ETV Bharat / state

गया KVK के वैज्ञानिक के प्रयोग से पराली जलाने से मिली निजात, पहले से ज्यादा लहलहायी फसल - वैज्ञानिक अशोक कुमार सिंह

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अशोक कुमार सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र के परिसर में खेत में पराली रहते गेंहू की बुआई कर दी, जिससे फसल में बाली पहले की अपेक्षा अधिक आई है.

gaya
कृषि विज्ञान केंद्र
author img

By

Published : Feb 29, 2020, 11:43 AM IST

गयाः धान की खेती के बाद बचे हुए अवशेष यानि पराली किसानों के लिए बड़ी समस्या रहती है. छोटे बड़े किसान इससे निजात पाने के लिए पराली में आग लगा देते हैं, जिससे प्रदूषण फैलता है. लेकिन किसानों को अब इस समस्या से निजात मिल जाएगी. गया के मानपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने पराली पर नया प्रयोग किया है. वैज्ञानिकों ने खेत में पराली रहते हुए गेंहू की फसल लगाई, ऐसा करने से इस बार फसल पहले से ज्यादा लहलहा रही है.

पराली रहते की गई गेंहू की बोआई
जिला कृषि विज्ञान केंद्र ने गेंहू की खेती एक नई तकनीक से की है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने खेत में पराली को बिना हटाये गेंहू की बुआई कर दी, नतीजतन गेंहू की फसल सामान्य खेती की तुलना में अधिक हुई है. इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अशोक कुमार सिंह ने बताया कृषि विज्ञान केंद्र के परिसर में खेत में पराली रहते गेंहू की बुआई कर दी, जिससे फसल में बाली पहले की अपेक्षा अधिक आई है.

gaya
पराली पर गेंहू की खेती

हैप्पी सीडर मशीन से करनी होगी जुताई
वैज्ञानिक अशोक कुमार ने बताया कि पराली एक तरह से खाद का काम करता है. पराली के रहते खेती की जाए तो मिट्टी को भी काफी फायदा होगा. पराली जलाने से सिर्फ हानि ही हानि है. पराली जलाने से प्रदूषण फैलता है, साथ ही मिट्टी को फायदा करने वाले कीड़े मकौड़े की मौत हो जाती है. धान की कटाई के बाद खेत में पराली रहने से जुताई नहीं हो सकती. उसके लिए हैप्पी सीडर मशीन है, उसके जरिये जुताई की जाती है. हम लोगों ने केंद्र पर इसी का प्रयोग करके गेंहू की बुआई की, आज फसल एक लाइन एक साइज में उपजी है.

gaya
लहलहाती फसल

ये भी पढ़ेंः पटना: ज्ञान भवन में फर्स्ट एनआरबी कन्वेंशन का होगा आयोजन, 45 देशों के प्रतिनिधि करेंगे शिरकत

पराली रहने से मिट्टी को बहुत फायदा
हैप्पी सीडर मशीन से एक साथ गेंहू के बीज और खाद डाले जा सकते हैं. पराली रहने से मिट्टी को बहुत फायदा है, मिट्टी की उवर्रक क्षमता बहुत अधिक हो जाती है. खेत में पराली लंबे समय तक रहने से जलधारण की क्षमता बरकरार रहती है. साथ ही पराली मिट्टी में सड़ने से खाद का काम करता है. इससे खेत को नाइट्रोजन, पोटाश, फास्फोरस मिल जाता है.

gaya
कृषि विज्ञान केंद्र, गया

वैज्ञानिकों को मिली सफलता
बता दें कि फसल अवशिष्ट प्रबंधन के तहत गया में पराली के रहते हुए खेती की गयी. जिसमें वैज्ञानिकों को सफलता मिली है. अब वैज्ञानिक किसानों को आमंत्रित कर पराली के बीच गेंहू की खेती को दिखाते हैं. अभी तक सैकड़ों किसानों ने गेंहू फसल की नई तकनीक को जाना है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

किसानों को दी जाती है मुफ्त सुविधा
केवीके में दो हैप्पी सीडर मशीन है, जिसके तहत नई तकनीक से खेती की जाती है. दो हैप्पी सीडर से किसानों को बिल्कुल मुफ्त सुविधा दी जाती है. पराली जलाने को लेकर राज्य सरकार ने सख्त आदेश निकाला है, लेकिन किसान मजबूरी में पराली को जला देते हैं. जिससे वायु प्रदूषण बहुत होता है.

