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जाने कहां भगवान सूर्य के तीन रूपों का मंदिर स्थित है

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Published : Nov 2, 2019, 3:31 PM IST

गया में भगवान सूर्य के तीनों रूपों में मंदिर है. यह मंदिर इस पूरे क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है. भगवान सूर्य की पूजा करने के लिए यहां लोगों की काफी भीड़ जुटती है.

गया

गया: आस्था के महापर्व छठ का शनिवार को पहला सायंकालीन अर्घ्य है. शाम को छठ व्रति अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य देगी. पूरे भारत में औरंगाबाद के बाद गया में भगवान सूर्य के तीन प्रहर के सूर्य मंदिर हैं. यह मंदिर हजारो साल पुराना है. इन तीनों प्रतिमा का वर्णन वायु पुराण भी मिलता है.

गया शहर के पितामहेश्वर मुहल्ला में शीतला माता मंदिर में भगवान सूर्य ब्रह्मा के रूप में है. इसका वर्णन वायु पुराण सहित कई ग्रंथों में मिलता है. यहां छठ के मौके पर छठ व्रतियों की काफी भीड़ उमड़ती है. उगते सूरज को अर्ध्य देने के लिए यहां छठ व्रती आते हैं. इस मंदिर में भगवान सूर्य की प्रतिमा को चांदी के परत से सजाया गया है.

सूर्य मंदिर के पुजारी का बयान

यहां स्थित है मध्याह्न सूर्य मंदिर
फल्गु नदी के तट पर ब्राह्मणी घाट स्थित सूर्य मंदिर का इतिहास भी काफी प्राचीन रहा है. मंदिर में विरजमान सूर्य की प्रतिमा चार हजार साल पुरानी बताई जाती है. इसका वर्णन कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान सूर्य की उपासना करने से सभी मनोकामना पूरी होती है. यहां मध्याह्न सूर्य भगवान शंकर के रूप में विराज हैं. सूर्य सप्तमी के मौके पर ब्राह्मणी घाट पर भगवान सूर्य की सामूहिक अर्ध्य दिया जाता है. इस मंदिर में भगवान सूर्य की प्रतिमा भव्य और यहां उनकी पूरी परिवार की प्रतिमा स्थापित है.

गया
गया स्थित सूर्य मंदिर

इसे कहते हैं दक्षिणानिय सूर्य मंदिर
विष्णुपद मंदिर के निकट सूर्य कुंड के सूर्य मंदिर का इतिहास भी काफी प्राचीन है. वायु पुराण के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने इस मंदिर की स्थापना की थी. मंदिर के अंदर सूर्य की प्रतिमा के अगल-बगल उनकी दोनों पत्नियां छाया और संज्ञा की प्रतिमा है. विष्णुपद इलाके में स्थित इस मंदिर को दक्षिणानिय सूर्य मंदिर भी कहा जाता है. चार दिवसीय छठ व्रत के तीसरे दिन अस्त होते भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए व्रतियों की काफी भीड़ सूर्य कुंड में जुटती है. मन्दिर के सामने सूर्यकुंड भी इस पूरे क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है.

गया: आस्था के महापर्व छठ का शनिवार को पहला सायंकालीन अर्घ्य है. शाम को छठ व्रति अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य देगी. पूरे भारत में औरंगाबाद के बाद गया में भगवान सूर्य के तीन प्रहर के सूर्य मंदिर हैं. यह मंदिर हजारो साल पुराना है. इन तीनों प्रतिमा का वर्णन वायु पुराण भी मिलता है.

गया शहर के पितामहेश्वर मुहल्ला में शीतला माता मंदिर में भगवान सूर्य ब्रह्मा के रूप में है. इसका वर्णन वायु पुराण सहित कई ग्रंथों में मिलता है. यहां छठ के मौके पर छठ व्रतियों की काफी भीड़ उमड़ती है. उगते सूरज को अर्ध्य देने के लिए यहां छठ व्रती आते हैं. इस मंदिर में भगवान सूर्य की प्रतिमा को चांदी के परत से सजाया गया है.

