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ये हैं प्रदीप, विदेश की नौकरी छोड़ गांव में डेयरी से कमा रहे हर महीने 80 हजार

परिवारवालों के लाख मना करने के बावजूद प्रदीप ने मछली पालन शुरू किया, जिसमें उसे काफी मुनाफा हुआ. मुनाफे से उसने 2 गाय खरीदी और दूध बेचना शुरू कर दिया. आज प्रदीप के पास 25-30 अच्छी नस्ल की गायें हैं, जो रोजाना कुल 170 लीटर दूध देती हैं.

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Published : Jan 25, 2020, 11:14 AM IST

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गोपालगंज: वर्तमान समय में लोग विदेशों में जाकर नौकरी कर अच्छी आमदनी कमाना चाहते हैं. वहीं, जिले के सदर प्रखंड के भुवाली टोल गांव निवासी अवधेश राय का पुत्र प्रदीप कुमार राय विदेश की नौकरी छोड़ गांव में डेयरी फार्म खोलकर महीने में 70-80 हजार कमा रहा है. लोग उसे 'खटाल वाले प्रदीप' के नाम से जानते हैं.

विदेशी नौकरी छोड़ वापस आया गांव
प्रदीप के इस कहानी के पीछे दृढ़ निश्चय और लगन का बहुत बड़ा हाथ है. उसके पिता एक किसान है. प्रदीप ने मध्यप्रदेश से स्नातक की शिक्षा ली. स्नातक के बाद 2004-2006 तक उसने अपने गांव में शिक्षा मित्र के तहत शिक्षक का काम किया. फिर, 2006 में उसने एक विदेशी कंपनी में काम करना शुरू किया, जहां उसे महीने के 20-25 हजार रुपये ही मिलते थे. साथ ही उसे अपने देश की चाहत बनी रहती थी. अंत में उसने वापस अपने देश में आकर कुछ करने की ठान ली और वह गांव वापस आ गया.

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खटाल वाले प्रदीप का डेयरी फार्म

मत्स्य पालन से की शुरुआत
एक दिन प्रदीप की मुलाकात मत्स्य पालन विभाग के अख्तर हुसैन से हुई, जिसके सलाह पर उसने मछली पालन करने की ठान ली. परिवारवालों के लाख मना करने के बावजूद उसने मछली पालन शुरू किया, जिसमें उसे काफी मुनाफा हुआ. मुनाफे से उसने 2 गाय खरीदी और दूध बेचना शुरू कर दिया. आज प्रदीप के पास 25-30 अच्छी नश्ल की गायें हैं, जो रोजाना कुल 170 लीटर दूध देती है. प्रदीप इस व्यापार से महीने के 70-80 हजार कमा रहा है.

पेश है रिपोर्ट

परिवारवालों का नहीं था समर्थन
पहले प्रदीप के परिवालवाले उसका बिल्कुल समर्थन नहीं करते थे. कई दिनों तक तो परिजनों ने उससे बात करना बंद कर दिया था. लेकिन, आज प्रदीप के इस कार्य को देखकर परिवार के लोग काफी खुश हैं. साथ ही गांव और समाज में भी प्रदीप ने अपनी एक अलग पहचान कायम की है. प्रदीप जिले के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है. लोग इसे 'खटाल वाले प्रदीप' के नाम से जानते हैं.

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गाय को चारा देता डेयरी संचालक प्रदीप

पढ़े-लिखे लोगों से इस व्यापार में आने की अपील
प्रदीप ने अपने साथ सिर्फ एक सहयोगी रखा है और खुद ही सारा काम करता है. वह दूध दुहने से लेकर दूध बेचने तक का काम खुद ही करता है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान प्रदीप ने कहा कि जब वह मध्य प्रदेश में रहता था, तब से ही उसे जानवरों के साथ रहना और कृषि कार्य करना काफी अच्छा लगता है. उसे आज भी कई लोग कहते हैं कि वो पढ़ा-लिखा है, ये काम उसके लिए नहीं है. लेकिन, उसका मानना है कि यदि पढ़े-लिखे लोग इस काम में आगे आने लगे, तो इससे अच्छा कोई दूसरा व्यापार नहीं हो सकता है.

