अलावा खादी कपड़ों के लिए सूट काटने और उन्नत खेती का भी ज्ञान दिया जाता था. जिसके आधार पर छात्र खुद के रोजगार उत्पन्न कर सकता था. लेकिन यह सब अब ठप पड़ गया है. विद्यालय की स्थिति बद से बदतर हो गई है.