ETV Bharat / state

पुश्तैनी पेशा को बखूबी निभाती हैं ये वार्ड पार्षद, दिनचर्या जान आप भी रह जाएंगे हैरान

गया के वार्ड 27 की पार्षद आशा देवी इन दिनों चर्चा में हैं. चर्चा इसलिए नहीं कि वे पार्षद हैं. चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि वे पार्षद रहते हुए भी घर-घर जाकर लोगों से कपड़े लेती हैं और उन्हें धोती हैं. प्रेस कर उन्हें वापस करती हैं. यह उनका पुश्तैनी काम है. इन कामों को करते हुए वे वार्ड के कार्यों पर पूरा ध्यान रखती हैं. पढ़ें पूरी खबर...

gaya
gaya
author img

By

Published : Mar 31, 2021, 10:14 AM IST

Updated : Mar 31, 2021, 12:07 PM IST

गया: जिले के वार्ड नंबर 27 की वार्ड पार्षद कर्तव्य को बिना भूले परिवार और समाज दोनों के लिए एक साथ कार्य कर रही हैं. पार्षद आशा देवी को कुर्सी मिली तो उन्होंने कुर्सी के दायित्व को समझा. हालांकि पुश्तैनी काम को भी बरकरार रखा. ताकि जो पिता और दादा ने किया, उस कार्य को खत्म ना करें.

आशा देवी का मानना है, 'जिस कार्य से लोगों का स्नेह मिला, लोगों का प्रेम मिला, उस कार्य को नहीं छोड़ सकते.' बता दें कि पार्षद आशा देवी गया के अलीगंज मुहल्ले में एक किराए के दुकान में दूसरे के गंदे कपड़े को धोकर साफ करती हैं. प्रेस कर घर-घर पहुंचाती भी हैं. लेकिन इससे पहले वे सुबह उठ वार्ड का कार्य करती हैं.

यह भी पढ़ें- डबल इंजन की सरकार में भी आपदा में बिहार को मदद देने में केंद्र कर रहा कंजूसी

शान-ओ-शौकत से हैं दूर
आशा देवी को लोगों ने पार्षद बना दिया. आशा देवी ने जनप्रतिनिधि बनने का रौब अपने अंदर समाने नहीं दिया. वे तड़के उठती हैं. वार्ड में सफाई और अन्य कामों को करवाती हैं. कभी कोई बैठक हो, तो उसमें शामिल होकर वार्ड की तरक्की की बातें रखती हैं. दोपहर होते ही वह अपने पुराने काम में लग जाती हैं.

कपड़ों में आयरन करतीं आशा देवी
कपड़ों को इकट्ठा करतीं आशा देवी

परिवार के लोग रहते हैं साथ
''मैं अपने गांव में मुखिया-सरपंच को देख चुकी हूं. उनके पास पैसा रहता था और लोग होते थे. मेरे यहां कुछ नहीं है. एक घर है, उसमें बड़ी मुश्किल से हमलोग रहते हैं. हमारी सास जब वार्ड पार्षद बनीं, तब से पैदल ही चल रही हैं. घर में एक बाइक है, उससे नगर निगम जाती हैं. वार्ड का सारा काम निपटाकर आती हैं, उसके बाद पुश्तेनी काम में लग जाती हैं. हमलोग भी उनका हाथ बटाते हैं.''- गीता देवी, वार्ड पार्षद की बड़ी बहू

पूरे परिवार के साथ आशा देवी
पूरे परिवार के साथ आशा देवी

ना तो रुपए थे और ना जानकारी
वार्ड पार्षद आशा देवी बताती हैं कि मेरे घर का पुश्तैनी काम है, जो मैं सालों साल से करती आ रही हूं. जब लोगों ने वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए मुझे कहा तो मेरे पास ना तो रुपए थे. और ना ही कोई जानकारी. वार्ड की जनता ने मुझे रुपए और वोट देकर मुझे चुनाव लड़वाया और जीत दर्ज करवायी. वार्ड पार्षद के काम में कोई कमाई नहीं है. इसलिए मैं अपने घर को चलाने के लिए पुश्तैनी काम करती हूं. आज भी घर-घर जाकर कपड़ा लाती हूं, कपड़े को धोकर उसे आयरन करके उन्हें देती हूं.

देखें रिपोर्ट.

यह भी पढ़ें- चांद पर एक एकड़ जमीन के मालिक बने दरभंगा के इफ्तेखार रहमानी

अदब से पेश आते हैं लोग
आशा देवी कहती हैं, मुझे इस काम को करते हुए 40 साल हो गए. मुझे पहले भी लोग इज्जत देते थे, इसलिए चुनाव जीती. आज भी घर में कपड़ा लेने या देने जाती हूं, लोग बड़ी अदब से पेश आते हैं. मैं सुबह सबसे पहले वार्ड की साफ-सफाई करवाती हूं. फिर वार्ड की समस्या को हल करती हूं. गया नगर निगम की हर बैठक में मेरी उपस्थिति शत-प्रतिशत दर्ज रहती है.

gaya
कपड़ों में आयरन करतीं आशा देवी

नगर आयुक्त ने भी की तारीफ
वहीं, गया नगर निगम के नगर आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि मुझे उनके बारे में जानकारी मिली है. आशा देवी वार्ड पार्षद बनने के बाद भी अपने पुश्तैनी काम को कर रही हैं. पुश्तैनी काम और वार्ड पार्षद के काम में बड़ी बेहतरीन तरीके से तालमेल रखती हैं. उनके जुनून और हौसले का नगर निगम भी कद्र करता है. आगामी बैठक में उन्हें हमलोग सम्मानित करेंगे.