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जानकारी देता डेयरी संचालक प्रदीप

भविष्य की योजना
प्रदीप ने भविष्य में इस व्यापार को वृहत रूप देने की योजना बना रखी है. वो डेयरी फार्म को और बड़ा बनाकर 70 गाय खरीदना चाहता है. उसने कहा है कि यहां गाय के लिए एक पार्क और तालाब का निर्माण कराया जाएगा. साथ ही गाय को संगीत सुनाने की व्यवस्था की जाएगी. इससे गाय एक जगह न रहकर घूम सकेगी और स्वतंत्र महसूस कर सकेगी. इससे दूध के उत्पाद में वृद्धि के साथ पौष्टिकता भी बढ़ाई जा सकेगी.

यह भी पढ़ें- बिहार के लिए खास है 10वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस, इसकी थीम है वजह

गोपालगंज: वर्तमान समय में लोग विदेशों में जाकर नौकरी कर अच्छी आमदनी कमाना चाहते हैं. वहीं, जिले के सदर प्रखंड के भुवाली टोल गांव निवासी अवधेश राय का पुत्र प्रदीप कुमार राय विदेश की नौकरी छोड़ गांव में डेयरी फार्म खोलकर महीने में 70-80 हजार कमा रहा है. लोग उसे 'खटाल वाले प्रदीप' के नाम से जानते हैं.

विदेशी नौकरी छोड़ वापस आया गांव
प्रदीप के इस कहानी के पीछे दृढ़ निश्चय और लगन का बहुत बड़ा हाथ है. उसके पिता एक किसान है. प्रदीप ने मध्यप्रदेश से स्नातक की शिक्षा ली. स्नातक के बाद 2004-2006 तक उसने अपने गांव में शिक्षा मित्र के तहत शिक्षक का काम किया. फिर, 2006 में उसने एक विदेशी कंपनी में काम करना शुरू किया, जहां उसे महीने के 20-25 हजार रुपये ही मिलते थे. साथ ही उसे अपने देश की चाहत बनी रहती थी. अंत में उसने वापस अपने देश में आकर कुछ करने की ठान ली और वह गांव वापस आ गया.

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खटाल वाले प्रदीप का डेयरी फार्म

मत्स्य पालन से की शुरुआत
एक दिन प्रदीप की मुलाकात मत्स्य पालन विभाग के अख्तर हुसैन से हुई, जिसके सलाह पर उसने मछली पालन करने की ठान ली. परिवारवालों के लाख मना करने के बावजूद उसने मछली पालन शुरू किया, जिसमें उसे काफी मुनाफा हुआ. मुनाफे से उसने 2 गाय खरीदी और दूध बेचना शुरू कर दिया. आज प्रदीप के पास 25-30 अच्छी नश्ल की गायें हैं, जो रोजाना कुल 170 लीटर दूध देती है. प्रदीप इस व्यापार से महीने के 70-80 हजार कमा रहा है.

पेश है रिपोर्ट

परिवारवालों का नहीं था समर्थन
पहले प्रदीप के परिवालवाले उसका बिल्कुल समर्थन नहीं करते थे. कई दिनों तक तो परिजनों ने उससे बात करना बंद कर दिया था. लेकिन, आज प्रदीप के इस कार्य को देखकर परिवार के लोग काफी खुश हैं. साथ ही गांव और समाज में भी प्रदीप ने अपनी एक अलग पहचान कायम की है. प्रदीप जिले के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है. लोग इसे 'खटाल वाले प्रदीप' के नाम से जानते हैं.

