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गया: बच्चे को लेकर भटकते रहे परिजन, कैमरे को देख मजबूरी में डॉक्टर ने किया इलाज

12 घंटों से तेज बुखार से तपते बच्चे को जिले के अस्पताल में इलाज के लिए भटकना पड़ गया. धर्मेंद्र यादव अपने भतीजे को अस्पताल में इलाज के लिए लाया था. कई घंटे बीतने के बाद भी बच्चे को अस्पताल में सही से इलाज नहीं हुआ.

परिजन
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Published : Jul 10, 2019, 9:01 AM IST

Updated : Jul 10, 2019, 1:24 PM IST

गया: जिले का अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल लगातार मनमानी कर रहा है. अस्पताल अधीक्षक एक बार फिर से ईटीवी भारत से झूठ बोलते दिखें. अस्पताल की लापरवाही और अधीक्षक के झूठ बोलने से बच्चों की जान पर आफत आ गई है.

gaya
तेज बुखार से तपता बच्चा

ये है मामला
दरअसल, 12 घंटों से तेज बुखार से तपते बच्चे को जिले के अस्पताल में इलाज के लिए भटकना पड़ गया. धर्मेंद्र यादव अपने भतीजे को अस्पताल में इलाज के लिए लाया था. कई घंटे बीतने के बाद भी बच्चे को अस्पताल में सही से इलाज नहीं हुआ. परिजन बच्चे को लेकर इधर से उधर भटकता रहे. लेकिन, अस्पताल में किसी ने उसकी मदद नहीं की. इसके बाद परिजनों ने मरीज को निजी अस्पताल में ले जाने के लिए मजबूर हो गए. तभी मौके पर पहुंच कर ईटीवी भारत ने मामले पर संज्ञान लिया. ईटीवी भारत के दबाव में बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया और उसका इलाज शुरू किया गया.


'डिसचार्ज पेपर देने से किया इन्कार'
मरीज के परिजन धर्मेंद्र यादव ने कहा कि वह 4 घंटे तक अपने भतीजे को लेकर अस्पताल में भटकता रहा. लेकिन, कोई भी अस्पताल कर्मचारी ने सुध नहीं लिया. जब बच्चे की बुखार बढ़ने लगी, तो धर्मेंद्र बेबस होकर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने के लिए ले जाने लगे. लेकिन, किसी ने बच्चे की डिसचार्ज की पेपर नहीं दी. उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टर बहाना बनाना शुरू कर दिए.

पेश है रिपोर्ट

आरोप निराधार- अस्पताल अधीक्षक
इस मामले में अस्पताल अधीक्षक विजय कृष्ण प्रसाद ने कहा कि जब बच्चा अस्पताल में आया था तब उसका बुखार सामान्य था. इसीलिए उसे साधारण वार्ड में भर्ती किया गया. लेकिन, जैसे ही उसकी बुखार तेज होने लगी, फौरन अस्पताल कर्मचारी ने बच्चे को इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया. मरीज के शिफ्ट होते ही उसका फौरन इलाज शुरू कर दिया गया.

gaya
विजय कृष्ण प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक

अधीक्षक ने पहले भी बोला झूठ
बता दें कि इससे पहले भी अस्पताल अधीक्षक विजय कृष्ण मीडिया से झूठ बोलते दिखें थे. शनिवार को भी 10 बच्चों के बल्ड सैंपल के मामले में अस्पताल अधीक्षक ने ईटीवी भारत से झूठ बोला था. वहीं, मौजूदा मरीज की इलाज को लेकर फिर से मीडिया को बरगलाने की कोशिश की. लेकिन, ईटीवी की प्रमुखता से खबर दिखाने की बात पर बच्चे का इलाज किया गया. साथ ही खुद भी मौके पर पहुंच कर जायजा भी लिया.

गया: जिले का अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल लगातार मनमानी कर रहा है. अस्पताल अधीक्षक एक बार फिर से ईटीवी भारत से झूठ बोलते दिखें. अस्पताल की लापरवाही और अधीक्षक के झूठ बोलने से बच्चों की जान पर आफत आ गई है.

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तेज बुखार से तपता बच्चा

ये है मामला
दरअसल, 12 घंटों से तेज बुखार से तपते बच्चे को जिले के अस्पताल में इलाज के लिए भटकना पड़ गया. धर्मेंद्र यादव अपने भतीजे को अस्पताल में इलाज के लिए लाया था. कई घंटे बीतने के बाद भी बच्चे को अस्पताल में सही से इलाज नहीं हुआ. परिजन बच्चे को लेकर इधर से उधर भटकता रहे. लेकिन, अस्पताल में किसी ने उसकी मदद नहीं की. इसके बाद परिजनों ने मरीज को निजी अस्पताल में ले जाने के लिए मजबूर हो गए. तभी मौके पर पहुंच कर ईटीवी भारत ने मामले पर संज्ञान लिया. ईटीवी भारत के दबाव में बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया और उसका इलाज शुरू किया गया.


'डिसचार्ज पेपर देने से किया इन्कार'
मरीज के परिजन धर्मेंद्र यादव ने कहा कि वह 4 घंटे तक अपने भतीजे को लेकर अस्पताल में भटकता रहा. लेकिन, कोई भी अस्पताल कर्मचारी ने सुध नहीं लिया. जब बच्चे की बुखार बढ़ने लगी, तो धर्मेंद्र बेबस होकर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराने के लिए ले जाने लगे. लेकिन, किसी ने बच्चे की डिसचार्ज की पेपर नहीं दी. उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टर बहाना बनाना शुरू कर दिए.

