गया: बिहार के गया में मगध विश्वविद्यालय (Magadh University) के जंतु विज्ञान विभाग (Zoology Department) के रिसर्च स्कॉलर दानिश मसरूर ने गया के कई स्थानों पर तसर रेशम कीट (Tasar Silk Moth) और लाह कीटों (Lacquer Pests) की मौजूदगी देखी है.
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दानिश ने गया के वातावरण के हिसाब से कीटों के प्रजनन और रेशम की मात्रा पर शोध किया है. इस शोध में पता चला है कि गया में बहुत अच्छी तरह से तसर रेशम कीट का पालन किया जा सकता है. इससे किसानों या पालकों को काफी फायदा होगा.
रिसर्च स्कॉलर दानिश मसरूर ने बताया कि मैंने सबसे पहले गया शहर स्थित बंगाली बीघा में एक पेड़ पर रेशम कीट को देखा था. मुझे विश्वास नहीं हुआ कि गया के इस वातावरण में रेशम कीट हो सकता है. मैं इसके इसके पीछे लग गया और रेशम कीट गया शहर में ही नहीं आसपास के गांवों के पेड़ों में भी हैं. मैंने इस पर रिसर्च किया है. रिसर्च में यही पाया कि गया के वातावरण में रेशम कीट का पालन किया जा सकता है और इससे काफी फायदा हो सकता है.
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दानिश ने बताया है कि 10 साल पूर्व तक नवादा के कादिरगंज में रेशम की खेती होती थी, लेकिन उचित तकनीक की मशीन नहीं मिलने और जानकारी नहीं होने के कारण इसका पालन बंद हो गया है. इस क्षेत्र में रेशम पालन आज से नहीं बल्कि सालों से होता रहा है, लेकिन जानकारी के अभाव के कारण लोग रेशम कीट को पहचान नहीं पाते हैं, ना ही इसका पालन कर पाते हैं.
दानिश बताते हैं कि एक रेशम कोकीन 12 रुपये में बिकता है. वहीं, इससे बने कपड़े काफी महंगे बिकते हैं. इस कीट से संबंधित शोध और सर्वेक्षण किया जाए तो सरकार लाखों लोगों को रोजगार दे सकती है. 58 देशों में रेशम कीट का पालन किया जाता है. वहीं, देश में 6 से 8 राज्यों में रेशम कीट का पालन किया जाता है. भारत में लगभग 23,679 मीट्रिक टन रेशम का उत्पादन होता है. इससे करीब 300 करोड़ रुपये की वार्षिक आय होती है.
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रेशम उत्पाद के द्वारा लगभग 7 लाख लोगों को भारत में रोजगार प्राप्त होता है. दानिश ने गया में तसर रेशम का कीट मिलने के बाद इसकी एक पूरी रिपोर्ट तैयार की है. गया में रेशम के कीट से कैसे सिल्की कपड़े बनाए जा सकते हैं और इसकी पूरी जानकारी उन्होंने उद्योग विभाग को दी है. इस रिपोर्ट को उन्होंने उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन को भी सौंपा है.
बता दें कि भारत में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु रेशम के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. झारखंड के अलग होने के बाद बिहार रेशम उत्पादन में पिछड़ गया है. गया में बंगाली बिगहा, इकावनपुर, सोलरा, चाकन्द इत्यादि क्षेत्रों में रेशम के कीट पीपल के पेड़ पर मिला है. गया की जलवायु में यह अच्छी तरह से प्रजनन कर रहे हैं, इसका यही संकेत है कि मगध के किसी क्षेत्र में इस वातावरण में रेशम कीट का अच्छी तरह से पालन किया जा सकता है.