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गाय को चारा देता डेयरी संचालक प्रदीप

पढ़े-लिखे लोगों से इस व्यापार में आने की अपील
प्रदीप ने अपने साथ सिर्फ एक सहयोगी रखा है और खुद ही सारा काम करता है. वह दूध दुहने से लेकर दूध बेचने तक का काम खुद ही करता है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान प्रदीप ने कहा कि जब वह मध्य प्रदेश में रहता था, तब से ही उसे जानवरों के साथ रहना और कृषि कार्य करना काफी अच्छा लगता है. उसे आज भी कई लोग कहते हैं कि वो पढ़ा-लिखा है, ये काम उसके लिए नहीं है. लेकिन, उसका मानना है कि यदि पढ़े-लिखे लोग इस काम में आगे आने लगे, तो इससे अच्छा कोई दूसरा व्यापार नहीं हो सकता है.

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जानकारी देता डेयरी संचालक प्रदीप

भविष्य की योजना
प्रदीप ने भविष्य में इस व्यापार को वृहत रूप देने की योजना बना रखी है. वो डेयरी फार्म को और बड़ा बनाकर 70 गाय खरीदना चाहता है. उसने कहा है कि यहां गाय के लिए एक पार्क और तालाब का निर्माण कराया जाएगा. साथ ही गाय को संगीत सुनाने की व्यवस्था की जाएगी. इससे गाय एक जगह न रहकर घूम सकेगी और स्वतंत्र महसूस कर सकेगी. इससे दूध के उत्पाद में वृद्धि के साथ पौष्टिकता भी बढ़ाई जा सकेगी.

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Intro:विदेश के नौकरी छोड़ गाँव लौट कर खोला डेयरी फॉर्म, कमाता है महीने के 80 हजार
---- परिवार का नही मिला साथ बावजूद,बना सबसे बड़ा दूध के कारोबारी

गोपालगंज। जहां एक तरफ आज लोग विदेशों में जाकर नौकरी कर अच्छी आमदनी व जिंदगी जीना चाहते हैं। तो वही दूसरी तरफ गोपालगंज जिले के सदर प्रखंड स्थित भुवाली टोला गांव निवासी अवधेश राय के पुत्र प्रदीप कुमार राय विदेश के नौकरी छोड़ अपने गांव में डेयरी फर्म खोल महीने में 70 से 80 हजार रुपये के आमदनी कमा रहे है। लेकिन इसके पीछे प्रदीप के मेहनत दृढ़ निश्चय व लग्न के बदौलत हुआ है। आज ये किसी परिचय के मोहताज नही है।लोग इन्हें खटाल वाले प्रदीप के नाम से जानते है।


