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अब राजस्थान-गुजरात नहीं, गया के तिल से बन रहा तिलकुट, अमेरिका में है इसकी काफी डिमांड

Famous Tilkut of Gaya: बिहार के गया का प्रसिद्ध तिलकुट की बात ही कुछ और है. गया का विश्व प्रसिद्ध तिलकुट इस बार जिले में ही उपजाए गए तिल से बन रहा. तिलकुट स्वाद के मामले में हर मिठाई पर भारी पड़ता है तो यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है. ठंड के दिनों में सर्दी से भी यह बचाता है.

गया का प्रसिद्ध तिलकुट
गया का प्रसिद्ध तिलकुट
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 8, 2023, 6:18 AM IST

गया का प्रसिद्ध तिलकुट

गया: बिहार के गया का तिलकुट देश ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के लोगों की भी पसंद है. यहां का तिलकुट स्वाद के मामले में हर मिठाई पर भारी पड़ता है. यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है. ठंड के दिनों में सर्दी से भी यह बचाता है. ऐसे में यह लाजवाब तिलकुट मिठाई के साथ-साथ अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है. क्योंकि तिलकुट तिल से बनता है. गया के तिलकुट की सौंधी खुशबु अमेरिका तक फैली है. वहां इसकी काफी डिमांड है.

गया के तिल की विदेशों में बढ़ी मांग
गया के तिल की विदेशों में बढ़ी मांग

गया के तिल से ही बन रहा तिलकुट: पहली बार गया का तिलकुट जिले में ही उपजाई गए तिल से बन रहा है. इससे पहले गया का तिलकुट दूसरे राज्यों के तिल से बनाया जाता था. पहले राजस्थान-गुजरात समेत अन्य राज्यों से तिल मंगाए जाते थे, लेकिन इस बार गया में ही तिल की खेती को बढ़ावा दिया गया और अब तिल की खेती हजारों एकड़ में हो रही है और तिल की अच्छी खासी उपज हुई है. जिससे यहां के तिलकुट कारोबारी भी खुश हैं. क्योंकि उन्हें इस बार गया के गोदाम से ही तिल मिल जा रहा है.

गया के तिल से बन रहा तिलकुट
गया के तिल से बन रहा तिलकुट

पर्यटक तिलकुट ले जाना नहीं भूलते: गया का तिलकुट बिहार के सभी जिलों के अलावे झारखंड, पश्चिम बंगाल, यूपी, मध्य प्रदेश, उड़ीसा समेत तकरीबन सभी राज्यों में जाता है. यहां सालों भर देश भर से लोग आते हैं. यूं तो तिलकुट की सालों भर बिक्री होती है, ऐसे में हर यात्री या पर्यटक तिलकुट ले जाना नहीं भूलते, लेकिन ठंड के दिनों में इसकी डिमांड काफी बढ़ जाती है. नवंबर माह चढ़ते ही तिलकुट की खपत इस कदर बढ़ जाती है कि एक-एक दुकानों में दर्जन भर कारीगर दिन रात तिलकुट बनाने में जुट जाते हैं.

ठंड के दिनों में बढ़ जाती है मांग : सर्द दिनों में गया के तिलकुट की मांग बढ़ जाती है. गया में तिलकुट के सैकड़ों कारोबारी और दुकानें है. यह चार माह का एक बड़ा बिजनेस होता है और तकरीबन करोड़ रुपए का कारोबार हो जाता है. नवंबर, दिसंबर जनवरी, फरवरी तक तिलकुट की खपत ऐसी होती है. इसे जुटाना दुकानदारों के लिए भी मुश्किल हो जाती है. यही वजह है कि तिलकुट की कुटाई नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी माह में एक-एक दुकान में दर्जनों कारीगर लगाकर की जाती है.

मक्रर संक्रांति में बढ़ जाता है मांग: ठंड के दिनों में तिलकुट कूटने की आवाज़ गूंंजने लगती है. कारीगरों द्वारा तिलकुट कूटने की की आवाज आने लगती है. तिलकुट का कनेक्शन धार्मिक तौर से भी जुड़ा है. 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन तिल खाने का विधान है. ऐसे में तिलकुट की खपत व डिमांड काफी बढ़ जाती है. 14 जनवरी को लोग लाइन लगाकर तिलकुट की खरीददारी करते हैं.

अमेरिका में गया की तिलकुट की डिमांड: तिलकुट के कद्रदान देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. यही वजह है कि गया का तिलकुट अमेरिका समेत कई देशों में जाता है. दुकानदार बताते हैं कि इसकी बिक्री ऑल इंडिया होती ही है. दुकानदार बताते हैं कि कूरियर के थ्रू तिलकुट यहां से डिमांड पर भेजा जाता है. वही, इसके अलावा कई अन्य देशों से भी इसकी मांग आती है. कई परिवार के लोग जो इंडिया से जुड़े हुए हैं, वह यहां से कूरियर के थ्रू विदेश में रहने वाले लोगों के पास भी तिलकूट भेजते हैं.

