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बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के तीसरे दिन की टीचिंग, अरुणाचल प्रदेश के CM भी शामिल

बिहार के बोधगया में बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा (Buddhist Guru Dalai Lama in Gaya) के टीचिंग कार्यक्रम का आज तीसरा दिन है, आज अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू भी टीचिंग कार्यक्रम में शामिल हुए हैं. इस कार्यक्रम में करीब 50 हजार से अधिक बौद्ध श्रद्धालु मौजूद हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा
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Published : Dec 31, 2022, 9:48 AM IST

Updated : Dec 31, 2022, 10:29 AM IST

गया में दलाई लामा का टीचिंग कार्यक्रम

गया: बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा आज तीसरे दिन कालचक्र मैदान में (third day of Dalai Lama teaching program) प्रवचन दे रहे हैं. आज 31 दिसंबर को बौद्ध धर्म गुरु के टीचिंग कार्यक्रम के तीसरा दिन अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू (Arunachal Pradesh CM Pema Khandu) भी शामिल हुए हैं. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के टीचिंग को 15 भाषाओं में ट्रांसलेट किया जा रहा है. अलग-अलग देश के बौद्ध श्रद्धालु अलग-अलग भाषाओं में एफएम के जरिए टीचिंग सुन रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः कालचक्र पूजा : विदेशियों की इसमें क्यों होती है आस्था, क्या है बौद्धों की विशेष पूजा

उमड़ी श्रद्धालु की भीड़ः इस टीचिंग प्रोग्राम में 50 से 60 हजार श्रद्धालु शामिल होंगे, जो कि पूरे विश्व से आते हैं. इसमें भाग लेने नेपाल, भूटान, यूरोप, अमेरिका समेत सभी देशों से करीब-करीब बौद्ध श्रद्धालु आते हैं. ओम जी बाबा ने बताया कि 3 दिन की टीचिंग के दौरान दीक्षा होगी. बोधिसत्व की दीक्षा दी जाएगी. सभी को बोधिसत्व की दीक्षा दी जाएगी. वहीं, इसके बाद बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की लंबी आयु के लिए कालचक्र मैदान से पूजा की जाएगी.

"बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा जी प्रवचन करेंगे और अभिषेक देंगे. वहीं नए साल में कालचक्र मैदान से बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की लंबी आयु के लिए कालचक्र मैदान से पूजा की जाएगी. इसमें 50 से 60 हजार श्रद्धालु शामिल हुए हैं, जो कि पूरे विश्व से आते हैं. इसमें भाग लेने नेपाल, भूटान, यूरोप, अमेरिका समेत सभी देशों से करीब-करीब बौद्ध श्रद्धालु आते हैं."-ओम जी बाबा, तिब्बती पूजा समिति

क्या है कालचक्र पूजा? आपको बता दें कि दलाई लामा 22 दिसंबर को बोधगया पहुंचे थे. वह करीब 1 माह तक बोधगया में प्रवास करेंगे. इस दौरान यहां कालचक्र पूजा भी होगी. बिहार के बोधगया में अब तक 18 बार कालचक्र पूजा आयोजित की जा चुकी है. मूल रूप से तिब्बत से कालचक्र पूजा की परंपरा शुरू हुई थी, उसके बाद कई देशों और भारत में कालचक्र पूजा की शुरुआत हुई. इस पूजा में तांत्रिक साधना से विश्व शांति की कामना की जाती है. वहीं इसमें जीवित लोगों के लिए शांति और मृत लोगों के लिए मोक्ष की कामना की जाती है. कालचक्र पूजा की अगुवाई बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा करते हैं. कालचक्र पूजा के आयोजन पर पूरे विश्व के बौद्ध श्रद्धालु जुटते हैं. जिस स्थान पर कालचक्र पूजा होती है, उसका नाम कालचक्र हो जाता है. कालचक्र पूजा में तांत्रिक पूजा होती है, उसमें विशेष लोग ही भाग लेते हैं.

गया में दलाई लामा का टीचिंग कार्यक्रम

गया: बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा आज तीसरे दिन कालचक्र मैदान में (third day of Dalai Lama teaching program) प्रवचन दे रहे हैं. आज 31 दिसंबर को बौद्ध धर्म गुरु के टीचिंग कार्यक्रम के तीसरा दिन अरुणाचल प्रदेश के सीएम पेमा खांडू (Arunachal Pradesh CM Pema Khandu) भी शामिल हुए हैं. बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के टीचिंग को 15 भाषाओं में ट्रांसलेट किया जा रहा है. अलग-अलग देश के बौद्ध श्रद्धालु अलग-अलग भाषाओं में एफएम के जरिए टीचिंग सुन रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः कालचक्र पूजा : विदेशियों की इसमें क्यों होती है आस्था, क्या है बौद्धों की विशेष पूजा

उमड़ी श्रद्धालु की भीड़ः इस टीचिंग प्रोग्राम में 50 से 60 हजार श्रद्धालु शामिल होंगे, जो कि पूरे विश्व से आते हैं. इसमें भाग लेने नेपाल, भूटान, यूरोप, अमेरिका समेत सभी देशों से करीब-करीब बौद्ध श्रद्धालु आते हैं. ओम जी बाबा ने बताया कि 3 दिन की टीचिंग के दौरान दीक्षा होगी. बोधिसत्व की दीक्षा दी जाएगी. सभी को बोधिसत्व की दीक्षा दी जाएगी. वहीं, इसके बाद बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की लंबी आयु के लिए कालचक्र मैदान से पूजा की जाएगी.

"बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा जी प्रवचन करेंगे और अभिषेक देंगे. वहीं नए साल में कालचक्र मैदान से बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की लंबी आयु के लिए कालचक्र मैदान से पूजा की जाएगी. इसमें 50 से 60 हजार श्रद्धालु शामिल हुए हैं, जो कि पूरे विश्व से आते हैं. इसमें भाग लेने नेपाल, भूटान, यूरोप, अमेरिका समेत सभी देशों से करीब-करीब बौद्ध श्रद्धालु आते हैं."-ओम जी बाबा, तिब्बती पूजा समिति

क्या है कालचक्र पूजा? आपको बता दें कि दलाई लामा 22 दिसंबर को बोधगया पहुंचे थे. वह करीब 1 माह तक बोधगया में प्रवास करेंगे. इस दौरान यहां कालचक्र पूजा भी होगी. बिहार के बोधगया में अब तक 18 बार कालचक्र पूजा आयोजित की जा चुकी है. मूल रूप से तिब्बत से कालचक्र पूजा की परंपरा शुरू हुई थी, उसके बाद कई देशों और भारत में कालचक्र पूजा की शुरुआत हुई. इस पूजा में तांत्रिक साधना से विश्व शांति की कामना की जाती है. वहीं इसमें जीवित लोगों के लिए शांति और मृत लोगों के लिए मोक्ष की कामना की जाती है. कालचक्र पूजा की अगुवाई बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा करते हैं. कालचक्र पूजा के आयोजन पर पूरे विश्व के बौद्ध श्रद्धालु जुटते हैं. जिस स्थान पर कालचक्र पूजा होती है, उसका नाम कालचक्र हो जाता है. कालचक्र पूजा में तांत्रिक पूजा होती है, उसमें विशेष लोग ही भाग लेते हैं.

Last Updated : Dec 31, 2022, 10:29 AM IST
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