गयाः धान की खेती के बाद बचे हुए अवशेष यानि पराली किसानों के लिए बड़ी समस्या रहती है. छोटे बड़े किसान इससे निजात पाने के लिए पराली में आग लगा देते हैं, जिससे प्रदूषण फैलता है. लेकिन किसानों को अब इस समस्या से निजात मिल जाएगी. गया के मानपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने पराली पर नया प्रयोग किया है. वैज्ञानिकों ने खेत में पराली रहते हुए गेंहू की फसल लगाई, ऐसा करने से इस बार फसल पहले से ज्यादा लहलहा रही है.

पराली रहते की गई गेंहू की बोआई
जिला कृषि विज्ञान केंद्र ने गेंहू की खेती एक नई तकनीक से की है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने खेत में पराली को बिना हटाये गेंहू की बुआई कर दी, नतीजतन गेंहू की फसल सामान्य खेती की तुलना में अधिक हुई है. इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अशोक कुमार सिंह ने बताया कृषि विज्ञान केंद्र के परिसर में खेत में पराली रहते गेंहू की बुआई कर दी, जिससे फसल में बाली पहले की अपेक्षा अधिक आई है.

gaya
पराली पर गेंहू की खेती

हैप्पी सीडर मशीन से करनी होगी जुताई
वैज्ञानिक अशोक कुमार ने बताया कि पराली एक तरह से खाद का काम करता है. पराली के रहते खेती की जाए तो मिट्टी को भी काफी फायदा होगा. पराली जलाने से सिर्फ हानि ही हानि है. पराली जलाने से प्रदूषण फैलता है, साथ ही मिट्टी को फायदा करने वाले कीड़े मकौड़े की मौत हो जाती है. धान की कटाई के बाद खेत में पराली रहने से जुताई नहीं हो सकती. उसके लिए हैप्पी सीडर मशीन है, उसके जरिये जुताई की जाती है. हम लोगों ने केंद्र पर इसी का प्रयोग करके गेंहू की बुआई की, आज फसल एक लाइन एक साइज में उपजी है.

gaya
लहलहाती फसल

ये भी पढ़ेंः पटना: ज्ञान भवन में फर्स्ट एनआरबी कन्वेंशन का होगा आयोजन, 45 देशों के प्रतिनिधि करेंगे शिरकत

पराली रहने से मिट्टी को बहुत फायदा
हैप्पी सीडर मशीन से एक साथ गेंहू के बीज और खाद डाले जा सकते हैं. पराली रहने से मिट्टी को बहुत फायदा है, मिट्टी की उवर्रक क्षमता बहुत अधिक हो जाती है. खेत में पराली लंबे समय तक रहने से जलधारण की क्षमता बरकरार रहती है. साथ ही पराली मिट्टी में सड़ने से खाद का काम करता है. इससे खेत को नाइट्रोजन, पोटाश, फास्फोरस मिल जाता है.

gaya
कृषि विज्ञान केंद्र, गया

वैज्ञानिकों को मिली सफलता
बता दें कि फसल अवशिष्ट प्रबंधन के तहत गया में पराली के रहते हुए खेती की गयी. जिसमें वैज्ञानिकों को सफलता मिली है. अब वैज्ञानिक किसानों को आमंत्रित कर पराली के बीच गेंहू की खेती को दिखाते हैं. अभी तक सैकड़ों किसानों ने गेंहू फसल की नई तकनीक को जाना है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

किसानों को दी जाती है मुफ्त सुविधा
केवीके में दो हैप्पी सीडर मशीन है, जिसके तहत नई तकनीक से खेती की जाती है. दो हैप्पी सीडर से किसानों को बिल्कुल मुफ्त सुविधा दी जाती है. पराली जलाने को लेकर राज्य सरकार ने सख्त आदेश निकाला है, लेकिन किसान मजबूरी में पराली को जला देते हैं. जिससे वायु प्रदूषण बहुत होता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.