पटना: बिहार की धार्मिक नगरी गया में भस्मकुट पर्वत पर मां मंगलागौरी ( Mangalagauri Temple in Gaya ) का मंदिर है. इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि मां मंगलागौरी मंदिर के गर्भगृह में मां सती के स्तन का एक टुकड़ा है. यह एक शक्ति पीठ (shakti Peeth) है और यहां माँ को दर्शन करनेवाला भक्त को कभी खाने का लाले नही पड़ते हैं. मान्यता है कि मां सभी भक्तों का पालन करती है, इसलिए इन्हें पालनहारणि मां भी कहा जाता है
भस्मकुट पर्वत पर मां सती के स्तन का एक टुकड़ा है, इसके पीछे एक कहानी है. भगवान शिव ( Lord Shiva ) जब अपनी पत्नी सती का जला हुआ शरीर आकाश में उद्विग्न होकर घूम रहे थे तो इसी क्रम में मां सती ( Maa Sati ) के शरीर का टुकड़ा देश के 51 स्थानों पर गिरा था. जिसे बाद में शक्ति पीठ के रूप में जाना गया. उस समय 51 स्थानों पर गिरे हुए टुकड़ा में स्तन का एक टुकड़ा गया के भस्मकुट पर्वत पर गिरा था, तब से यहां माँ का पूजा होता है.
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मां के दरबार में ऐसे तो हर दिन भीड़ होती है लेकिन सप्ताह का मंगलवार दिन और नवरात्रि को काफी भीड़ होती है. ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा करने वाले किसी भी भक्त को मां मंगला खाली हाथ नहीं भेजती है. मां मंगलागौरी मन्दिर का पुजारी आकाश गिरी बताते हैं कि नवरात्रि के अवसर पर आज से दस दिनों तक यहां विशेष पूजा अर्चना होती है. यहां भंडारा का आयोजन किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि दो साल के बाद मंदिर में पूजा करने के लिए इतनी छूट मिली है तो मन्दिर प्रबन्धकारिणी समिति भी कोविड गाइडलाइंस का भक्तों से पालन करवाएगा. आज से मंदिर के परिसर में नवरात्रा के दौरान दर्जनों श्रद्धालु व पंडित रोजाना आकर मां दुर्गा सप्तशती का भी पाठ करेंगे. ऐसे तो हर दिन मंदिर की साफ-सफाई होती है और फूल-माला से सजाया जाता है. परंतु, नवरात्र के दौरान मां मंगला मंदिर को खूबसूरत से सजाया गया है.
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मंगलागौरी मंदिर के गर्भगृह में मां के साथ ही भगवान शंकर, भगवान विष्णु, भगवान गणेश भी विराजमान है. यहां कई दशक से अखंड दीपक जल रही है. बता दें कि मां मंगलागौरी मंदिर जाने के लिए दो रास्ते हैं. एक रास्ता वैतरणी सरोवर के ठीक सामने से है, तो दूसरा रास्ता अक्षयवट के तरफ से है. दोनों रास्तों से सीढ़िया चढ़कर मां का दरबार मे पहुंचा जाता है.
मां मंगलागौरी मंदिर परिसर काफी बड़ा है, लेकिन मां का गर्भगृह काफी छोटा है. गर्भगृह एक साथ दो से तीन लोग ही जा सकते हैं. गर्भगृह जाने के लिए एक खिड़कीनुमा दरवाजा है, जहां से भक्त गर्भगृह में प्रवेश करते हैं. मन्दिर अति प्राचीन शैली से बनाया गया है और मन्दिर मां की मूर्ति नहीं शिला की पूजा किया जाता है.