"गया का तिलकुट ऑल इंडिया समेत विदेशों में भी जाता है. अमेरिका तक इसकी काफी डिमांड है. अभी फिलहाल में 2 क्विंटल रोज तिलकुट बना रहे हैं. दो क्विंटल तिलकुट रोज बिक जा रहा है. ऐसे दर्जनों दुकानदार हैं, जो 2 क्विंटल के आसपास प्रतिदिन तिलकुट बनाते हैं और उसकी बिक्री हो जाती है. इस तरह कई टन तिलकुट यहां से बेचे जाते हैं." -धर्मेंद्र कुमार गुप्ता, तिलकुट कारोबारी

बीमारियों में लाभप्रद होता है तिलकुट : गया के प्रसिद्ध तिलकुट की खासियत यहां के हवा-पानी से जुड़ा है. यहां की तिलकुट की अपनी एक विशेष पहचान है. सैकड़ों साल पुराना गया का तिलकुट का कारोबार रहा है. लोग बताते हैं कि तिलकुट खाने से शरीर में गर्मी आती है, क्योंकि यह तिल से बनता है और तिल ठंड के दिनों के लिए काफी उपयोगी है. इस तरह से गया का विश्व प्रसिद्ध तिलकुट स्वाद ही नहीं, बल्कि औषधीय गुणों के लिए भी अपने अपना एक मायने रखता है. शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ यह पेट समेत कई बीमारियों में लाभप्रद होता है.

रमना रोड में बनने वाले तिलकुट की डिमांड: गया के रमना रोड में बनने वाले तिलकुट की डिमांड तो रहती ही है. इसके अलावे गया जिले के सुदरुवर्ती ग्रामीण इलाके डंगरा के तिलकुट की भी अच्छी खासी डिमांड होती है. डंगरा के तिलकुट का भी अपना एक इतिहास रहा है और इतिहास से जानकारी मिलती है कि डंगरा के तिलकुट को भी विश्व प्रसिद्ध तिलकुट माना जाता है. इसी प्रकार गया जिले में टिकारी का भी तिलकुट काफी प्रसिद्ध है.

औषधीय गुणों का खजाना है तिलकुट: गया शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों में तिलकुट का निर्माण बड़े पैमाने पर होता है और सैकड़ो दुकानदार इससे जुड़े हुए हैं. इस तरह से गया का विश्व प्रसिद्ध तिलकुट तकरीबन चार माह तक बड़े पैमाने पर एक बड़े कारोबार के रूप में फलता फूलता है और यह अपने लजीज स्वाद के साथ-साथ औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है. वहीं, इसकी अपनी धार्मिक तौर पर भी इसकी मान्यता है, जिसके कारण 14 जनवरी के दिन हजारों टन तिलकुट बिक जाते हैं, जिसकी खरीदारी लोग लाइन लगाकर करते हैं.

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गया का प्रसिद्ध तिलकुट

गया: बिहार के गया का तिलकुट देश ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के लोगों की भी पसंद है. यहां का तिलकुट स्वाद के मामले में हर मिठाई पर भारी पड़ता है. यह सेहत के लिए भी फायदेमंद है. ठंड के दिनों में सर्दी से भी यह बचाता है. ऐसे में यह लाजवाब तिलकुट मिठाई के साथ-साथ अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है. क्योंकि तिलकुट तिल से बनता है. गया के तिलकुट की सौंधी खुशबु अमेरिका तक फैली है. वहां इसकी काफी डिमांड है.

गया के तिल की विदेशों में बढ़ी मांग
गया के तिल की विदेशों में बढ़ी मांग

गया के तिल से ही बन रहा तिलकुट: पहली बार गया का तिलकुट जिले में ही उपजाई गए तिल से बन रहा है. इससे पहले गया का तिलकुट दूसरे राज्यों के तिल से बनाया जाता था. पहले राजस्थान-गुजरात समेत अन्य राज्यों से तिल मंगाए जाते थे, लेकिन इस बार गया में ही तिल की खेती को बढ़ावा दिया गया और अब तिल की खेती हजारों एकड़ में हो रही है और तिल की अच्छी खासी उपज हुई है. जिससे यहां के तिलकुट कारोबारी भी खुश हैं. क्योंकि उन्हें इस बार गया के गोदाम से ही तिल मिल जा रहा है.

गया के तिल से बन रहा तिलकुट
गया के तिल से बन रहा तिलकुट

पर्यटक तिलकुट ले जाना नहीं भूलते: गया का तिलकुट बिहार के सभी जिलों के अलावे झारखंड, पश्चिम बंगाल, यूपी, मध्य प्रदेश, उड़ीसा समेत तकरीबन सभी राज्यों में जाता है. यहां सालों भर देश भर से लोग आते हैं. यूं तो तिलकुट की सालों भर बिक्री होती है, ऐसे में हर यात्री या पर्यटक तिलकुट ले जाना नहीं भूलते, लेकिन ठंड के दिनों में इसकी डिमांड काफी बढ़ जाती है. नवंबर माह चढ़ते ही तिलकुट की खपत इस कदर बढ़ जाती है कि एक-एक दुकानों में दर्जन भर कारीगर दिन रात तिलकुट बनाने में जुट जाते हैं.

