गया: बिहार के गया में मंदिरों में चढ़ने वाले नारियल की खोपड़ियों को अब फेंका नहीं जाता है. नारियल के इन खोपड़ियों से यहां के लोग तरह-तरह के सामान बनाने लगे हैं (Artwork on Coconut Waste In Gaya). इससे लगभग 70 प्रकार के आइटम बनाए जाने की योजना है, जो कि काफी आकर्षक होंगे. नारियल के खोपड़ियों से बनने वाले इन आइटम में घर में उपयोग होने वाले समान से लेकर बच्चों के खिलौने और आकर्षक सजावट की सामग्री होगी. इसे राष्ट्रीय मार्केट में भी उतारने की योजना है. केंद्र सरकार के नारियल विकास बोर्ड (Coconut Development Board) की पहल से गया में इस काम की शुरूआत की गई है. सरकार की योजनाओं को सपोर्ट करने वाली समर्थ संस्था इसमें अग्रणी भूमिका निभा रही है.
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नारियल की खोपड़ी से अनोखी हस्तकला: नारियल का उपयोग होने के बाद उसके सेल यानी खोपड़ी को बेकार समझा जाता है, लेकिन अब ऐसी नारियल की खोपड़ियों को कलाकारी कर तराशा जा रहा है. इन्हें तलाश कर आकर्षक हस्तकला का उदाहरण प्रस्तुत किया जा रहा है. आजीविका और जीविका की महिलाएं बेकार मानी जाने वाली नारियल की खोपड़ी से ऐसे-ऐसे सामान बना रहे हैं, जिन्हें देखकर आप भौंचक्के रह जाएंगे. संभवत यह कल्पना से परे है, कि नारियल की खोपड़ी से भी ऐसा हो सकता है, लेकिन ये सच है. गया-बोधगया में आजीविका-जीविका की महिलाएं आकर्षक हस्तकला दिखाते हुए खुद और परिवार को आत्मनिर्भर बना रही हैं.
बनाए जा रहे कई तरह के उपयोगी सामान: भारत सरकार के नारियल विकास बोर्ड ने गया में समर्थ संस्था की मदद से दर्जनों महिलाओं को ट्रेनिंग दी है. नारियल बोर्ड के ट्रेनर ने महिलाओं को सिखाया कि नारियल की खोपड़ी से क्या-क्या बन सकता है. उनके ट्रेनिंग के बाद महिलाएं झट से ऐसे सामान बना रही हैं जो कि न सिर्फ आकर्षक होते हैं, बल्कि उपयोगी भी साबित हो सकते हैं. नारियल के कचरे यानी खोपड़ी से घर में उपयोग किए जा सकने लायक कप-प्लेट, कान की बाली, सजावट के सामान के अलावा अन्य सामान और विभिन्न मूर्तियां जैसे शिवलिंग, गणेश जी की प्रतिमा और दर्जनों खिलौने बनाए जा रहे हैं.
महिलाएं बना रहीं 50 तरह के आइटम: आजीविका-जीविका से जुड़ी कई महिलाएं नारियल की खोपड़ी से विभिन्न प्रकार के समान बना रहे हैं. इस काम में लगी प्रियंका कुमारी बताती हैं कि 'शुरू दिन नारियल की खोपड़ी से खिलौने बनाने में छाले पड़ गये थे, लेकिन अब सब कुछ सामान्य हो गया है. अभ्यास होते ही अब आसानी से नारियल की खोपड़ी से विभिन्न सामानों को बना लेती हूं. शिवलिंग, खरगोश, ढोलक, कान की बाली, कप-प्लेट, अगरबत्ती समेत 50 तरह के आइटम बनाए हैं.' इस तरह से अच्छा रोजगार मिला है. नारियल विकास बोर्ड और समर्थ संस्था द्वारा इसकी मार्केटिंग कराई जाएगी.
"वेस्ट टू वेल्थ पर यह प्रोजेक्ट आधारित है. नारियल बोर्ड की तरफ से ट्रेनर ने महिलाओं को ट्रेनिंग दी है. ट्रेनिंग के बाद महिलाओं को पता चल रहा है कि इस वेस्ट से क्या-क्या यूजफुल चीजें बना सकते हैं. हमारी कोशिश है कि गया के प्रसिद्ध मंदिरों में नारियल बड़ी तादाद में यूज किए जाते हैं. वह मंदिर कमिटी से आग्रह कर नारियल की खोपड़ी को मांगेंगे और इससे हैंडीक्राफ्ट बनाएंगे. इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मार्केटिंग करने की योजना है. नारियल की खोपड़ी से किसी भी आकार में सामान बनाए जा रहे हैं. जरूरत पड़ी तो आम स्थानों से भी लोगों से आग्रह कर नारियल की बेकार माने जाने वाली खोपड़ियों को इकट्ठा किया जाएगा और 70 तरह के आइटम बनाए जाएंगे."- सुरभी कुमारी, संचालिका, समर्थ संस्था