चंदे से लड़ी चुनाव
वार्ड नं 27 के स्थानीय लोगों ने आपस मे चंदा इकट्ठा करके इन्हें चुनाव लड़वाया. चुनाव जीतने के लगभग चार साल बीतने पर भी आशा देवी में किसी प्रकार का गुरूर नहीं है. आज भी सहज लोगों से मिलती हैं और लोगों के घर जाकर कपड़ा धोने के लिए लेती हैं.

गया: जिले के वार्ड नंबर 27 की वार्ड पार्षद कर्तव्य को बिना भूले परिवार और समाज दोनों के लिए एक साथ कार्य कर रही हैं. पार्षद आशा देवी को कुर्सी मिली तो उन्होंने कुर्सी के दायित्व को समझा. हालांकि पुश्तैनी काम को भी बरकरार रखा. ताकि जो पिता और दादा ने किया, उस कार्य को खत्म ना करें.

आशा देवी का मानना है, 'जिस कार्य से लोगों का स्नेह मिला, लोगों का प्रेम मिला, उस कार्य को नहीं छोड़ सकते.' बता दें कि पार्षद आशा देवी गया के अलीगंज मुहल्ले में एक किराए के दुकान में दूसरे के गंदे कपड़े को धोकर साफ करती हैं. प्रेस कर घर-घर पहुंचाती भी हैं. लेकिन इससे पहले वे सुबह उठ वार्ड का कार्य करती हैं.

यह भी पढ़ें- डबल इंजन की सरकार में भी आपदा में बिहार को मदद देने में केंद्र कर रहा कंजूसी

शान-ओ-शौकत से हैं दूर
आशा देवी को लोगों ने पार्षद बना दिया. आशा देवी ने जनप्रतिनिधि बनने का रौब अपने अंदर समाने नहीं दिया. वे तड़के उठती हैं. वार्ड में सफाई और अन्य कामों को करवाती हैं. कभी कोई बैठक हो, तो उसमें शामिल होकर वार्ड की तरक्की की बातें रखती हैं. दोपहर होते ही वह अपने पुराने काम में लग जाती हैं.

कपड़ों में आयरन करतीं आशा देवी
कपड़ों को इकट्ठा करतीं आशा देवी

परिवार के लोग रहते हैं साथ
''मैं अपने गांव में मुखिया-सरपंच को देख चुकी हूं. उनके पास पैसा रहता था और लोग होते थे. मेरे यहां कुछ नहीं है. एक घर है, उसमें बड़ी मुश्किल से हमलोग रहते हैं. हमारी सास जब वार्ड पार्षद बनीं, तब से पैदल ही चल रही हैं. घर में एक बाइक है, उससे नगर निगम जाती हैं. वार्ड का सारा काम निपटाकर आती हैं, उसके बाद पुश्तेनी काम में लग जाती हैं. हमलोग भी उनका हाथ बटाते हैं.''- गीता देवी, वार्ड पार्षद की बड़ी बहू

पूरे परिवार के साथ आशा देवी
पूरे परिवार के साथ आशा देवी

ना तो रुपए थे और ना जानकारी
वार्ड पार्षद आशा देवी बताती हैं कि मेरे घर का पुश्तैनी काम है, जो मैं सालों साल से करती आ रही हूं. जब लोगों ने वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए मुझे कहा तो मेरे पास ना तो रुपए थे. और ना ही कोई जानकारी. वार्ड की जनता ने मुझे रुपए और वोट देकर मुझे चुनाव लड़वाया और जीत दर्ज करवायी. वार्ड पार्षद के काम में कोई कमाई नहीं है. इसलिए मैं अपने घर को चलाने के लिए पुश्तैनी काम करती हूं. आज भी घर-घर जाकर कपड़ा लाती हूं, कपड़े को धोकर उसे आयरन करके उन्हें देती हूं.

देखें रिपोर्ट.

यह भी पढ़ें- चांद पर एक एकड़ जमीन के मालिक बने दरभंगा के इफ्तेखार रहमानी

अदब से पेश आते हैं लोग
आशा देवी कहती हैं, मुझे इस काम को करते हुए 40 साल हो गए. मुझे पहले भी लोग इज्जत देते थे, इसलिए चुनाव जीती. आज भी घर में कपड़ा लेने या देने जाती हूं, लोग बड़ी अदब से पेश आते हैं. मैं सुबह सबसे पहले वार्ड की साफ-सफाई करवाती हूं. फिर वार्ड की समस्या को हल करती हूं. गया नगर निगम की हर बैठक में मेरी उपस्थिति शत-प्रतिशत दर्ज रहती है.

gaya
कपड़ों में आयरन करतीं आशा देवी

नगर आयुक्त ने भी की तारीफ
वहीं, गया नगर निगम के नगर आयुक्त सावन कुमार ने बताया कि मुझे उनके बारे में जानकारी मिली है. आशा देवी वार्ड पार्षद बनने के बाद भी अपने पुश्तैनी काम को कर रही हैं. पुश्तैनी काम और वार्ड पार्षद के काम में बड़ी बेहतरीन तरीके से तालमेल रखती हैं. उनके जुनून और हौसले का नगर निगम भी कद्र करता है. आगामी बैठक में उन्हें हमलोग सम्मानित करेंगे.

चंदे से लड़ी चुनाव
वार्ड नं 27 के स्थानीय लोगों ने आपस मे चंदा इकट्ठा करके इन्हें चुनाव लड़वाया. चुनाव जीतने के लगभग चार साल बीतने पर भी आशा देवी में किसी प्रकार का गुरूर नहीं है. आज भी सहज लोगों से मिलती हैं और लोगों के घर जाकर कपड़ा धोने के लिए लेती हैं.

Last Updated : Mar 31, 2021, 12:07 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.