पेश है रिपोर्ट

आरोप निराधार- अस्पताल अधीक्षक
इस मामले में अस्पताल अधीक्षक विजय कृष्ण प्रसाद ने कहा कि जब बच्चा अस्पताल में आया था तब उसका बुखार सामान्य था. इसीलिए उसे साधारण वार्ड में भर्ती किया गया. लेकिन, जैसे ही उसकी बुखार तेज होने लगी, फौरन अस्पताल कर्मचारी ने बच्चे को इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया. मरीज के शिफ्ट होते ही उसका फौरन इलाज शुरू कर दिया गया.

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विजय कृष्ण प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक

अधीक्षक ने पहले भी बोला झूठ
बता दें कि इससे पहले भी अस्पताल अधीक्षक विजय कृष्ण मीडिया से झूठ बोलते दिखें थे. शनिवार को भी 10 बच्चों के बल्ड सैंपल के मामले में अस्पताल अधीक्षक ने ईटीवी भारत से झूठ बोला था. वहीं, मौजूदा मरीज की इलाज को लेकर फिर से मीडिया को बरगलाने की कोशिश की. लेकिन, ईटीवी की प्रमुखता से खबर दिखाने की बात पर बच्चे का इलाज किया गया. साथ ही खुद भी मौके पर पहुंच कर जायजा भी लिया.

Intro:अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ विजय कृष्ण प्रसाद ब्लड संपेल मामले में झूठ बोले और आज उन्होंने ईटीवी पर चला खबर पर उन्होंने झूठ बोला, कहा मरीज का इलाज करके सामान्य वार्ड में रखा गया था, बुखार लगने पर इमरजेंसी वार्ड में जा रहे थे ना कि निजी अस्पताल में।


Body:ईटीवी पर 12 घंटों तक बुखार से तपते बच्चे को लेकर अस्पताल में भटकते रहे परिजन,मीडिया के दबाव पर शुरू हुआ इलाज इस शीर्षक के साथ खबर लगी थी। खबर देखने पर अधीक्षक ने अपने बचाव के लिए झूठ बोला , अधीक्षक ने कहा मरीज का इलाज किया गया था, मरीज की हालत ठीक था सामान्य वार्ड में रखा गया था। जब बुखार आने लगा तो इमरजेंसी वार्ड में मरीज जा रहे थे ना कि निजी अस्पताल में। वही मरिज के परिजन ने साफ कहा मेरे मरीज का इलाज एडमिट करने के बाद नही हुआ था। हालात खराब होने पर हॉस्पिटल से जा रहे हैं निजी अस्पताल में इलाज करवाये गए।

पूरा मामला इस तरह से अस्पताल में सुबह 4 बजे संदिग्ध AES के मरीज को भर्ती करवाया जाता है। मरीज का शरीर बुखार से तप रहा था फिर भी मरीज को सामान्य वार्ड में रख दिया गया। 4 बजे से लेकर दिन के 4 बजे तक कोई डॉक्टर और नर्स उस बच्चा को देखने तक नही गया। परिजन डॉक्टर और नर्स के पास जाते उसको डांट के भगा दिया जाता है। दोपहर के बाद मरीज का हालत खराब होने लगा तो परिजन डिस्चार्ज पेपर मांगने लगे अस्पताल द्वारा वो भी नही दिया गया। मरीज के परिजन बच्चा को लेकर रो रहा था पत्रकारों जब इसकी जानकारी हुआ उपाधीक्षक को बताया उपाधीक्षक ने एईएस के इमरजेंसी वार्ड में बच्चा को भर्ती करवाया। फिर उसका इलाज शुरू हुआ।

मरीज आर्यन के चाचा धर्मेंद्र यादव ने बताया सुबह 4 बजे मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में अपने भतीजा आर्यन कुमार का भर्ती करवाया था भर्ती करवाने के बाद भी डॉक्टर इलाज करने नहीं आया। मजबूरन सुबह में डॉक्टर व नर्स के पास जाकर विनती करते रहे कि बच्चे का इलाज कर दीजिए। किसी ने मेरी बिनती नहीं सुनी उसके बाद दोपहर बाद मेरे भतीजा का हालत खराब होने लगा मैं पर्ची मांगने गया कि मुझे पर्ची दे दीजिए हम प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करवा लेंगे यहां के कर्मचारी ने जवाब दिया कि जहां जाना है जाओ कहीं जाने से कोई फायदा नहीं होगा। हम गरीब व दिव्यांग हैं इसलिए हमलोग का इलाज नही हो रहा है। भतीजा को बचाना है घर जमीन सब बिक जाए प्राइवेट अस्पताल में जाकर इलाज करवाते।

मीडिया के जवाब तलब उपाधीक्षक ने पहुँचकर इमरजेंसी वार्ड में मरीज को भर्ती करवाया था। उस वक़्त सामान्य और इमरजेंसी वार्ड में कोई डॉक्टर नही थे। अधीक्षक के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर और इंटर्न डॉक्टर वार्ड में दिखी। अधीक्षक ने शनिवार को कहा था इस तरह का व्यवहार किसी भी मरीज के साथ नही होना चाहिए था। लेकिन आज अपने बयान से पलटकर झूठ बोल रहे हैं अधीक्षक ।

बेबस परिजन और मीडिया पर नही भरोसा अधीक्षक को मौके वरदात पर उपाधीक्षक मौजूद थे, उन्होंने परिजन को मनाया और समझाया था। अधीक्षक साहेब उनसे पूछ लीजिए।


Conclusion:
Last Updated : Jul 10, 2019, 1:24 PM IST
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