गोपालगंज: कहते हैं जब तनाव और चिंता सताने लगे तो ज्यादातर समय बच्चों के बीच बिताना चाहिए. स्वामी विवेकानंद के इसी पंक्तियों से प्रेरित होकर एक शख्स ने बच्चों के बीच रहकर शिक्षा की अलख जगाई है. जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर कुचायकोट प्रखंड के बंगालखाड़ गांव के रहने वाले विवेकानंद शर्मा अपनी दोनों किडनी खराब होने के बाद भी नौनिहालों का भविष्य संवारने में जुटे हैं.
विवेकानंद रिलायंस पेट्रो मैक्स और ओजो ग्रुप जैसी नामी कंपनी में मैनेजमेंट का काम करते थे. साल 2016 में इन्हें पता चला कि इनकी दोनों किडनी खराब है, जिसके बाद इन्होंने नौकरी छोड़ दी. अस्वस्थ्य होने के कारण विवेकानंद काफी चिंतित रहने लगे, खुद को व्यस्त रखने के लिये इन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया.
बच्चों को देते हैं निशुल्क शिक्षा
कुछ दिनों बाद विवेकानंद ने गरीब और असहाय बच्चों के लिये प्री स्कूल खोला, जिसका नाम इन्होंने पाठशाला रखा. इस स्कूल में कोई शुल्क निर्धारित नहीं है. बता दें कि जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर सासामुसा सुदूर देहात में पाठशाला स्कूल है. इसमें 3 साल से 12 साल तक के 300 बच्चे पढ़ रहे हैं. स्कूल में 9 शिक्षक शिक्षिकाएं हैं. यहां बच्चे पढ़ाई और खेलकूद के साथ गीत, संगीत, डांस और चित्रकला भी सीख रहे हैं. नूरपुर, खरहरवा, कैथवलिया, महुअवा मकसुदपुर, परसौंनी, माधोमठ समेत कई गांव के बच्चे यहां पढ़ने आते हैं.
इलाज में होता है प्रतिमाह 44 हजार खर्च
विवेकानंद शर्मा एक दिन बीच कर सदर अस्पताल स्थित बी ब्राउन कंपनी में अपना डायलेसिस कराते हैं. दवा और इलाज मिलाकर लगभग 44 हजार रूपये का खर्च प्रति महीना होता है. दिन भर बच्चों के साथ रहने के बाद शाम में ये डायलेसिस कराने जाते हैं. आज ये स्वामी विवेकानंद के कथनों को चरितार्थ कर न सिर्फ अपनी जिंदगी को तनाव मुक्त रख रहे हैं, बल्कि नौनिहालों का भविष्य भी संवार रहे हैं.