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गयाः सजायाफ्ता आतंकी तौसीफ खान के विरुद्ध ट्रायल मामले में हुई गवाही

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट (Ahmedabad Serial Blast) में फांसी का सजायाफ्ता आतंकी तौसीफ पठान के विरुद्ध गया कोर्ट में ट्रायल मामले फॉरेंसिक अधिकारियों की गवाही हुई. वर्ष 2017 में इसे गया के सिविल लाइन थाना इलाके से पकड़ा गया था.

आतंकी तौसीफ खान
आतंकी तौसीफ खान
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Published : Jun 30, 2022, 7:46 AM IST

Updated : Jun 30, 2022, 8:15 AM IST

गयाः अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में फांसी का सजायाफ्ता आतंकी तौसीफ पठान (Sentenced Terrorist Tausif Pathan) से संबंधित गया कोर्ट में चल रहे एक मामले में बुधवार को फॉरेंसिक लैब के राजकीय संदिग्ध लेख परीक्षक की गवाही (testimony in gaya court in Tausif Pathan case) हुई. यह गवाही अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय संगम सिंह की अदालत में राजकीय संदिग्ध लेख परीक्षक संतोष कुमार सिन्हा व शारदा नंद प्रसाद की हुई. गौरतलब है कि आतंकी तौसीफ पठान अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के बाद फरार था और वर्ष 2017 में इसे गया के सिविल लाइन थाना इलाके से पकड़ा गया था.

ये भी पढ़ेंः Gaya News: खूंखार आतंकी को पकड़ने वाले अनुराग बच्चों को दे रहे मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग

तौसीफ पठान के लिखावट की हुई जांचः इस मामले में अपर लोक अभियोजक अंबुज कुमार सिन्हा ने बताया कि गवाह संतोष कुमार सिन्हा ने अपनी गवाही के दौरान बताया कि 30 जनवरी 2018 को वह पुलिस प्रयोगशाला अपराध अनुसंधान पटना में पदस्थापित थे. 26 सितंबर 2017 को न्यायालय के आदेश से भेजा गया आतंकी तौसीफ पठान के लिखावट में हिंदी प्रदर्श व अंग्रेजी प्रदर्श के मिलान हेतु भेजा गया था. वह रिपोर्ट उन्होंने ही तैयार की थी और उसके प्रत्येक पृष्ठ पर मेरा हस्ताक्षर है. इस रिपोर्ट को टंकक हरिहर नाथ रजक द्वारा टंकित किया गया था. इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से परवेज अहमद ने प्रति परीक्षण कराया. आतंकी तौसीफ पठान अभी गया सेंट्रल जेल में बंद है.


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अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजाः बता दें कि इसी साल 18 फरवरी को अहमदाबाद की अदालत ने अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के आरोप में 38 अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई थी. इसमें गया जेल में बंद तौसीफ पठान का भी नाम शामिल था. गया जेल में बंद तौसीफ की ऑनलाइन पेशी होती थी. पहले से ही सिरदर्द बना आतंकी तौसीफ अहमदाबाद की अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद बंद गया सेंट्रल जेल में अब और खूंखार बन गया है. उसकी हरकतों के कारण पूरा जेल प्रशासन अलर्ट मोड में है. गया से उसके पकड़े जाने के बाद देश के कई राज्यों की एटीएस की टीम ने उसे ट्रांजिट रिमांड पर ले जाकर उसके द्वारा संचालित आतंकी नेटवर्क को खंगाला था.

गया में शिक्षक बनकर 8 साल रहाः दरअसल, गुजरात के अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को आतंकियों द्वारा सिलसिलेवार बम धमाके किए गए थे. इस आतंकी हमले में कई लोगों की जानें चली गईं थीं. इसके बाद से ही आतंकी तौसीफ अपना ठिकाना बदल-बदल कर सुरक्षा एजेंसियों को लगातार चकमा देकर फरार हो गया था. तौसीफ बिहार के गया जिले के करमौनी के एक स्कूल में शिक्षक बनकर भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित कर रहा था. सूत्रों की माने तो गया में रहकर वो सीधे पाकिस्तान के आतंकी संगठन के संपर्क में था. यहीं से पाकिस्तान को मेल से अपनी आतंकी गतिविधियों की जानकारी देता था. वह गया शहर के सिविल लाइन थाना अंतर्गत राजेंद्र आश्रम मोहल्ले में स्थित एक साइबर कैफे में बराबर आता था. इसी दौरान, कैफे संचालक अनुराग बसु को तौसीफ पर शक हुआ तो उसने इस पर निगरानी रखनी शुरू कर दी.

कैफे संचालक अनुराग ने कराई थी गिरफ्तारीः इस बीच, 13 अप्रैल 2017 को कैफे में बैठकर तौसीफ एक मेल भेज रहा था. मेल में पाकिस्तानी झंडा देखकर अनुराग बसु का शक यकीन में बदला गया. जिसके बाद कैफे संचालक ने इसकी जानकारी लोकल पुलिस को दी. इस बात की भनक लगते ही आतंकी तौसीफ और उसका एक साथी भागने की फिराक में था. लेकिन बहादुर और कराटे में ब्लैक बेल्ट हासिल कर चुका कैफे संचालक ने दोनों का पीछा कर पकड़ लिया. इसके बाद गया जिले की सिविल लाइन थाना की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद उसकी निशानदेही पर छापामारी कर कई आतंकी सामग्रियां बरामद की गईं थीं. इस मामले में भी गया के सिविल लाइन थाना में तौसीफ के खिलाफ दर्ज केस फिलहाल ट्रायल में है.