ठंड के दिनों में बढ़ जाती है मांग : सर्द दिनों में गया के तिलकुट की मांग बढ़ जाती है. गया में तिलकुट के सैकड़ों कारोबारी और दुकानें है. यह चार माह का एक बड़ा बिजनेस होता है और तकरीबन करोड़ रुपए का कारोबार हो जाता है. नवंबर, दिसंबर जनवरी, फरवरी तक तिलकुट की खपत ऐसी होती है. इसे जुटाना दुकानदारों के लिए भी मुश्किल हो जाती है. यही वजह है कि तिलकुट की कुटाई नवंबर, दिसंबर, जनवरी, फरवरी माह में एक-एक दुकान में दर्जनों कारीगर लगाकर की जाती है.

मक्रर संक्रांति में बढ़ जाता है मांग: ठंड के दिनों में तिलकुट कूटने की आवाज़ गूंंजने लगती है. कारीगरों द्वारा तिलकुट कूटने की की आवाज आने लगती है. तिलकुट का कनेक्शन धार्मिक तौर से भी जुड़ा है. 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन तिल खाने का विधान है. ऐसे में तिलकुट की खपत व डिमांड काफी बढ़ जाती है. 14 जनवरी को लोग लाइन लगाकर तिलकुट की खरीददारी करते हैं.

अमेरिका में गया की तिलकुट की डिमांड: तिलकुट के कद्रदान देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. यही वजह है कि गया का तिलकुट अमेरिका समेत कई देशों में जाता है. दुकानदार बताते हैं कि इसकी बिक्री ऑल इंडिया होती ही है. दुकानदार बताते हैं कि कूरियर के थ्रू तिलकुट यहां से डिमांड पर भेजा जाता है. वही, इसके अलावा कई अन्य देशों से भी इसकी मांग आती है. कई परिवार के लोग जो इंडिया से जुड़े हुए हैं, वह यहां से कूरियर के थ्रू विदेश में रहने वाले लोगों के पास भी तिलकूट भेजते हैं.

"गया का तिलकुट ऑल इंडिया समेत विदेशों में भी जाता है. अमेरिका तक इसकी काफी डिमांड है. अभी फिलहाल में 2 क्विंटल रोज तिलकुट बना रहे हैं. दो क्विंटल तिलकुट रोज बिक जा रहा है. ऐसे दर्जनों दुकानदार हैं, जो 2 क्विंटल के आसपास प्रतिदिन तिलकुट बनाते हैं और उसकी बिक्री हो जाती है. इस तरह कई टन तिलकुट यहां से बेचे जाते हैं." -धर्मेंद्र कुमार गुप्ता, तिलकुट कारोबारी

बीमारियों में लाभप्रद होता है तिलकुट : गया के प्रसिद्ध तिलकुट की खासियत यहां के हवा-पानी से जुड़ा है. यहां की तिलकुट की अपनी एक विशेष पहचान है. सैकड़ों साल पुराना गया का तिलकुट का कारोबार रहा है. लोग बताते हैं कि तिलकुट खाने से शरीर में गर्मी आती है, क्योंकि यह तिल से बनता है और तिल ठंड के दिनों के लिए काफी उपयोगी है. इस तरह से गया का विश्व प्रसिद्ध तिलकुट स्वाद ही नहीं, बल्कि औषधीय गुणों के लिए भी अपने अपना एक मायने रखता है. शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ यह पेट समेत कई बीमारियों में लाभप्रद होता है.

रमना रोड में बनने वाले तिलकुट की डिमांड: गया के रमना रोड में बनने वाले तिलकुट की डिमांड तो रहती ही है. इसके अलावे गया जिले के सुदरुवर्ती ग्रामीण इलाके डंगरा के तिलकुट की भी अच्छी खासी डिमांड होती है. डंगरा के तिलकुट का भी अपना एक इतिहास रहा है और इतिहास से जानकारी मिलती है कि डंगरा के तिलकुट को भी विश्व प्रसिद्ध तिलकुट माना जाता है. इसी प्रकार गया जिले में टिकारी का भी तिलकुट काफी प्रसिद्ध है.

औषधीय गुणों का खजाना है तिलकुट: गया शहरी से लेकर ग्रामीण इलाकों में तिलकुट का निर्माण बड़े पैमाने पर होता है और सैकड़ो दुकानदार इससे जुड़े हुए हैं. इस तरह से गया का विश्व प्रसिद्ध तिलकुट तकरीबन चार माह तक बड़े पैमाने पर एक बड़े कारोबार के रूप में फलता फूलता है और यह अपने लजीज स्वाद के साथ-साथ औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है. वहीं, इसकी अपनी धार्मिक तौर पर भी इसकी मान्यता है, जिसके कारण 14 जनवरी के दिन हजारों टन तिलकुट बिक जाते हैं, जिसकी खरीदारी लोग लाइन लगाकर करते हैं.

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