Body:सदर प्रखंड के भुवाली टोला गाँव निवासी अवधेश राय के पुत्र प्रदीप राय जो क्षत्रिय समाज से आते है। उनके पिता जी एक किसान है और वे पढ़ाई के लिए मध्यप्रदेश अपने रिश्तेदार के घर गए थे। जहाँ से उन्होंने स्नातक तक कि शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद प्रदीप 2004 में अपने गाँव आकर शिक्षा मित्र के तहत शिक्षक बने और 13 माह काम करने के बाद 2006 में विदेश चले गए जहां उन्होंने एक कम्पनी में कार्य करना शुरू कर दिया। विदेश में उन्हें 20 से25 हजार के तनख्वाह मिल रहे थे। लेकिन प्रदीप का मन विदेश में नही लग रहा था। और लगातार अपने देश आने की चाहत बनी रहती थी। एक दिन उसने यह ठान लिया कि अब अपना देश जाऊंगा और 2009 में वह विदेश अपने देश अपना गांव अपने समाज के लोगो के बीच आ गया। यहां आकर प्रदीप कुछ करना चाहता था। एक दिन वह कृषि विभाग में पहुंचा जहाँ उसकी मुलाकात मत्स्य पालन विभाग में अख्तर हुसैन से हुई। अख्तर हुसैन ने उसे मछली पालन करने की सलाह दी। और उसने वही से मछली पालन करने की ठान ली । जब अपने पिता व परिवार के अन्य लोगो के बीच अपनी बात रखी तब किसी ने उसे ये काम करने की सलाह नही दी। लेकिन उसे ये करने के लिए ठान ली। पिता का मानना था कि पढ़े लिखे होकर और क्षत्रिय खानदान से होकर मछली पालन नही कर सकता। लोग क्या कहेंगे।लेकिन प्रदीप ने उनकी बातों को परवाह किये बगैर मछली पालन का काम शुरू किया। जहाँ उसे काफी मुनाफा हुआ इसी बीच उसने दो गाय खरीद ली। और इसका दूध बेचने लगा ये देख प्रदीप के परिवार वाले प्रदीप से बोलना तक बंद कर उससे मुह फेर लीए ।बावजूद उसने अपना प्रयास जारी रखा। धीरे धीरे समय बीतता गया और आज प्रदीप के पास 25 से 30 अच्छी नश्ल की गाये है। जो रोजाना 1 सौ 70 लीटर दूध देती है। अब प्रदीप के इस कार्य को देख ना परिवार के लोगो के बीच अपनी पहचान कायम रखी बल्कि जिले के लोगो के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। आज प्रदीप के पिता व पत्नी फुले नही समाते है।
प्रदीप अपने साथ एक अपना सहयोगी रखा है और खुद ही सारा काम करता है। दूध दुहने से लेकर दूध बेचने तक का काम खुद करता है। प्रदीप के मेहनत व लगन देख कर गाँव के लोग हमेशा अचंभित रहते है।
इस संदर्भ मे प्रदीप से जब बात की गई तो उनका कहना था कि किसी भी काम को करने के लिए दृढ ईच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है,तभी कोई सफल ही पाता है। मैं जब मध्य प्रदेश में रहता था। तभी मुझे जानवरो के साथ रहना कृषि कार्य करना मुझे काफी अच्छा लगता था। आज मैं अपने इच्छानुसार कार्य कर के काफी खुश हूं। मुझे यह नही फर्क पड़ता कि लोग क्या कह रहे है। कुछ लोग आज भी कहते है कि ये काम तुम्हारा नही है। तुम पढ़े लिखे हो कुछ अच्छा काम करो। बावजूद मुझे ऐसे लोगो की बात का कोई फर्क नही पड़ता आज मैं ये काम कर के काफी खुश हूं और मेरा मानना है कि आज अगर हम अपने समाज पर नजर डाले तो पढ़े लिखे लोग जल्दी डेयरी फार्मिंग और किसानी के व्यापार में नही आते है। जबकि अगर इसमें पढ़े लिखे लोग आने लगे तो इससे अच्छा कोई दूसरा व्यपार नही हो सकता। प्रदीप का योजना है कि इसे और भी बृहत रूप से बनाए 70 गाय खरीदे। एक यहां गाय के लिए पार्क व तालाब का निर्माण कराया जाएगा। साथ ही गाय को संगीत सुनाने की व्यवस्था की जाएगी। ताकि गाय एक जगह न रह कर घूम सके वह स्वतंत्र महसूस कर सके ताकि दूध के उत्पाद में वृद्धि के साथ उसमें पौष्टिकता बढ़ाई जा सके।

बाइट-प्रदीप कुमार राय

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Conclusion:अगर कोई भी काम सच्ची लगन व मेहनत से की जाती है।।तो वह व्यर्थ नही जाती और इसका जीता जागता उदाहरण है प्रदीप। प्रदीप के इस कार्य के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ा इतना तक कि उसके परिजन उससे मुह फेर लिए लेकि वह निरंतर अपने कार्य मे लगा रहा और आज महीने के 70 से 80।हजार रुपया कमा रहा है।
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