सूर्य मंदिर के पुजारी का बयान

यहां स्थित है मध्याह्न सूर्य मंदिर
फल्गु नदी के तट पर ब्राह्मणी घाट स्थित सूर्य मंदिर का इतिहास भी काफी प्राचीन रहा है. मंदिर में विरजमान सूर्य की प्रतिमा चार हजार साल पुरानी बताई जाती है. इसका वर्णन कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान सूर्य की उपासना करने से सभी मनोकामना पूरी होती है. यहां मध्याह्न सूर्य भगवान शंकर के रूप में विराज हैं. सूर्य सप्तमी के मौके पर ब्राह्मणी घाट पर भगवान सूर्य की सामूहिक अर्ध्य दिया जाता है. इस मंदिर में भगवान सूर्य की प्रतिमा भव्य और यहां उनकी पूरी परिवार की प्रतिमा स्थापित है.

गया
गया स्थित सूर्य मंदिर

इसे कहते हैं दक्षिणानिय सूर्य मंदिर
विष्णुपद मंदिर के निकट सूर्य कुंड के सूर्य मंदिर का इतिहास भी काफी प्राचीन है. वायु पुराण के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने इस मंदिर की स्थापना की थी. मंदिर के अंदर सूर्य की प्रतिमा के अगल-बगल उनकी दोनों पत्नियां छाया और संज्ञा की प्रतिमा है. विष्णुपद इलाके में स्थित इस मंदिर को दक्षिणानिय सूर्य मंदिर भी कहा जाता है. चार दिवसीय छठ व्रत के तीसरे दिन अस्त होते भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए व्रतियों की काफी भीड़ सूर्य कुंड में जुटती है. मन्दिर के सामने सूर्यकुंड भी इस पूरे क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है.

Intro:आस्था के महापर्व छठ का आज पहला सायंकालीन अर्ध्य है आज छठव्रति अस्तचलगामी सूर्य को अर्ध्य देगी। भारत मे औरंगाबाद के बाद गया में दिन कर तीन प्रहर के सूर्य मंदिर हैं। सभी मंदिर हजारो साल पुराना है। तीनो प्रतिमा का वर्णन वायु पुराण है।


Body:गया शहर के पितामहेश्वर मुहल्ला में शीतला माता मंदिर में भगवान सूर्य ब्रह्मा के रूप में है इसका जिक्र वायु पुराण समेत कई ग्रंथों में मिलता है यहां छठ के मौके पर छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ती है।उगते सूरज को अर्ध्य देने के लिए यहां छठ व्रती आते हैं ।यहां भगवान सूर्य की मूर्ति को चांदी के परत से सजाया गया है।

फल्गु नदी के तट पर ब्राह्मणी घाट स्थित सूर्य मंदिर का इतिहास भी काफी प्राचीन है। मंदिर में विरजमान सूर्य की प्रतिमा चार हजार साल पुरानी हैं। इसका जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान सूर्य की उपासना करने से सभी की मनोकामना पूरी होती है।यहां मध्याह्न सूर्य भगवान शंकर के रूप में है सूर्य सप्तमी के मौके पर ब्राह्मणी घाट पर भगवान सूर्य की सामूहिक अर्ध्य दिया जाता है, यहां सूर्य की प्रतिमा भव्य है वो अपने पूर्ण परिवार के साथ है।

विष्णुपद मंदिर के निकट सूर्य कुंड के सूर्य मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है। वायु पुराण के अनुसार सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने इस मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर के अंदर सूर्य की प्रतिमा के अगल-बगल उनकी दोनों पत्नियां छाया और संज्ञा की प्रतिमा है ।विष्णुपद इलाके में स्थित इस मंदिर को दक्षिणानिय सूर्य मंदिर भी कहा जाता है चार दिवसीय छठ व्रत के तीसरे दिन अस्त होते भगवान भास्कर को देने के लिए व्रतियों की भारी भीड़ सूर्य कुंड में लगता है। मन्दिर के सामने सूर्यकुंड के महता काफी दूर तक फैला है।


Conclusion:बाइट- भावनी पाण्डेय (पिता महेश्वर के पुजारी)

बाइट- मनोज मिश्र (ब्राह्मणी घाट सूर्य मंदिर के पुजारी)
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