गयाः अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में फांसी का सजायाफ्ता आतंकी तौसीफ पठान (Sentenced Terrorist Tausif Pathan) से संबंधित गया कोर्ट में चल रहे एक मामले में बुधवार को फॉरेंसिक लैब के राजकीय संदिग्ध लेख परीक्षक की गवाही (testimony in gaya court in Tausif Pathan case) हुई. यह गवाही अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय संगम सिंह की अदालत में राजकीय संदिग्ध लेख परीक्षक संतोष कुमार सिन्हा व शारदा नंद प्रसाद की हुई. गौरतलब है कि आतंकी तौसीफ पठान अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के बाद फरार था और वर्ष 2017 में इसे गया के सिविल लाइन थाना इलाके से पकड़ा गया था.

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तौसीफ पठान के लिखावट की हुई जांचः इस मामले में अपर लोक अभियोजक अंबुज कुमार सिन्हा ने बताया कि गवाह संतोष कुमार सिन्हा ने अपनी गवाही के दौरान बताया कि 30 जनवरी 2018 को वह पुलिस प्रयोगशाला अपराध अनुसंधान पटना में पदस्थापित थे. 26 सितंबर 2017 को न्यायालय के आदेश से भेजा गया आतंकी तौसीफ पठान के लिखावट में हिंदी प्रदर्श व अंग्रेजी प्रदर्श के मिलान हेतु भेजा गया था. वह रिपोर्ट उन्होंने ही तैयार की थी और उसके प्रत्येक पृष्ठ पर मेरा हस्ताक्षर है. इस रिपोर्ट को टंकक हरिहर नाथ रजक द्वारा टंकित किया गया था. इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से परवेज अहमद ने प्रति परीक्षण कराया. आतंकी तौसीफ पठान अभी गया सेंट्रल जेल में बंद है.


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अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजाः बता दें कि इसी साल 18 फरवरी को अहमदाबाद की अदालत ने अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के आरोप में 38 अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई थी. इसमें गया जेल में बंद तौसीफ पठान का भी नाम शामिल था. गया जेल में बंद तौसीफ की ऑनलाइन पेशी होती थी. पहले से ही सिरदर्द बना आतंकी तौसीफ अहमदाबाद की अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद बंद गया सेंट्रल जेल में अब और खूंखार बन गया है. उसकी हरकतों के कारण पूरा जेल प्रशासन अलर्ट मोड में है. गया से उसके पकड़े जाने के बाद देश के कई राज्यों की एटीएस की टीम ने उसे ट्रांजिट रिमांड पर ले जाकर उसके द्वारा संचालित आतंकी नेटवर्क को खंगाला था.

गया में शिक्षक बनकर 8 साल रहाः दरअसल, गुजरात के अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को आतंकियों द्वारा सिलसिलेवार बम धमाके किए गए थे. इस आतंकी हमले में कई लोगों की जानें चली गईं थीं. इसके बाद से ही आतंकी तौसीफ अपना ठिकाना बदल-बदल कर सुरक्षा एजेंसियों को लगातार चकमा देकर फरार हो गया था. तौसीफ बिहार के गया जिले के करमौनी के एक स्कूल में शिक्षक बनकर भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित कर रहा था. सूत्रों की माने तो गया में रहकर वो सीधे पाकिस्तान के आतंकी संगठन के संपर्क में था. यहीं से पाकिस्तान को मेल से अपनी आतंकी गतिविधियों की जानकारी देता था. वह गया शहर के सिविल लाइन थाना अंतर्गत राजेंद्र आश्रम मोहल्ले में स्थित एक साइबर कैफे में बराबर आता था. इसी दौरान, कैफे संचालक अनुराग बसु को तौसीफ पर शक हुआ तो उसने इस पर निगरानी रखनी शुरू कर दी.

कैफे संचालक अनुराग ने कराई थी गिरफ्तारीः इस बीच, 13 अप्रैल 2017 को कैफे में बैठकर तौसीफ एक मेल भेज रहा था. मेल में पाकिस्तानी झंडा देखकर अनुराग बसु का शक यकीन में बदला गया. जिसके बाद कैफे संचालक ने इसकी जानकारी लोकल पुलिस को दी. इस बात की भनक लगते ही आतंकी तौसीफ और उसका एक साथी भागने की फिराक में था. लेकिन बहादुर और कराटे में ब्लैक बेल्ट हासिल कर चुका कैफे संचालक ने दोनों का पीछा कर पकड़ लिया. इसके बाद गया जिले की सिविल लाइन थाना की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद उसकी निशानदेही पर छापामारी कर कई आतंकी सामग्रियां बरामद की गईं थीं. इस मामले में भी गया के सिविल लाइन थाना में तौसीफ के खिलाफ दर्ज केस फिलहाल ट्रायल में है.

Last Updated : Jun 30, 2022, 8:15 AM IST
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